स्कूल छात्रों की पढ़ाई के लिए पंजाब सरकार ने अपनाया ये नायाब तरीका
बेंगलुरु। आजकल बच्चों के हाथ में हर वक्त मोबाइल रहता है, बड़ों की तरह बच्चे भी अपना अधिकांश समय सोशल मीडिया को दे रहे हैं। जिस कारण बच्चे पढ़ाई से दूर हटते जा रहे हैं। वह अधिकांश समय मोबाइल पर ही चिपके नजर आते हैं। दिन प्रतिदिन यह समस्या बढ़ती ही जा रही है। अभिभावकों के लिए भी यह बड़ा सिरदर्द बनता जा रहा है कि किस तरह बच्चों का पढ़ाई में ध्यान लगाया जाएं। अब पंजाब सरकार ने सरकारी स्कूलों में बच्चों का मन पढ़ाई में लगे और उनका भविष्य संवरे इसके लिए सोशल मीडिया को उनके हित में इस्तेमाल करने की योजना बनायी हैं। शिक्षा विभाग यह तरीका अपना कर सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने वाले बच्चों को पढ़ाई में रुचि जगाने के लिए कर रही है। अगर यह योजना सफल होती है तो अन्य राज्यों के लिए यह मॉडल साबित होगा।
बता दें इस नयी योजना के तहत पंजाब शिक्षा विभाग शिक्षा का मोबाइल एप तैयार करवाया है। इस दिशा में पूरे प्रदेश के सरकारी स्कूलों में विभाग ने इस योजना संबंधी कार्य शुरु कर दिया है। पंजाब सरकार का मानना है कि मोबाइल से चिपके स्कूली छात्रों को सोशल मीडिया के माध्यम से जोड़ कर पढ़ाना उनके हित में होगा।
आम तौर पर देखा जा रहा है कि बच्चों ही नहीं अध्याकों को भी मोबाइल की लत लग चकी है। ऐसे में यह तारीका काफी कारगर साबित होगा। गौरतलब है कि सरकारी कामकाज के ढ़ीले रवैये के कारण सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को स्कूल बैग, किताबों समेत अन्य सुविधाओं के काफी प्रतीक्षा करनी पड़ती हैं। इतना ही नही मोबाइल एप पर पढ़ाई आरंभ होने से वहां बच्चों को पुस्तकों के छपने की इंतजार नहीं करना पड़ेगा। इतना ही नहीं बच्चों और अध्यापकों की छुट्टियों के कारण बच्चों की पढ़ाई बाधित नही होगी। स्कूली बच्चे छुट्टियों में मोबाइल एप पर पढ़ाई कर सकेंगे।
इसके लिए शिक्षा विभाग ने जो एप तैयार कर रही है उसका नाम आई स्कूल लर्न है। जिसमें पहली कक्षा से लेकर 10वीं कक्षा तक पढ़ाई करवायी जाएगी। छात्रों की पढ़ाई में रुचि जाग्रत हो इसके लिए इस एप में उच्च स्तरीय और दिलचस्प मल्टीमीडिया आधारित ई-कंटैंट शामिल किया गया हैं। इसके लिए शिक्षा विभाग ने अधिकारियों के माध्यम से अध्यापकों और छात्रों को विभागीय पत्र भेजकर इस मोबाइल एप डाउनलोड करने के लिए कहा है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद जल्द ही शिक्षा मोबाइल एप पर उपलब्ध होगी। गौर करने वाली बात है कि पहले से ही सरकारी स्कूलों के लिए शिक्षा ऑनलाइन की जा चुकी है।
पंजाब सरकार ने शिक्षा विभाग की वर्षों पुरानी सरकारी स्कूलों के औचक निरीक्षण को बंद करने का निर्णय लिया है। अब स्कूलों में औचक निरीक्षण के लिए विभाग के अधिकारी अब स्कूलों में अचानक नहीं बल्कि स्कूल प्रभारी को पहले सूचना देकर निरीक्षण के लिए जाएंगे। इस परंपरा को समाप्त करने के पीछे शिक्षा विभाग का मानना है कि स्कूलों का के निरीक्षण का मकसद स्कूल की कमियों को दूर करना है और अगर सूचना देने पर स्कूल प्रभारी इसे पहले से दूर कर लें तो विभाग का उद्देश्य पूरा हो जाता है। पंजाब शिक्षा विभाग के अनुसार शिक्षा और नकारात्मकता का वास्ता नहीं होना चाहिए। हमें वो नियम अमल में लाने चाहिए जिससे स्कूल में बच्चों की शिक्षा को प्राेत्साहन मिले जिससे उनका भविष्य संवरे।
शिक्षा विभाग का वर्तमान समय में सरकारी स्कूलों का लक्ष्य अध्यापकों को साथ लेकर स्कूली इमारत बेहतर और सुंदर बनाना और शिक्षा के स्तर को बेहतर करना है। बता दें जब से पंजाब के सरकारी स्कूलों में औचक निरीक्षण के बजाय सूचित करके निरीक्षण किया गया तो पहले से बेहतर परिणाम नजर आएं। वहीं शिक्षा एप से मोबाइल पर पढ़ाई को लेकर बच्चों में अत्यधिक जोश है वह मोबाइल पर पढ़ाई करने के लिए काफी उत्साहित हैं।
बता
दें
वर्तमान
समय
में
मोबाइल
एप
के
द्वारा
पढ़ाई
बहुत
आम
होती
जा
रही
है।
भले
ही
सरकारी
स्कूलों
में
यह
प्रयास
नया
है
लेकिन
कई
शिक्षण
संस्थान
छात्रों
को
पढ़ाई
के
लिए
इसका
इस्तेमाल
कर
रहे
हैं।
इतना
ही
नहीं
वाराणसी
के
एक
गांव
में
एक
एनजीओ
जो
पिछले
दिनों
काफी
सुखिर्यों
में
रहा
वहां
भी
गरीब
बच्चों
को
ऑनलाइन
शिक्षा
दे
रहा
है।
कैंब्रिज
यूनिवर्सिटी
के
दलाईलामा
सेंटर
फॉर
एथनिक
वैल्यूज
एंड
ट्रांसफॉरमेशन
नामक
यह
संस्था
सारनाथ
के
मवइया
गांव
में
टेबलेट
के
जरिए
बच्चों
को
पढ़ाया
जा
रहा
है।
करीब
50
बच्चे
यहां
पढ़ते
है।
यहां
का
पूरा
सिस्टम
हाईटेक
तरीके
से
वाई-फाई
से
लैस
है।
यहां
छात्रों
को
क्लासरूम
में
टेबलेट
के
जरिए
हिंदी,
मैथ्स
और
इंग्लिश
सिखाई
जाती
है।
बच्चों
को
इस
माध्यम
से
पढ़ने
में
बहुत
मजा
आता
है।
टेबलेट
में
पढ़ाई
के
साथ-साथ
ड्रॉइंग
करना
भी
सिखाया
जाता
है।