पंजाब ने GST भुगतान के दोनों विकल्पों को किया खारिज, वित्तमंत्री ने राजस्व सचिव को लिखा पत्र
नई दिल्ली। जीएसटी मुआवजे में कमी के लिए राज्यों को दिए गए दो विकल्पों को पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने खारिज करते हुए राजस्व सचिव को एक पत्र लिखा है। पंजाब उन राज्यों में शामिल था जो जीएसटी मुआवजे में देरी के खिलाफ मुखर है। केंद्र ने चालू चालू वित्त वर्ष में जीएसटी राजस्व प्राप्ति में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी का रहने का अनुमान लगाया है। केंद्र के आकलन के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में क्षतिपूर्ति के रूप में राज्यों को 3 लाख करोड़ रुपये की जरूरत होगी। इसमें से 65,000 करोड़ रुपये की भरपाई जीएसटी के अंतर्गत लगाये गये उपकर से प्राप्त राशि से होगी।
सोमवार को पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि, हमें दोनों विकल्पों पर स्पष्ट रूप से बहुत अफसोस है। यह जीएसटी अधिनियम का स्पष्ट उल्लंघन था, और राज्यों के मुआवजा को न तो बढ़ाया जा सकता है और न ही घटाया जा सकता है। यह सहकारी संघवाद की भावना के साथ विश्वासघात है। उन्होंने सिफारिश की कि इस मामले पर विचार करने और दस दिनों में अपनी सिफारिशें देने के लिए एक जीओएम का गठन किया जा सकता है।
इससे पहले जाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि केंद्र ने जो समाधान सुझाए हैं, वह राज्य को स्वीकार्य नहीं है। बादल ने कहा, 'समाधान के तहत इस बात पर जोर है कि केंद्र गारंटी देगा और राशि का भुगतान क्षतिपूर्ति उपकर से किया जाएगा जो 2-3 साल और जारी रहेगा। यह पंजाब को स्वीकार्य नहीं है।' उन्होंने कहा कि राज्य को क्षतिपूर्ति मद में 6,500 करोड़ रुपये की राशि चाहिये।
दिल्ली की केजरीवाल सरकार भी केंद्र के इस फैसले का लगातार विरोध कर रही है। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि मौजूदा प्रशासनिक ढांचे के तहत दिल्ली सरकार आरबीआई से कर्ज नहीं ले सकती। केंद्र को 21,000 करोड़ रुपये के घाटे को पूरा करने के लिये स्वयं कदम उठाना चाहिए। उन्होंने कहा केंद्र ने वादा किया था कि 14 प्रतिशत वृद्धि के हिसाब से राज्यों के राजस्व में यदि कमी आती है, तो वह पांच साल तक उसकी भरपाई करेगा।
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