लोकसभा चुनाव 2019: दक्षिणी गोवा लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: दक्षिण गोवा लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद भाजपा के नरेद्र केशव सवाइकर हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले साल 1999 में भी बीजेपी ने इस सीट पर अपना परचम लहराया था।दक्षिण गोवा की सीट परम्परागत रूप से कांग्रेस की सीट रही है। मगर, 1962 में महाराष्ट्र गोमांतक पार्टी, 1967 और 71 में यूनाइटेड गोवन्स पार्टी और 1996 में यूनाइटेड गोवन्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने भी कांग्रेस के गढ़ में सेंधमारी की थी। बाकी सभी चुनावों में दक्षिण गोवा लोकसभा सीट पर कांग्रेस की जीत होती रही है।
दक्षिण गोवा लोकसभा सीट का इतिहास
गोवा 1961 में भारत का हिस्सा बना था। 1987 में इसे राज्य का दर्जा मिला जब इसे दो ज़िलों में बांटा गया। एक दक्षिण गोवा और दूसरा उत्तरी गोवा। इन्हीं नामों से गोवा में लोकसभा की सीटें भी हैं। दक्षिणी गोवा कोंकणी मातृभाषा है। मराठी धड़ल्ले से बोली जाती है। अंग्रेजी और हिन्दी समझने वालों की तादाद भी अच्छी-खासी है। यहां बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो पुर्तगाली अच्छी तरह से बोलते और समझते हैं। दक्षिण गोवा लोकसभा सीट पर 20 विधानसभा की सीटें हैं। कांग्रेस की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इनमें से आधी यानी कि 10 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। बीजेपी के पास भी 5 सीटें हैं। बाकी 5 सीटों की बात करें तो एमएजी के पास दो और एनसीपी, जीएफपी व निर्दलीय के पास एक-एक सीट हैं।
कांग्रेस का जिन सीटों पर कब्जा हैं उनमें शामिल हैं पोंडा, शिरोदा, नुवेम, करटोरिम, मरगाव, नवेलिम, कुनकोलिम, वेलिम, क्वेपेम, कानाकोना बीजेपी के पास जो सीटें हैं उनमें शामिल हैं मोरमुगाव, वास्कोडिगामा, डोबोलिम, कोरटालिम, कुरकोरेम एमएजी के पास सानवोर्डेम और मारकैम की सीटें हैं तो जीएफपी के पास फैटोर्डा, एनसीपी के पास बेनौलिम की सीटें हैं। सैंग्वेम विधानसभा सीट पर निर्दलीय का कब्जा है।
नरेंद्र केशव सवाइकर का लोकसभा में प्रदर्शन
बीजेपी सांसद नरेंद्र केशव सवाइकर बीजेपी के सक्रिय सांसद हैं। 21 बार उन्होंने संसद के भीतर बहस में हिस्सा लिया है। 426 सवाल पूछे हैं। 5 सरकारी बिल लेकर आए और एक प्राइवेट मेम्बर बिल लेकर भी वे संसद में पेश हुए। दो अलग-अलग समितियों सबोर्डिनेट और पब्लिक अंडरटेकिंग के सदस्य के रूप में भी वे सक्रिय रहे हैं।अगर सांसद निधि की बात करें तो नरेंद्र केशव सवाइकर के कोष में महज 3.83 करोड़ रुपये बाकी हैं। यह दिसम्बर 2018 तक का आंकड़ा है। इसका मतलब ये हुआ कि अपने सांसद कोष से अधिक से अधिक खर्च उन्होंने किए हैं।
अच्छी छवि के बावजूद बीजेपी उम्मीदवार को 2019 के लोकसभा चुनाव में दक्षिण गोवा की सीट पर आसान जीत नहीं मिलने वाली है। विगत चुनाव में भी फासला महज 6 फीसदी वोटों का रहा था। मगर, इस बार स्थिति बदल चुकी है। स्थानीय सांसद को डबल इनकम्बेन्सी का सामना करना पड़ सकता है। कांग्रेस से कड़े मुकाबले की उम्मीद है। कह सकते हैं कि बीजेपी के लिए यह सीट बचाना मुश्किल होगा।