लोकसभा चुनाव 2019: नामक्कल लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: तमिलनाडु की नामक्कल लोकसभा सीट के से AIADMK)नेता पीआर सुंदरम (P.R.Sundaram)मौजूदा सांसद हैं। उन्होंने साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर DMK नेता गांधी सेलवन (Gandhiselvan.s) को 294, 374 वोटों से हराया था। पीआर सुंदरम (P. R. Sundaram)को यहां पर 563, 272 वोट मिले थे तो वहीं गांधी सेलवन (Gandhiselvan.s) को केवल 268, 898 वोटों पर संतोष करना पड़ा था। इस सीट पर नंबर तीन की पोजिशन पर DMDK पार्टी थी, जिसके प्रत्याशी को 146, 882 वोट मिले थे तो वहीं नंबर 4 पर कांग्रेस थी, जिसके प्रत्याशी को केवल 19,800 वोट ही प्राप्त हुए थे।
परिसीमन के बाद यह लोकसभा सीट अस्तित्व में आई, जहां साल 2009 में पहला आम चुनाव हुआ, जिसे कि डीएमके ने जीता और गांधी सेलवन यहां के सांसद बने लेकिन साल 2014 के चुनाव में उन्हें AIADMK पार्टी से शिकस्त झेलनी पड़ी और पी. आर सुंदरम (P.R. Sundaram) यहां से जीतकर लोकसभा में पहुंचे। पी. आर सुंदरम (P. R. Sundaram) 1996 और 2001 में रासिपुरम से विधायक भी रह चुके हैं , दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 सालों के दौरान लोकसभा में उनकी उपस्थिति 84 प्रतिशत रही है और इस दौरान उन्होंने 95 डिबेट में हिस्सा लिया है और 685 प्रश्न पूछे हैं, उनके काफी सवाल क्षेत्र के विकास, रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य से ही जुड़े हुए रहे हैं।
नामक्कल,
परिचय-प्रमुख
बातें-
तमिलनाडु
का
नामक्कल
जिला,
अपनी
खूबसूरती
के
लिए
पूरे
राज्य
में
चर्चित
है।
यहां
बने
अनेक
मंदिर
लोगों
की
गहरी
आस्था
से
जुड़े
हैं।
इस
ऐतिहासिक
नगर
का
काफी
समृद्ध
इतिहास
रहा
है,
जो
लगभग
9वीं
शताब्दी
से
प्रारंभ
होता
है।
नामक्कल
को
सलेम
जिले
से
पृथक
कर
1996
में
गठित
किया
गया
था।
जनवरी
1997
से
इसने
स्वतंत्र
जिले
के
रूप
में
कार्य
करना
शुरू
किया
था।
नामक्कल
के
पश्चिम
में
कोट्टई,
पूर्व
में
पेट्टई
और
केन्द्र
में
नामागिरी
स्थित
है।
नामागिरी
को
ही
नामक्कल
नाम
का
स्रोत
माना
जाता
है।
कोल्ली
हिल्स
पश्चिमी
घाट
की
प्रमुख
पर्वत
श्रंखला
है।
लगभग
400
वर्ग
मील
में
फैली
ये
पहाडियां
18
मील
लंबी
और
12
मील
चौड़ी
हैं।
अपनी
प्राकृतिक
सुंदरता
से
यह
पहाड़ियां
सबको
आकर्षित
करती
हैं।
बहुत
सारी
प्राकृतिक
और
सांस्कृतिक
विरासत
को
अपने
आंचल
में
समेटे
नामक्कल
की
कुल
जनसंख्या
17,53,146
है,
जिसमें
से
63.71%
लोग
ग्रामीण
इलाकों
में
और
36.29%
लोग
शहरी
इलाकों
में
रहते
हैं,
यहां
पर
20
प्रतिशत
लोग
एससी
वर्ग
के
और
3
प्रतिशत
लोग
एसटी
वर्ग
के
हैं।
साल 2009 के चुनाव में यह सीट DMK के पास थी लेकिन साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर AIADMK का कब्जा हो गया, जो कि डीएमके लिए करारा झटका था, लेकिन साल 2014 से साल 2019 के सियासी समीकरण बदले हुए हैं, पिछले आम चुनाव में AIADMK पार्टी ने जयललिता के नेतृत्व में जबरदस्त प्रदर्शन किया था लेकिन उनके निधन के बाद पार्टी को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा ,वो बिखराव के दौर से गुजरी है, ऐसी सूरत में क्या वो यहां वो फिर से अपनी जीत का परचम दोहरा पाएगी, ये एक बड़ा सवाल है तो वहीं डीएमके ने भी अपने शीर्ष नेता और पार्टी के पितामह करूणानिधि को खोया है, जिसका असर चुनावी नतीजों पर पड़ सकता है, ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं, फिलहाल इस सीट पर मुकाबला काफी कड़ा होगा, जिसमें जीत का सेहरा उसी के सिर बंधेगा, जिसको जनता का साथ मिलेगा, देखते हैं वो इस बार यहां किसका साथ देती है।
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