लोकसभा चुनाव 2019: महाराजगंज लोकसभा सीट के बारे में जानिए
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नई दिल्ली: बिहार के महाराजगंज से मौजूदा सांसद भाजपा के जनार्दन सिंह सिगरीवाल हैं। महाराजगंज उन चंद लोकसभा सीटों में शामिल है जहां बीजेपी ने पहली बार जीत दर्ज की। 2014 के चुनाव में जनार्दन सिंह सिगरीवाल ने दबंग प्रभुनाथ सिंह को हराकर इस जीत पर कब्जा जमाया था और बीजेपी का पहली बार यहां खाता खुला था।महाराजगंज को बिहार का चितौड़गढ़ भी कहा जाता है। राजपूतों का गढ़ रहे इस क्षेत्र में राजपूत सांसद ही चुने जाते रहे हैं। बाहुबली प्रभुनाथ सिंह, बाहुबली उमा शंकर सिंह के कारण महाराजगंज की सीट चर्चा में रही है। प्रभुनाथ सिंह इस वक्त हत्या के मामले में सज़ा काट रहे हैं। महाराजगंज से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर भी सांसद रहे थे। जाति से वे भी राजपूत थे।
महाराजगंज लोकसभा सीट का इतिहास
अतीत पर नज़र डालें तो 1957 से 1984 तक कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा रहा। 1989 में जनता दल के टिकट पर चंद्रशेखर ने जीत हासिल की। वे 1990 से 1991 तक देश के प्रधानमंत्री भी रहे। 1989 और 1991 में भी महाराजगंज की सीट पर जनता दल का कब्जा रहा। मगर, 1996 में आरजेडी ने यह सीट झटक ली। 1998 से लगातार तीन बार जेडीयू के टिकट पर प्रभुनाथ सिंह चुनाव जीतते रहे। 2009 में आरजेडी के बाहुबली उमा शंकर सिंह ने जीत हासिल की, मगर 2013 में प्रभुनाथ सिंह ने उपचुनाव में दोबारा इस सीट पर कब्जा कर लिया। महाराजगंज लोकसभा क्षेत्र में आरजेडी के पास तीन विधानसभा की सीटें हैं जबकि जेडीयू के पास दो सीटें हैं। एक सीट कांग्रेस के पास है। अगर सीटों के हिसाब से देखें तो गोरियाकोठी, बनियापुर और तरैया की सीटें आरजेडी के पास हैं, जबकि महाराजगंज और एकमा विधानसभा सीटों पर जेडीयू का कब्जा है। मांझी विधानसभा सीट कांग्रेस के पास है।
जनार्दन सिंह सिगरीवाल का लोकसभा में प्रदर्शन
बीजेपी सांसद जनार्दन सिंह सिगरीवाल ने अपने संसदीय क्षेत्र में सांसद निधि का उन्होंने भरपूर उपयोग किया है। पांच साल के लिए पूरी राशि उन्होंने जारी करवा ली है और काम पूरा कर दिखाया है। उनके कोष से 29 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। संसद में सिगरीवाल कितना सक्रिय रहे हैं इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि उन्होंने 87 बार बहस में हिस्सा लिया है और सांसद रहते हुए 406 सवाल पूछे हैं। संसद में प्राइवेट मेम्बर्स बिल की संख्या के मामले में भी उनका शानदार रिकॉर्ड है। वे 15 ऐसे बिल संसद में लेकर आए। संसद में उपस्थिति 82 फीसदी रही, जबकि राज्य के सांसदों की उपस्थिति की दर 87 फीसदी रही।
2019 के लोकसभा चुनाव में महाराजगंज की सीट पर मुकाबला कांटे का रहेगा। महागठबंधन की ओर से आरजेडी उमाशंकर सिंह को दोहरा सकती है। जेडीयू और बीजेपी के मिलकर चुनाव लड़ने से इस सीट पर बीजेपी का पलड़ा भारी रहने की सम्भावना है। फिर भी, अगर जातीय आधार पर गोलबंदी हुई तो मुकाबला कांटे का रहेगा क्योंकि इस सीट पर राजपूतों की सबसे ज्यादा तादाद है। दूसरे नम्बर पर भूमिहार, तीसरे नम्बर यादव और चौथे नम्बर पर ब्राह्मण हैं। बीजेपी के लिए खास बात ये है कि सवर्णों में उसका दबदबा है, वहीं महागठबंधन की ओर से आरजेडी सवर्ण उम्मीदवार देकर अपनी स्थिति मजबूत करेगी।