लोकसभा चुनाव 2019: लोहरदगा लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: झारखंड की लोहरदगा लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद भाजपा के सुदर्शन भगत हैं। उन्होंने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस नेता डॉक्टर रामेश्वर उरांव को 6, 489 वोटों के अंतर से हराया था। सुदर्शन भगत को 226,666 वोट मिले थे तो वहीं डॉक्टर रामेश्वर उरांव को मात्र 220,177 वोटों पर समझौता करना पड़ा था। उस साल इस सीट पर तीसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस के चमरा लिंडा रहे थे, लिंडा को 118, 355 वोट मिले थे तो वहीं चौथे स्थान पर रहे झारखंड विकास मोर्चा के वीरेंद्र भगत को केवल 261, 09 वोट ही प्राप्त हुए थे।
लोहरदगा लोकसभा सीट का इतिहास
लोहरदगा लोकसभा सीट में सबसे पहला आम चुनाव साल 1962 में हुआ था, जिसे कि कांग्रेस ने जीता था, साल 1967 और साल 1971 में भी यह सीट कांग्रेस के ही पास रही लेकिन 1977 का चुनाव यहां पर जनता पार्टी ने जीता, साल 1980 में यहां कांग्रेस की वापसी हुई और 1984 और 1989 में भी यहां पर कांग्रेस का ही राज रहा। साल 1991 में यहां पहली बार भारतीय जनता पार्टी जीती और साल 1996 में भी यह सीट भाजपा के ही नाम रही और लगातार दो बार इस सीट से ललित उरांव सांसद चुने गए, साल 1998 में यहां पर कांग्रेस को सफलता मिली लेकिन इसके एक साल बाद ही हुए चुनाव में भाजपा ने उससे अपनी हार का बदला ले लिया। साल 2004 में यहां कांग्रेस ने जीत दर्ज की लेकिन साल 2009 में एक बार फिर से यहां कमल खिला और साल 2014 में भी यह सीट भारतीय जनता पार्टी के ही नाम रही और सुदर्शन भगत लगातार दूसरी बार यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे, सांसद भगत को इस जीत का पुरस्कार भी मिला, उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री का कार्यभार सौंपा गया। गौरतलब है कि सुदर्शन भगत, 2000 में झारखंड बनने से पहले संयुक्त बिहार में पहली बार विधायक बने थे और जब झारखंड अलग राज्य बना तो वे शिक्षा राज्य मंत्री बनाए गए थे।
साल 1983 में लोहरदगा जिला अस्तित्व में आया था, रांची को तब तीन हिस्सों में बांटा गया था, जिसमें पहला हिस्सा था रांची, दूसरा था गुमला और तीसरा था लोहरदगा। लोहरदगा शहर का नाम दो हिंदी शब्दों 'लोहार' और 'दागा' से मिलकर बना है। कृषि ही यहां की प्रमुख आय का श्रोत है, धान यहां की मु्ख्य फसल है, यहां की जनसंख्या 18,68,433 है, जिसमें से 93.44% लोग गांवों में और 6.56% लोग शहरों में रहते हैं, यहां पर 2.69% लोग एससी वर्ग के और 64.04% लोग एसटी वर्ग के हैं और इसी वजह से यह सीट ST वर्ग के लिए आरक्षित है। साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 11,19,144 थी, जिसमें से केवल 6,51,460 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग यहां पर किया था, जिसमें पुरुषों की संख्या 3,33,938 और महिलाओं की संख्या 3,17,522 थी।
कभी कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली लोहरदगा लोकसभा सीट पर पिछले दस सालों से भाजपा राज कर रही है, यही नहीं पिछले चुनाव में यहां बीजेपी ने इस सीट समेत पूरे राज्य में जबरदस्त प्रदर्शन किया था, उसने राज्य की 14 सीटों में से 12 सीटें अपने नाम की थी लेकिन क्या इस बार भी यहां कमल खिलेगा, यह एक बड़ा सवाल है, इसमें कोई शक नहीं कि सुदर्शन भगत की जीत में मोदी लहर का भी हाथ था, पिछला चुनाव भाजपा ने विकास के नाम पर लड़ा था इसलिए इस बार की जीत और हार इस बात पर भी निर्भर करेगी कि यहां की जनता सुदर्शन भगत के कामों से किस हद तक संतुष्ट है, देखते है इस बार लोहरदगावासी भाजपा को जीत की हैट्रिक पूरी करने देते हैं या नहीं।