प्रियंका संवारेंगी कांग्रेस की तस्वीर, इन 5 तरकीबों से BJP को सीधी टक्कर दे सकती है कांग्रेस
नई दिल्ली। मयंक दीक्षित- कांग्रेस की खस्ता स्थिति को पटरी पर लोन के लिए नेतृत्व में 'सुपर मंथन' चल रहा है। खबर है कि प्रियंका वाड्रा कांग्रेस में बड़ी भूमिका निभाएंगी और पार्टी नेतृत्व ने भी इस सुझाव को सहारा समझकर मान लिया है। समझा जाता है कि आगामी विधान सभा चुनावों के बाद प्रियंका सक्रिय रूप से पार्टी में काम करना शुरू कर देंगी।
इकोनॉमिक टाइम्स अखबार की मानें तो प्रियंका को या तो पार्टी में बड़ा ओहदा दिया जा सकता है अथवा उत्तर प्रदेश कांग्रेस का प्रमुख बनाया जा सकता है। अगर गहराई से चिंतन किया जाए तो तस्वीर उभर कर आ रही है कि कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने में जितना हाथ बाहरी पक्ष का है उससे कहीं ज्यादा भीतरी बगावत जिम्मेदार है। अगर पार्टी को अपना अस्तित्व बचाते हुए जल्द ही किसी बड़ी फतह की ओर बढ़ना है तो उसे इन उपायों पर गंभीरता से विचार करना होगा-
तरकीब नंबर 1-
पार्टी के कुछ ऐसे दिग्गजों को बाहर का रास्ता दिखाए जिनकी वजह से पार्टी की भ्रष्टाचारी और घमंडी छवि बन रही है। उदाहरण के लिए मणिशंकर अय्यर, सलमान खुर्शीद, अभिषेक मनु सिंधवी, सुरेश कलमाडी और श्रीप्रकाश जायसवाल जैसे कुछ कांग्रेसियों पर उसे लगाम कसनी होगी। इसी सूची में बेनी प्रसाद वर्मा का नाम भी इस सूची में शामिल कर लें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। राजनीति के जानकार मानते हैं कि ये नेता ना तो खुद जीतते हैं ना ही पार्टी को किसी तरह की जीत दिलाने का दम रखते हैं।
तरकीब नंबर 2-
प्रियंका वाड्रा को प्रमोट कर उनकी नीतियों पर कांग्रेस को चलने के लिए तैयार होना चाहिए। इसे भले ही एक पक्ष का लेख मान लिया जाए पर यह लगभग सभी जानकार मान चुके हैं कि राहुल के पास राजनैतिक साफगोई व स्प्ष्ट अनुभवी नीतियां नहीं हैं। राहुल ने दलितों की मदद करने की कोशिश तो की, लेकिन वो अपनी मदद को जाति आधारित वोट बैंक में तब्दील नहीं कर पाए।
तरकीब नंबर 3-
आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को पूरी ताकत झोंकनी होगी। भाजपा इन चुनावों में कुछ गलतियां करती है तो कांग्रेस को इस मौके का पूरा फायदा उठा सकती है। मौजूदा दौर में अरविंद केजरीवाल व उनकी पार्टी पूरी तरह बैकफुट में चल रही है। कांग्रेस के पास भूल-सुधार का इससे अच्छा मौका नहीं हो सकता।
तरकीब नंबर 4-
पार्टी को नए चेहरों को प्रमोट करना होगा और उन्हें ताकत देनी होगी। अब प्रियंका, दीपेंद्र हुड्डा, सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे सक्रिय नेताओं को वैसाखी बनाना होगा। पार्टी को युवाओं के पद-प्रतिष्ठा से ज्यादा प्रतिभा पर ध्यान देना होगा व उन्हें साथ लेकर आगे बढ़ना होगा।
तरकीब नंबर 5-
कांग्रेस को हार से उबरने के लिए अपनी हार को स्वीकारना होगा। जनता को भरोसे में लेते हुए कहना हेागा कि सीडब्ल्यूजी और टूजी जैसे घोटाले दोबारा नहीं होंगे?साथ ही साथ एक आखिरी मौके का वादा लेकर फिर से जन-समर्थन जुटाना होगा। इसी देश में इतिहास कई बार दोहराया गया है व पलटा गया है। 2004 के बाद बीजीपी के लिए भी यही सब कहा जा रहा था जो आज कांग्रेस के लिए लोग कह रहे हैं। इतिहास पलटा, वर्तमान ने रिकॉर्ड बनाया अब भविष्य पर पकड़ बनाना प्राथमिकता होनी चाहिए।