तीन मूर्ति पर पीएम मोदी ने विजिटर्स बुक पर लिखा यह संदेश, बेंजामिन की यात्रा पर किया ट्वीट
पहली बार 6 दिन की भारत आए बेंजामिन नेतन्याहू,
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नई दिल्ली। आज इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू 6 दिवसीय दौर पर भारत आए हैं। इन दौरान वो सबसे पहले तीन मूर्ति स्मारक पहुंचे। बता दें कि दोनों नेताओं ने स्मारक पर विजिटर्स बुक पर हस्ताक्षर भी किया। इसके साथ ही भारतीय सेना के जवानों को श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने विजिटर्स बुक में लिखा कि 'यह विश्व युद्ध -1 के अंत की 100 वीं वर्षगांठ है भारतीय बहादुरों के बलिदान को कई स्वर्ण पन्नों में विश्व युद्ध के इतिहास को लिखा गया है ....इजरायल के प्रधानमंत्री की उपस्थिति में तीन मूर्ति का हाइफा चौक नामकरण करना इस ऐतिहासिक अवसर का प्रतीक है। हम बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हैं। निस्वार्थ बलिदान और तपस्या की महान भारतीय परंपराओं को सलाम।'
पीएम मोदी ने ट्वीट कर स्वागत भी किया
नेतन्याहू के भारत आगमन पर पीएम मोदी ने ट्वीट कर उनका स्वागत भी किया। उन्होंने लिखा कि- 'मेरे दोस्त पीएम नेतन्याहू आपका भारत में स्वागत है। आपकी यह यात्रा विशेष और ऐतिहासिक है। यह यात्रा दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत करेगी।' इसके जवाब में नेतन्याहू ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि- ' हम भारत पहुंच चुके हैं। हार्दिक स्वागत के लिए बहुत शुक्रिया मेरे अच्छे दोस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।'
पहली बार भारत आए
बता दें कि बेंजामिन नेतन्याहू अपनी छह दिनों की यात्रा के लिए पहली बार भारत आए हैं। नेतन्याहू पीएम मोदी के साथ एयरपोर्ट से सीधे तीन मूर्ति चौक पहुंचकर, भारतीय सेना के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी। आज तीन मूर्ति चौक का नाम भी बदलकर इसे हाईफा तीन मूर्ति चौक रखा जाएगा। पीएम मोदी और बेंजामिन नेतन्याहू ने तीन मूर्ति चौक पर विजिटर्स बुक में साइन भी किए। नेतन्याहू अपने साथ 130 प्रतिनिधि को भी भारत लेकर आए हैं।
हाईफा तीन मूर्ति चौक रखा
नेतन्याहू, पीएम मोदी के साथ एयरपोर्ट से सीधे तीन मूर्ति चौक पहुंचकर, भारतीय सेना के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी। आज तीन मूर्ति चौक का नाम भी बदलकर इसे हाईफा तीन मूर्ति चौक रखा जाएगा। पीएम मोदी और बेंजामिन नेतन्याहू ने तीन मूर्ति चौक पर विजिटर्स बुक में साइन भी किए। नेतन्याहू अपने साथ 130 प्रतिनिधि को भी भारत लेकर आए हैं।
रिश्ते किसी एक वोट से कहीं ज्यादा मजबूत
बता दें कि यूएन में भारत ने येरूशलम को इजराइली राजधानी घोषित करने के विरोध में वोटिंग की थी। जिसके बाद ऐसा लग रहा था कि दोनों मित्र देशों के बीच रिश्तों में कुछ खटास पैदा हो सकती है। लेकिन इस घटना के एक महीने बाद ही बेंजामिन नेतन्याहू ने भारत आकर साबित कर दिया कि दोनों देशों के रिश्ते किसी एक वोट से कहीं ज्यादा मजबूत और महत्वपूर्ण है।