Republic Day 2019: प्रेम बिहारी रायजादा, जिन्होंने पूरा संविधान हाथ से लिखा और एक पैसा भी नही लिया
नई दिल्ली: आज 26 जनवरी है। आज से 69 साल पहले हमने संविधान को अपनाया था। साल 1950 में संविधान को अपनाने के साथ ही भारत गणतंत्र बना और पहले आम चुनाव साल 1952 में हुए।हालाँकि हम डॉ भीमराव अंबेडकर के नाम के साथ विशालकाय दुनिया में सबसे लंबे 395 आर्टिकल, 22 भाग और 8 अनुसूचियों के साथ जो उस समय के शासनापत्र ) संविधान को जोड़ते हैं, जो हमारे पास है, लेकिन प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा के बारे में ज्यादा चर्चा नहीं करते हैं।
1901 में दिल्ली में पैदा हुए रायजादा, जिन्होंने सारे दस्तावेज टाइपराइटर की सहायता से नहीं बल्कि अपने हाथों से लिखे। सारा संविधान हाथ से उन्होंने हाथ से बिना किसी गलती के लिखा। इस तथ्य के बावजूद कि पूरे संविधान को लिखने में लंबा समय लगा, इसमें असंगति का एक भी निशान नहीं और प्रवाहपूर्ण इटैलिक शैली जिसमें इसे लिखा गया था, सुलेख उत्कृष्टता के सर्वोत्तम उदाहरणों में से एक है।
जवाहर लाल नेहरु के सामने रखी शर्त
रायजादा जिनके दादा रामप्रसाद जो अंग्रेजी और फारसी के जाने माने विद्वान थे, जिन्होंने अपने दादा से ये सुलेश कला सीखी थी। उन्होंने अपने माता पिता की मौत के बाद अपने साथ अपने चार भाईयों का भी पालन पोषण किया था। सेंट स्टीफन से स्नातक रायजादा को जब संविधान लिखने के लिए चुना गया तो रायजादा ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु से साफ कह दिया कि वो संविधान लिखने के लिए एक भी पैसा फीस के तौर पर नहीं लेंगे।
संविधान के हर पेज हो मेरा नाम
उन्होंने नेहरु से कहा, " मुझे एक भी पैसा नहीं चाहिए। भगवान की कृपा से मेरे पास सभी चीजें और मैं अपने जीवन से काफी खुश हूं। लेकिन मेरी एक शर्त है। मे संविधान के हर पेज पर अपना नाम लिखूंगा और संविधान के आखिरी पेज पर अपना नाम अपने दादा के साथ लिखूंगा"। रायजादा की ये इच्छा मान ली गई। इस काम में उन्होंने 250 से ज्यादा पेन होल्डरों की निब का इस्तेमाल किया।
1950 में संविधान सभा ने किए हस्ताक्षर
संविधान के मूल संस्करण, जिसके लागू होने के बाद से इसमें कई संशोधन हुए हैं, उस पर संविधान सभा के सभी सदस्यों द्वारा जनवरी 1950 में हस्ताक्षर किए गए थे। संविधान के दस्तावेज के प्रत्येक पेज को शांति निकेतन के प्रसिद्ध विद्वानों जिसकी अगुवाई नंदलाल बोस ने की थी, उन पेजों को उच्च गुणवत्ता वाली कला से सजाया गया था। भारतीय इतिहास के विभिन्न अनुभवों और आंकड़ों को संविधान के इन पन्नों में दर्शाया गया है। देश के लक्ष्यों और आदर्शों को रेखांकित करने वाले महान दस्तावेजों पर महात्मा गांधी को छोड़कर कई नेताओं ने हस्ताक्षर किए थे, जो तब नहीं रहे जब यह लागू हुआ था।