आसान नहीं होगा पीएम की रैली में शरारती तत्वों का पहुंचना, पुलिस कर रही है इस तकनीक का इस्तेमाल
नई दिल्ली। जिस तरह से देशभर में नागरिकता संशोधन कानून, नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा है उसके बीच पीएम मोदी की रैली को लेकर विशेष सतर्कता बरती जा रही है। प्रधानमंत्री की रैली में आने वाले हर व्यक्ति की पुलिस ठीक से पहचान कर रही है और इसके लिए ऑटोमैटिक फेशियल रिक्गनिशन सॉफ्टवेयर यानि एएफआरएस का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तकनीक का इस्तेमाल करके तकरीबन डेढ़ लाख लोगों की पहचान की गई है। दरअसल 22 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी की रैली दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई थी।
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रैली के दौरान हुआ इस्तेमाल
जानकारी के अनुसार देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि राजनीतिक रैली में पुलिस ने एएफआरएस तकनीक का इस्तेमाल किया है। रैली के दौरान किसी भी तरह की अप्रिय घटना नहीं हो इसके लिए पुलिस ने तमाम लोगों के चेहरे का मिलान उन लोगों से किया था जो नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ रैली या विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए थे। बता दें कि इससे पहले इस तकनीक का इस्तेमाल 2018 में किया गया था जब दिल्ली हाई कोर्ट ने गुमशुदा बच्चों को खोजने का आदेश दिया था। पुलिस ने बच्चों की तलाश सकेक लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया था।
तीन बार हो चुका है इस्तेमाल
एएफआरएस तकनीक का इस्तेमाल 22 दिसंबर से पहले तीन बार हुआ है। दो बार इस तकनीक का इस्तेमाल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर किया गया जबकि एक बार इसका इस्तेमाल गणतंत्र दिवस के मौके पर किया गया है। 22 दिसंबर को पीएम मोदी की रैली में आने वाले लोगों को इस सुरक्षा जांच से होकर गुजरना पड़ा। रैली स्थल में प्रवेश करने के लिए एक तरफ मेटल डिटेक्टर लगे थे तो दूसरी तरफ कंट्रोल रूम बनाया गया था जहां पर फेशियल डेटासेट से लोगों के चेहरे का मिलान किया जा रहा था।
डेड़ लाख लोगों का डेटा तैयार
सूत्रों की मानें तो दिल्ली पुलिस ने तकरीबन डेढ़ लाख हिस्ट्री शीटर्स के फोटो सेट तैयार किए हैं। जिसके जरिए इन तमाम अपराधियों पर नजर रखी जाती है। इन डेढ़ लाख लोगों के फोटो डेटा में 2000 संदिग्ध आतंकवादी भी शामिल है। दरअसल यह इसलिए किया गया है ताकि ये लोग किसी भी आयोजन में किसी तरह की गड़बड़ी ना फैलाएं। पुलिस समय समय पर इन लोगों की जांच करती रहती है। गौरतलब है कि एनारसी, सीएए के खिलाफ दिल्ली के अलग अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। ऐसे में पुलिस तकनीक के इस्तेमाल से लोगों के चेहरे का मिलान करती है।