Modi-Xi Meet: साल 2013 में बराक ओबामा के साथ मीटिंग जैसी है इस बार मोदी और जिनपिंग की मुलाकात
। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम चीन के वुहान शहर के लिए रवाना होंगे और कल दोपहर वुहान पहुंच जाएंगे। 27 और 28 अप्रैल को पीएम मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम चीन के वुहान शहर के लिए रवाना होंगे और कल दोपहर वुहान पहुंच जाएंगे। 27 और 28 अप्रैल को पीएम मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। जिनपिंग और मोदी की मुलाकात से अंतरराष्ट्रीय मसलों पर नजर रखने वाले तमाम लोगों को जून 2013 में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात याद आ गई है। जिनपिंग और मोदी के बीच इस मुलाकात में काफी समानताएं हैं और कई बातें ऐसी हैं जो उस मीटिंग जैसी दिखती हैं। जिनपिंग और मोदी की इस मुलाकात का मकसद दोनों देशों के बीच मौजूद तनाव को कम करना है। साल 2013 में चीन और अमेरिका जासूसी और हैकिंग की वजह से आमने-सामने थे। अमेरिका ने चीन की कई कंपनियों पर हैकिंग के जरिए जासूसी करने का आरोप लगाया था। भारत और चीन के बीच भी पिछले वर्ष हुए डोकलाम विवाद के बाद काफी तनाव है।
चीन और अमेरिका के बीच कोल्ड वॉर जैसे हालात
जिनपिंग ने साल 2012 में चीन का शासन संभाला था और उसी समय ओबामा दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए थे। जिनपिंग नए थे और अमेरिका के साथ चीन के संबंधों का पारा कभी चढ़ता तो कभी उतर जाता। इन सबके बीच चीन पर अमेरिका के मिलिट्री सिस्टम को हैक करने और उसकी जासूसी का आरोप लगा तो चीन ने भी अमेरिकी कंपनियों जैसे गूगल और फेसबुक पर उसकी जासूसी का आरोप लगाया। एक के बाद एक कई बयान आए और उन समय चीन और अमेरिका के संबंधों को कोल्ड वॉर तक करार दे दिया गया। इन सभी बातों को किनारे करके ओबामा ने जिनपिंग को अमेरिका आने का न्यौता दिया। दोनों नेता कैलिफोर्निया के सनीलैंड्स में मिले और यहां पर एक नए दौर की शुरुआत हुई। ओबामा ने मुलाकात के बाद चीन के साथ शांतिपूर्ण संबंधों की उम्मीद भी जताई थी। हालांकि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद चीन के साथ अमेरिका के रिश्ते फिर से बिगड़ गए हैं।
डोकलाम के बाद बिगड़े संबंध
भारत और चीन के बीच संबंध पिछले वर्ष यूं तो जून से बिगड़ने शुरू हुए जब चीन-भूटान-भारत के बीच स्थित डोकलाम में दोनों देशों की सीमाएं सड़क निर्माण के बाद आमने-सामने थीं। लेकिन संबंधों के बिगड़ने की शुरुआत अप्रैल से ही हो चुकी थी जब भारत ने तिब्बितयों के धर्मगुरु दलाई लामा को अरुणाचल प्रदेश का दौरा करने की इजाजत दी। कई लोग इस बात को मानते हैं कि पिछले वर्ष दलाई लामा के अरुणाचल दौरे ने चीन की भावनाओं को भड़का दिया था। इसके बाद साल 2017 में चीन की तरफ से एक के बाद एक गुस्ताखियां जारी रहीं। इसके बाद जून में डोकलाम विवाद हुआ जो 73 दिन बाद अगस्त माह में खत्म हो सका। चीन के साथ संबंधों को सुधारने की कोशिशें फरवरी माह से ही चीन के साथ संबंधों को सुधारने की प्रक्रिया जारी है। 22 फरवरी को भारत की ओर से सरकार के मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों को एक नोट जारी किया गया था। इस नोट में कहा गया था दलाई लामा के भारत पहुंचने के 60 वर्ष पूरे होने के मौके पर जो भी कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं, उसमें शामिल होने से बचा जाए।
अब तक हो चुकी है 20 दौर की वार्ता
भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा है जिसे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी कहते हैं। दोनों पक्षों की ओर से अब तक 20 दौर की वार्ता सीमा विवाद को सुलझाने के लिए हो चुकी है। चीन के उप-विदेश मंत्री कॉन्ग जुशुआन ने कहा कि निश्चित तौर पर सीमा से जुड़ा महत्वपूर्ण है। दोनों पक्षों को इस पर साथ मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि एक अच्छा माहौल तैयार हो सके और फिर धीरे से इस समस्या को सुलझाया जा सके। कॉन्ग का कहना था कि सीमा पर विवाद का सही निर्धारण सहयोग, आपसी समझ और दोनों देशों के बीच आपसी भरोसे को बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि चीन और भारत दोनों को आपसी भरोसे को बढ़ाने के लिए बहुत सारे प्रयास करने हैं।
पहली बार जिनपिंग खुद करेंगे स्वागत
चीन इस हफ्ते जब पीएम मोदी चीन जाएंगे तो वह चौथा मौका होगा जब पीएम चीन का दौरा करेंगे। साल 2014 में सत्ता संभालने के बाद वह पहली बार द्विपक्षीय दौरे पर साल 2015 में चीन गए थे। इस समय राष्ट्रपति जिनपिंग की जगह प्रधानमंत्री ली केकियांग ने पीएम मोदी का स्वागत किया था। हालांकि जिनपिंग ने सियान जाकर मोदी से मुलाकात की थी। इस बार जब पीएम मोदी वुहान पहुंचेंगे तो खुद जिनपिंग उनका स्वागत करेंगे। सिर्फ इतना ही नहीं जिनपिंग दोनों दिन पीएम मोदी के साथ मौजूद रहेंगे। मोदी साल 2016 में जी-20 समिट के लिए और साल 2017 में ब्रिक्स समिट के लिए चीन गए थे। ब्रिक्स समिट के लिए पीएम मोदी सितंबर 2017 में जब चीन गए थे तो डोकलाम विवाद के बाद वह सबसे अहम दौरा था।