जिस मिसाइल सिस्टम की वजह से चीन-अमेरिका में हुई तनातनी, वही रूस से खरीदने जा रहा भारत!
नई दिल्ली। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन पांच अक्टूबर को भारत आने वाले हैं। पुतिन यहां पर 19वीं इंडो-रशियन समिट में हिस्सा लेने के लिए आ रहे हैं। खास बात है कि उनके भारत दौरे से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट कमेटी की ओर से एस-400 ट्राइम्फ एयर डिफेंस सिस्टम को खरीदने की मंजूरी दे दी गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है। दिलचस्प है कि इसी मिसाइल डिफेंस सिस्टम के रूस से खरीदने की वजह से पिछले दिनों अमेरिका ने चीन पर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। रूस के साथ डील करीब 5.43 बिलियन डॉलर की है। सरकार ने चीन पर लगे प्रतिबंधों की परवाह किए बिना इस डील पर आगे बढ़ने का फैसला किया है।
आईएएफ को देगी ताकत
सूत्रों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक भारत को कुल रकम की सिर्फ 15 प्रतिशत कीमत अदा करना होगी और वह भी फाइनल कॉन्ट्रैक्ट के साइन होने पर। बाकी की रकम डिफेंस सिस्टम की डिलीवरी पर दी जाएगी। इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) को एस-400 मिसाइल की पहली स्क्वाड्रन मिलेगी। करीब 24 माह यानी दो वर्षों के अंदर पूरी तरह से यह सिस्टम स्क्वाड्रन का हिस्सा होगा जिसमें कमांड पोस्ट्स लेकर, लॉन्चर्स, लॉन्चर व्हीकल्स समेत कई अहम चीजें शामिल होंगी। सभी पांच स्क्वाड्रन्स को आने में कम से कम पांच वर्ष का समय लगेगा। एस-400 सिस्टम 100 से 300 टारगेट को एक साथ भेद सकते हैं। इन सिस्टम को शहरों और न्यूक्लियर पावर प्लांट्स जैसे संवेदनशील ठिकानों की सुरक्षा के अलावा युद्ध के दौरान भी तैनात किया जा सकता है।
प्रतिबंधों पर सख्त अमेरिका
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक अमेरिका की ओर से कहा गया है कि अगर भारत ने रूस से हथियार खरीदे तो फिर से प्रतबिंधों के दायरे से बाहर नहीं रखा जाएगा। रूस पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से कोई भी देश अगर रूस से हथियार खरीदता है या फिर रक्षा क्षेत्र में कोई भी सौदा करता है तो फिर से व्हाइट हाउस की ओर से प्रतिबंधों को झेलने के लिए तैयार रहना होगा। भारत की ओर से पहले ही कह दिया गया है कि वह रूस के साथ अपने रक्षा संबंध खत्म नहीं कर सकता है क्योंकि देश के पास मौजूद कई उपकरण रूसी या फिर सोवियत संघ के दौर के हैं।
चीन पर लगे हैं इसी हफ्ते प्रतिबंध
भारत करीब 60 प्रतिशत रक्षा उपकरण रूस से आयात करता है। हालांकि पिछले एक दशक के दौरान इसमें कुछ कमी आई है। अब भारत, अमेरिका का सबसे बड़ा रक्षा साझीदार बन गया है। भारत ने अमेरिकी कंपनियों से कई बड़ी डील साइन की हैं। भारत और अमेरिका के बीच रक्षा व्यापार जीरो से बढ़कर 15 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। भारत को इस बात की उम्मीद थी कि अमेरिका की तरफ से थोड़ी राहत मिल सकती है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन की तरफ से चीन पर इसी हफ्ते प्रतिबंध लगाए गए हैं।