भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री, यूथ कांग्रेस से शुरू हुआ था सियासी सफर
नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने आखिरकार भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ की कमान सौंपी है। रायपुर में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय मुख्यालय में कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया, पर्यवेक्षक बनाए गए मल्लिकार्जुन खड़गे ने भूपेश बघेल के नाम का ऐलान किया। कहा जा रहा है कि भूपेश बघेल को सीएम पद का तोहफा उनकी कड़ी मेहनत की वजह से मिला है, उन्होंने ही राज्य में मरणासन्न पड़ी कांग्रेस के अंदर जान फूंकने का काम किया है।
आइए एक नजर डालते हैं भूपेश बघेल के सियासी सफऱ के बारे में
यूथ कांग्रेस के साथ शुरू की थी सियासी पारी
- 23 अगस्त 1961 को दुर्ग में जन्मे भूपेश बघेल ने 80 के दशक में यूथ कांग्रेस के साथ अपनी सियासी पारी शुरू की थी।
- 1990 से 94 तक वह जिला युवक कांग्रेस कमेटी दुर्ग (ग्रामीण) के अध्यक्ष रहे। 1993 से 2001 तक मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड के निदेशक रहे।
- 2000 में छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना, तब उन्होंने पाटन विधानसभा सीट से जीत हासिल की।
- इसके बाद वह कैबिनेट मंत्री भी बने।
- 2003 में कांग्रेस की सरकार गई तो उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था।
भूपेश बघेल की छवि एक तेज-तर्रार नेता की
भूपेश बघेल की छवि एक तेज-तर्रार नेता की रही है, उन्होंने पार्टी संगठन को एकजुट बनाए रखा और प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस की वापसी को पार्टी का संकल्प बना लिया। इन्होंने रमन सिंह सरकार के लिए गए कई फैसलों के खिलाफ खुलकर आंदोलन किया, जिसके बाद सरकार को अपने फैसले वापस लेने पड़े थे, जिसमें एक था भू राजस्व संहिता संशोधन का कानून , जिस पर काफी बवाल मचा था।
मुश्किल वक्त में संभाली पार्टी की कमान
मालूम हो कि पिछले चुनावों में हार के बाद उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। अध्यक्ष बनने के बाद से लगातार पूरे प्रदेश में लंबी लंबी पदयात्राएं कीं जिससे संगठन में अनुशासन के साथ जान फूंकने में सफलता पाई।
कांग्रेस के संगठन को किया मजबूत
पहली बार कांग्रेस के संगठन को बूथ के स्तर तक ले जाने के लिए कड़ा परिश्रम किया और सभी नेताओं को साथ लेकर प्रशिक्षण आदि के कार्यक्रम चलाए जिसका लाभ पार्टी को मिला और आज राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है।
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