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केंद्र ने समलैंगिक विवाह को मान्यता का दिल्ली HC में किया विरोध, कहा- ये हमारी संस्कृति के खिलाफ

समलैंगिक विवाह हमारी संस्कृति के खिलाफ : दिल्ली HC में केंद्र

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में उस याचिका का विरोध किया है, जिसमें समलैंगिक विवाह को हिंदू मैरिज एक्ट, 1956 में मान्यता देने की मांग की गई है। केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की खंडपीठ के सामने कहा कि इस मांग को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। अगर ये अनुमति दी जाती है, तो ये पहले से जो वैधानिक प्रावधानों हैं, उनके खिलाफ होगा।

सॉलिसिटर जनरल ने कही ये बात

सॉलिसिटर जनरल ने कही ये बात

तुषार मेहता ने अदालत में कहा कि हमारा कानून, समाज और मूल्य इस तरह के विवाह को मान्यता नहीं देते हैं। जिसमें मर्द की मर्द या औरत की औरत से शादी हो। सॉलिसिटर जनरल मेहता ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ का फैसला समलैंगिकता और एक ही लिंग के लोगों को बीच शादी को सिर्फ अपराध नहीं मानता है, ना इससे कुछ ज्यादा, ना कुछ कम।

क्या मांग करती है याचिका

क्या मांग करती है याचिका

दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से देश में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटाए के बावजूद हिन्दू मैरिज एक्ट में समलैंगिकों को शादी की इजाजत नहीं दी गई है। क्योंकि 1956 के हिन्दू मैरिज एक्ट की धारा 5 में समलैंगिक और विषमलैंगिक जोड़ों के बीच अंतर नहीं किया गया है, इसलिए समलैंगिक जोड़ों को विवाह के अधिकार के तहत मान्यता दी जानी चाहिए और इसको लेकर आदेश जारी किया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया कि अब तक कानून में एलजीबीटी समुदाय को व्यक्तिगत रूप से मानता है ना कि जोड़े के तौर पर। एलजीबीटी समुदाय को विवाह का विकल्प न देना यह पूरी तरह से भेदभावपूर्ण है और दोयम दर्ज के तौर पर उन्हें मनना है। समलैंगिक जोड़ों को भी वहीं सारे फायदे दिए जाने चाहिए जो एक विवाहित जोड़े को दिया जाते हैं।

अक्टूबर में फिर से सुनवाई

अक्टूबर में फिर से सुनवाई

सोमवार को कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से उन लोगों की लिस्ट सौंपने के लिए कहा है जिन्होंने हिंदू मैरिज एक्ट के तहत समलैंगिक शादी का रजिस्ट्रेशन करने से मना कर दिया गया था। बता दें कि एलजीबीटी समुदाय के चार सदस्यों ने मिलकर ये जनहित याचिका दायर की है, जिसकी सुनवाई दिल्ली के चीफ जस्टिस एचसी डीएन पटेल और जज प्रतीक जालान की पीठ कर रही है। इस मामले पर अब अक्टूबर में कोर्ट फिर से सुनवाई करेगा।

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English summary
Our values dont recognise same sex marriage Centre in Delhi High court
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