कुतुब मीनार परिसर से भगवान गणेश की प्रतिमाएं हटाने की योजना नहीं- ASI,जानिए क्या है पूरा मामला
नई दिल्ली, 18 अप्रैल: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने कहा है कि कुतुब मीनार परिसर में स्थित भगवान गणेश की प्रतिमाओं को हटाने की उसकी कोई योजना नहीं है। इस बीच अदालत ने इस मामले में यथास्थिति बरकरार रखने को कहा है। दरअसल, 12वीं सदी के कुतुब मीनार परिसर में भगवान गणेश की दो प्रतिमाएं मौजूद हैं, और उन्हें धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर परिसर में ही उचित स्थान पर स्थापित करने की मांग को लेकर याचिका डाली गई है। इसी पर सुनवाई के दौरान अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने को कहा है और एएसआई ने प्रतिमाओं को परिसर से बाहर ले जाने की किसी भी तरह की योजना से इनकार किया है।
कोर्ट ने यथास्थिति बरकार रखने को कहा
दिल्ली की एक अदालत ने कुतुब मीनार परिसर में भगवान गणेश से संबंधित मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को यथास्थिति बरकार रखने को कहा है। अदालत ने पाया कि वह इस मामले में याचिकाकर्ता को नजरअंदाज नहीं कर सकता, जिन्होंने कुतुब मीनार परिसर से एएसआई को गणेश प्रतिमाओं को वापस लेने से रोकने के लिए याचिका डाली थी। इससे पहले इंडियन एक्सप्रेस ने एक रिपोर्ट दी थी कि राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण ने एएसआई से कहा था कि कुतुब मीनार परिसर से दोनों गणेश प्रतिमाओं को वापस निकाले। अथॉरिटी के चेयैरमैन के मुताबिक 'मूर्तियों को वहां रखना अपमानजनक है' और उसे राष्ट्रीय संग्रहालय में ले जाया जाए।
भगवान ऋषभ देव की ओर से दायर है याचिका
यह याचिका प्रमुख देवता भगवान ऋषभ देव की ओर से दायर की गई थी, जिसमें अदालत से एएसआई को गणेश प्रतिमा को वापस हटाने से रोकने और उन्हें 'पूरे सम्मान के साथ, इसी प्रॉपर्टी के भीतर ही एक सम्मानित जगह पर' स्थापित करने को कहा था। साकेत कोर्ट में एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज निखिल चोपड़ा ने कहा कि उनकी राय है कि अपीलकर्ता की चिंता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने प्रतिवादियों को सुनवाई की अगली तारीख तक यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा है। उस दिन याचिका से जुड़े तथ्यों पर दलीलें भी सुनी जाएंगी।
परिसर में ही सम्मानित जगह पर स्थापित करने की मांग
यह मुकदमा वकील हरि शंकर जैन लड़ रहे हैं, जिसमें एएसआई को इन प्रतिमाओं को हटाकर राष्ट्रीय संग्रहाल या किसी भी दूसरी जगह स्थापित करने से रोकने की अपील की गई है। मुकदमा में कहा गया है कि यह राष्ट्रीय शर्म की बात है कि जिन भगवान गणेश की करोड़ों हिंदू पूजा करते हैं, वह ऐसी जगह पर पड़े हुए हैं, जो कि 'भगवान गणेश के करोड़ों भक्तों की भावनाओं को आहत करने वाली अत्यंत दयनीय स्थिति' है। मुकदमे में यह कहा गया है कि एएसआई डायरेक्टर की यह जिम्मेदारी है कि वह सभी देवी-देवताओं और प्रतिमाओं का हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए उनका रख-रखाव करे। इसके मुताबिक एएसआई को एनएमआई के चेयरमैन के सुझाव के मुताबिक भगवान गणेश की प्रतिमाओं को प्रॉपर्टी से बाहर ले जाने का कोई अधिकार नहीं है।
कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद का हिस्सा हैं दोनों पवित्र प्रतिमाएं
गणेश की ये दोनों प्रतिमाएं 'उल्टा गणेश' और 'पिंजरे में गणेश' के नाम से जानी जाती हैं और 12वीं सदी के यह कुतुब मीनार परिसर में मौजूद हैं, जिसे 1993 में यूनेस्को ने वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया था। 'उल्टा गणेश' परिसर में मौजूद कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद की दक्षिण ओर वाली दीवार का हिस्सा हैं, जबकि 'पिंजरे में गणेश' उसी मस्जिद के भू-तल के नजदीक लोहे के पिंजरे में बंद हैं।