मजदूरों की परेशानियों को लेकर मानवाधिकार आयोग का राज्यों, रेलवे और गृह मंत्रालय को नोटिस
नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने मजदूरों को शहरों से गावों को लौटने में आ रही परेशानियों को लेकर गुजरात और बिहार की सरकार, गृह मंत्रालय और रेलवे को नोटिस जारी किया है। आयोग ने मीडिया में आ रही खबरों पर संज्ञान लेते हुए ये नोटिस जारी किया है। आयोग ने कई रेलगाड़ियों के रास्ता भटक दूसरे सूबों में पहुंच जाने, ट्रेन में खाना-पानी ना होना और ट्रेन के अंदर और प्लेटफार्म पर मजदूरों की मौत जैसे मामले शामिल हैं।
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मानवाधिकार आयोग ने गुजरात और बिहार मुख्य सचिवों से पूछा है कि ट्रेन में सवार हुए प्रवासी कामगारों के लिए चिकित्सकीय सहायता समेत अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए क्या कदम इन सरकारों ने उठाए। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और केंद्रीय गृह सचिव से भी चार हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा है। आयोग की ओर से कहा गया है कि ट्रेन में सवार मजदूरों के जीवन की रक्षा करने में सरकार विफल रही है।
आयोग की ओर से मजदूरों की मौतों और उनके साथ अमानवीय बर्ताव के कुछ मामलों का जिक्र भी किया गया है। आयोग ने मुजफ्फरपुर सासाराम और दूसरे शहरों में ट्रेन में सफर के दौरान हुई मौतों का मामला उठाया है। वहीं गुजरात के सूरत से निकली एक ट्रेन के नौ दिन के बाद बिहार पहुंचने का हवाला देते हुए पूछा है कि जिस तरह की परेशानी इस दौरान मजदूरों को हुई, उसमें सहूलियत के लिए क्या किया गया।
दो दिन पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 19 साल के एक प्रवासी मजदूर की सहारनपुर जिे में हुई मौत पर यूपी सरकार को भी नोटिस भेजा है। आयोग ने भूख से मौत को मानव अधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा बताया है। पंजाब के लुधियाना से पैदल निकले मजदूर की छह दिन तक पैदल चलने के बाद भूख और प्यास से मौत हो गई थी।
बता दें कि 25 मार्च को देशभर में लॉकडाउन लगाए जाने के बाद से कामधंधे और परिवहन के साधन बंद हैं। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित वो मजदूर हुए हैं जो गांवों से निकलकर सूरत, मुंबई, दिल्ली जैसी जगहों पर कमाने खाने के लिए गए हुए थे। काम बंद होने पर ये लोग पैदल वापस लौटने को मजबूर हैं। सैकड़ों मील पैदल चलते हुए कई मजदूर रास्तों में मर गए। रेलवे की ओर से मजदूरों के लिए ट्रेन चलाई गई हैं लेकिन पहले किराए को लेकर फिर मुश्किल रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया और इसके बाद ट्रेनों के भीतर खाना-पानी तक ना मिलने के मामलों ने मजदूरों के लिए स्थिति को भयावह बना रखा है।
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