मोदी ने मंत्रिमंडल को छोटा रखकर की 125 करोड़ की बचत
दरअसल, मोदी ने मंत्रिमंडल को छोटा रख कर यह बचत की है। मोदी हमेशा से 'न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन' के पक्षधर रहें हैं। अपनी प्रतिबद्धता को बरकरार रखते हुए उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में अभूतपूर्व व सकारात्मक बदलाव किए हैं। यूपीए सरकार की तुलना में उन्होंने अपने कैबिनेट का आकार बहुत छोटा रखा हैं। यूपीए सरकार में 77 मंत्री थे जबकि मोदी ने अपनी कैबिनेट में 45 मंत्री रखे हैं। मंत्रियों की संख्या घटाकर मोदी ने देश के राजस्व से 125 करोड़ रुपए का बोझ कर किया हैं या फिर यूं कहे कि मोदी ने देश के 125 करोड़ रुपए बचाए हैं।
मोदी के मंत्रिमंडल के आकार में करीब 45 फीसदी की कटौती हुई है इसलिए इस खर्च में भी करीब 45 फीसदी तक की कमी आएगी। वर्ष 2009 में यूपीए-2 की सरकार के 77 मंत्रियों के साथ शपथ ग्रहण की तुलना में मोदी के मंत्रिमंडल में महज 45 मंत्री ही हैं। अनुमान के हिसाब से प्रधानमंत्री समेत केंद्रीय मंत्रिमंडल पर करीब 8 सौ करोड़ रुपये सालाना खर्च होते हैं। इनमें टूर, वेतन भत्ते एवं स्वागत सत्कार का फंड शामिल है। माना जाता है कि एक मंत्री पर करीब 1 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। इस हिसाब से देखें तो मोदी ने 1 साल में 25 करोड़ और 5 साल में 125 करोड़ रुपए बचाए हैं।
आंकड़ों के मुताबिक 1 कैबिनेट मंत्री को 15 लोगों का निजी स्टाफ, जिसमें की 5 आईएएस शामिल होते हैं दिया जाता है। आईएएस की सैलरी 5 लाख रुपए होती हैं। वहीं स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री को 14 और राज्यमंत्रियों को 13 लोगों का स्टाफ हासिल है। इस प्रकार 1 मंत्री के स्टाफों की फौज पर कम से कम 10 लाख रुपये महीने का खर्च है। इसके अलावा मंत्री के भव्य कार्यालय, आवास, वाहनों विदेश दौरा आदि का खर्च भी जोड़ दिया जाए तो कम से कम 10 लाख रुपये महीने और बैठता है। इस प्रकार एक मंत्री से प्रति माह केंद्र को प्रत्यक्ष 20 लाख और साल में 2.40 करोड़ रुपये की सीधी बचत होगी।
केंद्र सरकार में कुल 51 मंत्रालय और स्वतंत्र विभाग हैं। एक संसदीय समिति ने इनमें से कई को गैरजरूरी बताते हुए 38 तक सीमित करने की सिफारिश की थी। गठबंधन की सरकारों का प्रचलन शुरू होने से केंद्रीय मंत्रिमंडल का आकार बढ़ता गया। यूपीए सरकार में तो हद ही हो गई। इसमें 77 मंत्री थे, जबकि नरसिंह राव कैबिनेट में 44 मंत्री थे जिनमें 12 कैबिनेट 8 स्वतंत्र प्रभार तथा 24 राज्यमंत्री थे। ऐसे में मोदी ने अपनी कैबिनेट छोटी रखकर देश के खजाने का 125 करोड़ रुपया बचाया हैं।