पीएम मोदी चीतों संग मनाएंगे बर्थडे ! नामीबिया से 8 चीतों को लाने के लिए विशेष जंबो जेट B747 तैयार
B747 जंबो जेट से आठ चीतों को नामीबिया से भारत लाया जाएगा। विशेष रूप से तैयार किए गए विमान से 8 चीते लाए जाएंगे। namibia to india B747 jumbo jet tiger faced ferry 8 cheetahs
नई दिल्ली, 15 सितंबर : B747 जंबो जेट से आठ चीतों को नामीबिया से भारत लाया जाएगा। विशेष रूप से तैयार किए गए विमान से 8 चीते लाए जाएंगे। नामीबिया की राजधानी विंडहोएक में विशेष जंबो जेट पहले ही आ चुका है। चीतों को पहले जयपुर लाया जाएगा। इसके बाद मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क तक हेलीकॉप्टर से भेजा जाएगा।
इन चीतों को कुनो नेशनल पार्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छोड़ेंगे। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक विशेष रूप से अनुकूलित बी-747 जंबो जेट मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में आठ चीतों को ले जाने के लिए तैयार है। सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
नामीबिया से भारत आ रहे चीते
नामीबिया की राजधानी विंडहोक में जंबो जेट बी 747 के पहुंचने पर विंडहोक में भारतीय उच्चायोग ने बुधवार को ट्वीट किया, "सद्भावना दूतों को ले जाने के लिए बहादुर भूमि पर एक विशेष विमान उतरा है।" उच्चायोग ने भारत को बाघों का देश करार दिया।
पीएम मोदी चीतों संग मनाएंगे बर्थ डे
अंतरमहाद्वीपीय ट्रांसफर परियोजना के तहत आठ चीतों को भारत भेजा जा रहा है। इनमें पांच मादा और तीन नर हैं। 17 सितंबर को मालवाहक विमान से इन चीतों को राजस्थान के जयपुर लाया जाएगा। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को अपने जन्मदिन पर इन चीतों को मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में छोड़ेंगे।
विशेष जंबो जेट के बारे में
चीतों को भारत लाने वाले विमान के मुख्य केबिन में पिंजरों को सुरक्षित करने की अनुमति दी गई है। एहतियात बरतते हुए उड़ान के दौरान पशु चिकित्सकों की टीम भी मौजूद रहेगी। विमान के अगले हिस्से को बाघ की छवि के साथ पेंट किया गया है। विमान अल्ट्रा-लॉन्ग रेंज जेट है जो 16 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है। नामीबिया से सीधे भारत आने के दौरान विमान में दोबारा ईंधन भराने की जरूरत नहीं पड़ेगी। विमान की बीच में लैंडिंग न कराना चीतों की भलाई के लिहाज से महत्वपूर्ण है।
खाली पेट यात्रा करेंगे चीते
भारतीय वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि चीतों को पूरी हवाई यात्रा की अवधि में खाली पेट रखा जाएगा। इस तरह की सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि लंबी यात्रा जानवरों में मतली जैसी भावना पैदा हो सकती है। ऐसा होने पर तबीयत खराब होने की आशंका होती है।
भारत में चीतों का विलुप्त होना
बता दें कि भारत में सरकार ने 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया। बड़े मांसाहारी जीव का पूरी तरह सफाया होने का कारण इनका उपयोग बताया गया। यात्रा, खेल शिकार, और चीतों का प्राकृतिक निवास स्थान घटते गया, जिस कारण ये भारत से विलुप्त हो गए। आखिरी चीते की मृत्यु 1948 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में साल के जंगलों में हुई थी।
भारत को दान में मिले चीते
1970 के दशक में, भारत सरकार ने देश में अपनी ऐतिहासिक श्रेणियों में प्रजातियों को फिर से स्थापित करने के प्रयास शुरू किए। इनके कारण नामीबिया के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। नामीबिया ने इसी साल गत 20 जुलाई को चीता पुनरुत्पादन कार्यक्रम शुरू करने के लिए आठ चीते भारत को दान दिए।