Muslim Rashtriya Manch का दो टूक बयान, PFI के निशाने पर स्कूलों और मदरसों के युवा, जागरूकता जरूरी
RSS की इकाई Muslim Rashtriya Manch ने दो टूक बयान दिया है। मंच के प्रमुख मौलाना सुहैब कासमी ने कहा, PFI के निशाने पर स्कूलों और मदरसों के युवा हैं। ऐसे संगठनों की गतिविधियों के प्रति जागरूक रहना जरूरी है।
Muslim Rashtriya Manch के राष्ट्रीय संयोजक मौलाना सुहैब कासमी ने कहा, PFI स्कूलों और मदरसों में युवाओं को गुमराह करना चाहता है। उन्होंने कहा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में पीएफआई अब अपना काम करने के लिए आधुनिक और अलग-अलग नामों का इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा, "भारत एक शांतिपूर्ण देश है और मुसलमान यहां वर्षों से रहते हैं। छात्रों को पीएफआई जैसे संगठनों के बारे में जागरूक रहने की जरूरत है।
आधुनिक नामों का इस्तेमाल कर रही PFI
कासमी ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, पीएफआई स्कूलों और मदरसों में युवाओं को गुमराह करना चाहता है। सरकार ने पीएफआई के इरादों को नेस्तनाबूंद कर दिया है। पीएफआई अब अपने काम करने के लिए आधुनिक नामों का उपयोग कर रही है।
MRM का मकसद- मुस्लिम और हिंदु समुदायों की करीबी
बता दें कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की एक शाखा है। इसकी स्थापना 2002 में मुस्लिम समुदाय के साथ संचार को बढ़ावा देने और भारत में मुस्लिम समुदायों को हिंदुओं के करीब लाने के इरादे से की गई थी।
गिरफ्तार वकील पीएफआई का सदस्य
गौरतलब है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पीएफआई के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। एनआईए की टीम ने अवैध और हिंसक गतिविधियों से जुड़े एक मामले में 29 दिसंबर को एक वकील को गिरफ्तार किया है। NIA का दावा है कि वकील पीएफआई का सदस्य है।
अब तक 14 लोगों की गिरफ्तारी
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने कहा कि राज्य के 12 जिलों में 56 स्थानों पर छापेमारी की गई, जिसमें एर्नाकुलम जिले के एडवनक्कड़ के निवासी मोहम्मद मुबारक को गिरफ्तार किया गया। इस मामले में अब तक 14 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की चार्जशीट के अनुसार, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने आतंकी प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए और आतंकवादी गतिविधियों के लिए व्यक्तियों को भर्ती किया।
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कट्टरपंथी बनाने के लिए ब्रेनवॉश
एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक एनआईए की चार्जशीट सोमवार को हैदराबाद की विशेष अदालत में पेश की गई। एनआईए के अनुसार, जांच से पता चला है कि आरोपियों ने भारत सरकार के साथ-साथ अन्य संगठनों और व्यक्तियों के प्रति क्रोध और शत्रुता से भरे भाषणों का इस्तेमाल कट्टरपंथी, ब्रेनवॉश करने और प्रभावशाली मुस्लिम युवाओं को पीएफआई की तरफ आकर्षित करने के लिए किया।
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