नोटबंदी के बाद कालाधन पर रोक लगाने के लिए मोदी सरकार का बड़ा फैसला
नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार कालाधन पर लगाम लगाने के लिए एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है। अब तमाम कंपनियों के लिए को अपना आयकर टैक्स रिटर्न नहीं भरना महंगा पड़ेगा, सरकार ने उन तमाम कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का ऐलान किया है जिन्होंने अपना टैक्स रिटर्न फाइल नहीं किया है। सरकार ने कालाधन के खिलाफ अपने रुख और सख्त करते हुए साफ कर दिया है कि आने वाले समय में जो भी कंपनियां अपना आयकर नहीं भरती हैं उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।
फर्जी कंपनियों की बढ़ेगी मुश्किल
सरकार की ओर से पेश किए गए फाइनेंस बिल 2018-19 में कंपनियों के टैक्स रिटर्न फाइलिंग नियम में बदलाव किया है, नया नियम अप्रैल 2018 से लागू होगा, जिसके बाद टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करने वाली कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया जाएगा। सरकार ने यह फैसला देश में बड़ी संख्या में फर्जी कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए लिया है। यह तमाम फर्जी कंपनियां कालाधन को सफेद करने का काम करती है, लिहाजा इसकी वजह से सरकार को काफी नुकसान होता है, इसपर रोक लगाने के लिए सरकार ने इन कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का फैसला लिया है।
बिटक्वॉइन में निवेश करने वालों की खैर नहीं
पिछले समय में जिस तरह से बिटक्वाइन का चलन बढ़ा है उसके बाद अरुण जेटली ने साफ कर दिया है कि वह बिट क्वाइन व क्रिप्टो करेंसी को मान्यता नहीं देंगे, साथ ही सरकार ने साफ किया है कि जिन लोगों ने बिट क्वॉइन में निवेश किया है उन्हें नोटिस भेजा जाएगा। आंकड़ों के अनुसार कुल 4 लाख लोगों ने देश में बिट क्वॉइन व क्रिप्टो करेंसी में निवेश किया है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानि सीबीडीटी ने ऐसे लोगों का सर्वे कराया है जिन्होंने इसमे निवेश किया है। इन लोगों को बिटक्वॉइन में निवेश की गई राशि का हिसाब देना होगा।
बैंक खाते में 15 लाख जमा कराने वालों की मुश्किल
सीबीडीटी के आंकड़े के अनुसार क्रिप्टोकरेंसी में कुल 100 करोड़ रुपए का कालाधन निवेश किया गया है। ऐसे में सरकार इन लोगों को नोटिस भेजने की तैयारी कर रही है। सरकार को इस बात का अंदेशा है कि नोटबंदी के बाद लोगों ने कालाधन को क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किया है। आंकड़ों के अनुसार नोटबंदी के दौरान दो लाख बैंक खाते ऐसे हैं जिनके अकाउंट में 15 लाख से अधिक रुपए जमा हुए थे, इन सभी लोगों को आयकर विभाग ने नोटिस भेजा है, इन लोगों ने रिटर्न फाइल नहीं किया है। सीटीबीटी के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने कहा कि हमने इस तरह के कुल 1.98 लाख लोगों की पहचान की है।