चीन से विवाद के बीच भारतीय नौसेना होगी और मजबूत, 10 शिपबोर्न ड्रोन खरीदने की प्रक्रिया को मंजूरी
Shipborne Drones for Indian Navy: चीन के साथ लद्दाख में भारत का विवाद पिछले सात महीने से जारी है। आए दिन पाकिस्तान भी अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी पर नापाक हरकतों को अंजाम देता है। ऐसे में भारत की तीनों सेनाएं अपनी तैयारियां मजबूत कर रही हैं। हाल ही में भारतीय नौसेना ने दो हमलावर ड्रोन अमेरिका से लीज पर लिए थे। इस डील के बाद अब भारत सरकार ने नौसेना को शिपबोर्न ड्रोन खरीदने की मंजूरी दे दी है।
1300 करोड़ की है डील
न्यूज एजेंसी एएनआई ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि रक्षा मंत्रालय के सामने भारतीय नौसेना ने एक फास्ट ट्रैक मोड प्रस्ताव लाया था। जिसके तहत 10 शिपबोर्न मानवरहित एरियल सिस्टम खरीदने की योजना थी। इसके लिए भारत सरकार ने 1300 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी है। नौसेना जल्द ग्लोबल ड्रोन श्रेणी के तहत खुली बोली प्रक्रिया शुरू करेगी। ये ड्रोन भारतीय नौसेना को बड़े जहाजों और अन्य समुद्री गतिविधियों की सूचना आसानी से दे सकेंगे।
क्यों पड़ी जरूरत?
दरअसल जब से लद्दाख में भारत और चीन के बीच विवाद हुआ, तब से कई बार चीनी जहाजों ने भारतीय जल क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की, हालांकि पहले से सतर्क भारतीय नौसेना ने उन्हें खदेड़ दिया। इस तरह की चीनी हरकतों को पहले से रोका जा सके, इसके लिए भारतीय नौसेना ने तैयारी शुरू कर दी है। इन शिपबोर्न ड्रोन को बड़े आकार के जहाजों पर तैनात किया जाएगा। ये एक तरह के मजबूत निगरानी उपकरण हैं, जो पहले से ही घुसपैठी जहाजों की सूचना दे देते हैं।
नवंबर में आए थे Predator ड्रोन
हाल ही में भारतीय नौसेना ने अमेरिका से दो Predator ड्रोन लीज पर लिए थे, जो नवंबर में भारत पहुंच गए। एक अमेरिकी चालक दल भी ड्रोन के साथ भारत आया है, जो भारतीय नौसेना को इससे जुड़ी ट्रेनिंग दे रहा है। सूत्रों ने बताया कि लीज एग्रीमेंट के तहत अमेरिकी सपोर्ट स्टाफ केवल रखरखाव और तकनीकी मुद्दों में मदद करेगा, जबकि उड़ान की प्लानिंग और उसका नियंत्रण भारतीय नौसेना के जवानों के पास होगा। इसके अलावा उड़ान के दौरान जो डेटा ड्रोन इकट्ठा करेगा वो पूरी तरह से भारतीय नौसेना की संपत्ति होगी, यानी अमेरिका के साथ उसको साझा करना, ना करना भारतीय नौसेना के ऊपर निर्भर करेगा।