इस वजह से महराष्ट्र में राज ठाकरे सबसे असफल नेता साबित हुए
नई दिल्ली। इस लोकसभा चुनाव में नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी की महाराष्ट्र में बुरी तरह से हार हुई है। लेकिन बावजूद इसके महाराष्ट्र में एनसीबी से बड़ी पराजय का सामना करने वाले राज ठाकरे हैं। दिलचस्प बात यह है कि राज ठाकरे ने इस बार चुनाव भी नहीं लड़ा था। चुनाव के दौरान मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कई रैलियां भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ की थी, जिसमे उन्होंने विपक्षी दलों के नेताओं के पक्ष में वोट करने के लिए कहा। गौर करने वाली बात यह है कि उनकी रैलियों में काफी भीड़ भी इकट्ठा हुई, लेकिन इसका फायदा बैलट बॉक्स में नहीं दिखा। प्रदेश में शिवसेना भाजपा गठबंधन को बड़ी जीत मिली।
प्रदेश में जिन 10 संसदीय क्षेत्रों में राज ठाकरे ने रैली की थी वहां 8 शिवसेना-भाजपा के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। इस हार के बाद ठाकरे ने ट्वीट करके लिखा अनाकलनीय। वर्ष 2014 में राज ठाकरे ने ने भाजपा और पीएम मोदी का समर्थन किया था। लेकिन इस बार उन्होंने भाजपा के खिलाफ नांदेड़, सोलापुर, कोल्हापुर, सतारा, पुणे, रायगढ़, मावल, नाशिक, मुंबई साउथ, मुंबई नॉर्थ ईस्ट में रैलियों को संबोधित किया और लोगों को भाजपा सरकार की नाकामयाबी के बारे में बताया।
माना जा रहा था कि ठाकरे की रैलियों का एनसीपी और कांग्रेस को फायदा मिलेगा, लेकिन हुआ इससे बिल्कुल अलग और जिन 10 जगहों पर उन्होंने रैली की थी वहां 8 सीटों पर विपक्ष को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि एनसीपी यह चाहती थी कि महाराष्ट्र में मनसे को गठबंधन का हिस्सा बनाया जाए लेकिन कांग्रेस इसके खिलाफ थी, यही वजह है कि मनसे गठबंधन में शामिल नहीं हो सकी और एक भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ा। हालांकि उ्न्होंने कई रैलियों को संबोधित किया लेकिन कांग्रेस और एनसीपी इसका लाभ नही उठा सके।
बता दें कि चुनाव आयोग की आधिकारिक घोषणा के अनुसार भारतीय जनता पार्टी अबतक की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और अकेले दम पर भाजपा ने 302 सीटों पर जीत दर्ज कर ली है, जबकि 1 सीट पर आगे चल रही है। यानी की भाजपा के खाते में 303 सीटें जाती दिख रही है। वहीं कांग्रेस की बात करें तो एक बार फिर से कांग्रेस को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है। उत्तर प्रदेश में महागठबंधन भी भाजपा को कुछ खास चुनौती नहीं दे सका, यहां भी भाजपा ने जबरदस्त जीत दर्ज करते हुए गठबंधन को बाहर का रास्ता दिखाया है। बसपा के खाते में 10 सीटें आ चुकी है। वहीं सपा सिर्फ पाांच सीटों पर ही जीत दर्ज कर सकी है। वहीं भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने यूपी में 64 सीटों पर जीत दर्ज की है।
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