कभी 10वीं मंजिल से कूदने जा रहा था ये सॉफ्टवेयर इंजीनियर, अब 450 लोगों की 'आर्मी', जानिए मकसद
लिसनर्स आर्मी डिप्रेशन, पैनिक अटैक जैसी चीजों से लड़ने की मुहिम का नाम है। राज डगवार ने इस मुहिम की शुरुआत की है। mental health listener army raj dagwar pune free hug campaign for happiness
पुणे, 27 सितंबर : तकनीक के कारण अत्यधिक तेजी से भाग रही लाइफ में लोगों के बीच अकेलापन बढ़ रहा है। लोगों के मन में धीरे-धीरे ये ख्याल आने लगते हैं कि उनकी जिंदगी बेमानी हो चुकी है। ऐसे में लोग सुसाइड जैसे खौफनाक कदम उठा लेते हैं। महाराष्ट्र के मशहूर शहर पुणे में रहने वाले राज दगवार की लाइफ में भी ऐसा लम्हा आया था जब वह 10वीं मंजिल की बालकनी से छलांग लगाने के बारे में सोच रहे थे।
लिसनर्स आर्मी की मुहिम
हालांकि, उनकी लाइफ में एक सुनने वाली आई। इस महिला से मिलने के बाद राज की जिंदगी बदल गई। उन्हें समझ आया कि किसी की बात सुनने का कितना बड़ा महत्व है। आज 400-500 लोगों की टीम भारत के अलग-अलग हिस्सों में लोगों से बात करती है। वॉलेंटियर्स की इस टीम को राज दगवार ने लिसनर्स आर्मी का नाम दिया है। जानिए इस खास और बेहद नेक मुहिम और इसके मकसद के बारे में (सभी तस्वीरें साभार- Instagram; @raaaaaaaaaj.__ और @listeners_army)
युवाओं की मुहिम लिसनर्स आर्मी
आप अपनी कहानी बताएं, बदले में 10 रुपये में मिलेंगे (Tell me your story and I will give you 10 rupees)। अगर किसी सड़क किनारे कभी कोई ऐसी तख्ती लिए दिखे तो भारत में इसे अजीब नजरों से देखा जाएगा। पुणे के राज दगवार के साथ भी ऐसा हुआ लेकिन वे पीछे नहीं हटे। आज उनकी ये मुहिम लिसनर्स आर्मी (Listener's Army) बन चुकी है। युवाओं की यह टीम लोगों की बातें सुनती है।
क्या करती है लिसनर्स आर्मी ?
राज अपनी मुहिम के बारे में बताते हैं कि लिसनर्स आर्मी युवाओं की बनाई हुई कम्युनिटी है। इसमें फोबिया को दूर करने की कोशिश होती है कि साइकोलॉजिस्ट के पास जाना पागल होने जैसा माना जाता है। डिप्रेशन, पैनिक अटैक, एंग्जाइटी जैसी परेशानी से लड़ने की मुहिम का नाम है लिसनर्स आर्मी। मानसिक परेशानी से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए पुणे से शुरू हुई ये मुहिम राजधानी दिल्ली और गुजरात के अलावा कई बड़े शहरों में फैल चुकी है।
सेना बनाने से पहले राज का डिप्रेशन
लिसनर्स आर्मी के बारे में राज दगवार ने कहा कि उनकी कॉलेज लाइफ में एक पल ऐसा आया जब वे डिप्रेशन में चले गए। परिवार के लोग और माता-पिता बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए डॉक्टर, इंजीनियरिंग बनने जैसे सपने देखने लगते हैं। कंप्यूटर इंजीनियरिंग में एडिमिशन हुआ लेकिन एक साल के बाद फेल हो गए। एक साल का ब्रेक आ गया। पर्सनल लाइफ में भी गर्लफ्रेंड के साथ अच्छा रिलेशन नहीं था।
मर भी जाऊं तो किसी को फर्क नहीं पड़ेगा ?
कॉलेज से ब्रेक लेने के बाद दोस्तों के साथ भी दूरियां बढ़ने लगीं। माता-पिता से ठीक से बात नहीं हो रही थी। हर बात के लिए खुद को दोष देने लगा। लगता था, खुद में ही कुछ कमी है। कॉलेज जाना छूटने के कारण महीनों तक घर से बाहर नहीं निकला। हालात इतने बिगड़े कि दिमाग में आया, अगर मर भी जाऊं तो किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। ऐसे नेगेटिव खयालों के कारण शारीरिक कमजोरी का भी एहसास होने लगा।
साइकोलॉजिस्ट से मिल कर ट्राई...
कॉलेज दोबारा शुरू होने के बाद भी क्लास अटेंड नहीं करता था। अटेंडेंस एवरेज से भी खराब था। इसी दौरान एक मैम थीं, जिन्होंने नोटिस किया कि राज दगवार सामान्य बर्ताव नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा, राज मुझे पता है आपके मन में भीतर-भीतर ही कुछ गंभीर चल रहा है, अगर आपको लगता है कि किसी से बात करनी है तो कॉलेज में एक साइकोलॉजिस्ट है, जिनसे बात कर सकते हो। बकौल राज, उन्होंने ट्राई किया लेकिन न दोस्तों के पास टाइम था, मां-बाप से खुल कर बात नहीं कर पा रहे थे। गर्लफ्रेंड से अच्छे रिलेशन नहीं थे। ऐसे में लगा, साइकोलॉजिस्ट से मिल कर ट्राई करते हैं। छह सात महीने के बाद पहली बार डेढ़ दो घंटे तक बातें कीं।
लाइफ चेंजिंग एक्सपीरियंस
राज बताते हैं कि कॉलेज की साइकोलॉजिस्ट से मिलने के बाद उन्हें अच्छा एहसास हुआ। किस्मत अच्छी थी कि समय रहते उनके पास कोई ऐसा था जो कोई तो है जो हमारी बातें सुन रहा है। उन्होंने कहा कि साइकोलॉजिस्ट से मिलना उनके लिए लाइफ चेंजिंग एक्सपीरियंस था। ह्यूमन प्रेजेंस की वैल्यू पता चली। डेढ़-दो घंटे की बात हुई और हीलिंग प्रोसेस शुरू हुई। लाइफ में क्या बदलना है, इसका पता लगा।
सोशल मीडिया पोस्ट से बदली जिंदगी
खुद की तबीयत ठीक होने के बाद राज को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट दिखी। इसमें लिखा था, अपनी कहानी बताओ, बदले में एक डॉलर मिलेंगे। (Tell Me Your Story, I Will Give You One Dollar) इसके बाद उन्होंने सोचा कि क्यों न इसे ट्राई किया जाए। दूसरे देशों में मेंटल हेल्थ पर खुलकर बात होती है, ऐसे में बात करने की जरूरत भारत में भी है, लेकिन लोगों में झिझक और डर है।
पहले दिन का अनुभव
पहले दिन का अनुभव बताते हुए राज कहते हैं कि छिपते-छिपाते उन्होंने एक बोर्ड तैयार किया। इस पर लिखा, आप अपनी कहानी बताएं, बदले में 10 रुपये में मिलेंगे (Tell me your story and I will give you 10 rupees)। पुणे की सबसे बिजी सड़क पर खड़ा हो गया, लोग अजीब नजरों देख रहे थे। कुछ लोग आए और पूछा कि क्या कर रहे हो ? क्या सोच है ऐसा करने के पीछे। लेकिन वे पीछे नहीं हटे। उन्होंने बताया कि कॉलेज लाइफ में होने के कारण वे 10 रुपये का भुगतान तो कर ही सकते हैं। इसलिए वे पीछे नहीं हटे।
मुहिम के साथ लड़कियां भी जुड़ रही हैं
राज बताते हैं कि उनके पास बात करने के लिए जो पहली शख्स आईं, वे खुद एक साइकोलॉजिस्ट थीं। उन्होंने लंबी बात की और बताया कि आप जो कर रहे हैं ये बहुत नेक सोच है। मेंटल हेल्थ पर बात करना बहुत जरूरी है। बकौल राज, उनकी मुहिम के साथ लड़कियां भी जुड़ रही हैं। अगर किसी को जेंडर के कारण बात करने में परेशानी आती है तो उसके लिए भी वे खुले दिल से मदद करने को तैयार रहते हैं।
लिसनर्स आर्मी करीब 400-500 लोगों की टोली
राज ने बताया कि अब वे लोगों को गले लगाने की मुहिम भी शुरू कर चुके हैं। इस पर लोगों ने कमेंट्स भी किए, लेकिन नीयत गलत नहीं है ऐसे में लिसनर्स आर्मी अपनी मुहिम जारी रखे हुए है। लोगों का साथ मिलता जा रहा है। अब तक करीब 400-500 लोग साथ आ चुके हैं। ऑनलाइन बातें करने की भी सुविधा है। पहचान गोपनीय रखना चाहें तो भी कोई परेशानी नहीं। आओ, बातें करो। तुम अपनी राह, मैं अपने रास्ते।
युवाओं में जागरुकता बढ़ रही है
कॉलेज की काउंसलर के बारे में राज दगवार बताते हैं कि स्वरूपा बरवे नाम की काउंसलर ने उनकी लाइफ में बदलाव की शुरुआत की। खुद स्वरूपा ने बताया कि राज ने काफी शानदार तरीके से अपनी परेशानी का मुकाबला किया और अब वे लिसनर्स आर्मी जैसी मुहिम चला रहे हैं जो सराहनीय है। उन्होंने बताया, मेंटल हेल्थ के बारे में हमेशा से समाज में गलत धारणा रही है, लेकिन बदलाव आ रहा है। युवाओं में जागरुकता बढ़ रही है। क्रिएटिव तरीकों से लोगों को मेंटल हेल्थ के मुद्दे पर संवेदनशील बनाया जा रहा है।
लिसनर्स आर्मी किन शहरों में है
किन शहरों में लिसनर्स आर्मी काम कर रही है, इस पर राज दगवार ने कहा, रजिस्ट्रेशन की बात करें तो पांच हजार से अधिक वॉलेंटियर्स रजिस्टर करा चुके हैं। लिसनर्स आर्मी डॉट कॉम वेबसाइट पर गोपनीय तरीके से लोगों को बात करने का मौका मिलता है। पुणे से शुरू हुई मुहिम अब दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, लखनऊ, कोलकाता, नागपुर, इंदौर और सूरत जैसे शहरों में अब युवाओं की टीम लिसनर्स आर्मी से जुड़कर लोगों की बातें सुन रही है। ऑनलाइन बातें करने के लिए इंस्टाग्राम या जूम मीटिंग का विकल्प इस्तेमाल करते हैं।
नीचे देखें लिसनर्स आर्मी की कुछ वीडियो एक्टिविटी
यादगार अनुभव मिले
यादगार अनुभव के बारे में राज दगवार ने बताया कि एक सीनियर सीटिजन की उम्र वाले शख्स उन्हें एक महीने तक चुपचाप देखते रहे और चले जाते थे। एक दिन आए और कहा, तुम क्या करते हो ? मैंने उनसे कहा, आप जो भी बात करना चाहते हैं, कर सकते हैं। इसके बाद उन्होंने कहा, वे घर पर सबसे बड़े हैं, इसलिए वे किसी से कुछ बात नहीं कर सके, तुमसे बात करके अच्छा लगा।
सुसाइड करने वाली महिला को जीवनदान
एक और अनुभव बताते हुए राज ने कहा, ये एक्सपीरियंस थोड़ा डरावना रहा, क्योंकि एक महिला का कॉल आया और बताया कि वे अपनी छत पर खड़ी हैं, एक हाथ में चाकू है। बकौल राज, उन्होंने बातें करने शुरू की। धीरे-धीरे महिला शांत हुईं। दोनों ने आमने-सामने बैठकर बातें कीं और उन्हें अच्छा फील हुआ। आज ये महिला अपनी लाइफ में काफी खुश हैं, छुट्टियां मनाने अलग-अलग लोकेशन पर जाती हैं।
ह्यूमन टच की मुहिम है Free Hugs
Free Hugs यानी मुफ्त में गले लगाने की अनोखी मुहिम के बारे में राज दगवार ने कहा, कोरोना काल में शारीरिक दूरी के कारण ह्यूमन टच कम या खत्म होता जा रहा था। ऐसे में कोरोना संक्रमण कम होने पर ये आइडिया आया। समाज में इसे कैसे देखा जाएगा, ये बड़ा सवाल था क्योंकि लड़का-लड़की के गले लगाने को गलत नजर से देखा जाता है।
बस समाज में खुशियां फैलाना है
लोगों को गले लगाने की मुहिम और समाज में इसकी स्वीकार्यता पर राज बताते हैं कि लिसनर्स आर्मी ने आशंकाओं को पीछे छोड़ा। लोगों को गले लगाने की शुरुआत हुई। वैज्ञानिक पहलू पर राज बताते हैं कि गले लगाने पर डोपामाइन नाम का हार्मोन रिलीज होता है, लोग खुश होते हैं। जेंडर के कारण संकोच होने पर लड़की के साथ लड़की गले मिल सकती है। हमारी नीयत बस समाज में खुशियां फैलाना है।
सपना- भारत को डिप्रेशन से मुक्त बनाना
2020 में 1.55 लाख लोगों की सुसाइड का जिक्र कर राज बताते हैं कि मेंटल हेल्थ गंभीर समस्या है। कोरोना के कारण 1.50 लाख लोग मरे, लेकिन उससे अधिक मेंटल हेल्थ के कारण सुसाइड कर रहे हैं। लिसनर्स आर्मी का मकसद है कि हर शहर में कम से कम एक ऐसा शख्स हो जो आपकी बातें सुने। लोग जुड़ रहे हैं और उम्मीद है कि हर शहर में लिसनर्स आर्मी के वॉलेंटियर्स मौजूद होंगे। युवाओं की इस टीम का मकसद बताते हुए राज दगवार कहते हैं कि भारत को डिप्रेशन से मुक्त बनाना है।
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