कोविड एंटीबॉडी कॉकटेल को डॉ. त्रेहान ने बताया नया हथियार, कहा- अस्पताल में भर्ती होने की नहीं होगी जरूरत
नई दिल्ली, मई 26: देश में कोरोना की दूसरी लहर के बीच नए संक्रमितों की संख्या में अचानक इजाफा हुआ है। इसके साथ ही मृतकों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है। यहीं नहीं ब्लैक फंगस की बीमारी ने भी अब चिंता बढ़ा दी है। इस बीच भारत में कोविड एंटीबॉडी कॉकटेल दवा ने दस्तक दे दी है, जिस पर मेदांता के निदेशक डॉ. नरेश त्रेहान ने बताया कि जब कासिरिविमैब और इम्देवीमैब को संक्रमित रोगी में प्रारंभिक अवस्था में इंजेक्ट किया जाता है तो यह वायरस को रोगी की कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोकता है यानी की वायरस लोड को कम करने में सक्षम है।
डॉक्टर त्रेहान के मुताबिक यह कोविड के खिलाफ काम कर रहा है और कोरोना के B.1.617 वेरिएं के खिलाफ भी प्रभावी है। नरेश त्रेहन ने इसे कोरोना के खिलाफ एक नया हथियार भी बताया है। उन्होंने बताया कि पहले रोगी एक 82 वर्षीय व्यक्ति, जो कई बीमारियों से पीड़ित थे, उनको कल (25 मई) इंजेक्शन लगाया गया और वह अब घर चले गए हैं। हम उनको फॉलो कर रहे हैं।
मेदांता के निदेशक ने बताया कि इसका उपयोग अमेरिका और यूरोप में बड़े पैमाने पर किया गया है। अनुभव से पता चलता है कि संक्रमण के पहले 7 दिनों में दिए जाने पर 70-80% लोग जो इलाज के लिए अस्पतालों में प्रवेश करने जा रहे हैं, उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होगी।
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जानकारी के मुताबिक इस दवा में लैब में बनी एंटीबॉडी तुरंत शरीर में काम करती है। वैसे कोविड मरीज में सामान्य तौर पर एंटीबॉडी संक्रमण के 14 दिनों के बाद विकसित होती हैं। बता दें कि हाल में मेदांता में भर्ती एक मरीजों को यह दवाई दी गई थी।