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डॉक्टरों की हड़ताल तुड़वाना ममता का 'मास्टर स्ट्रोक'?

सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य सचिवालय में डॉक्टरों के प्रतिमंडल के साथ बैठक की थी, जिसमें उन्होंने डॉक्टरों का प्रस्ताव स्वीकार किया. "यह एक मास्टरस्ट्रोक था, ममता बनर्जी ने साबित कर दिया है कि वो एक मास (बड़ी) लीडर हैं और इसके बाद वो बैकफुट से एक बार फिर अब फ्रंटफुट पर आ गयी हैं."

By ज़ुबैर अहमद
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ममता बनर्जी
PRABHKAR M.
ममता बनर्जी

सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य सचिवालय में डॉक्टरों के प्रतिमंडल के साथ बैठक की थी, जिसमें उन्होंने डॉक्टरों का प्रस्ताव स्वीकार किया.

"यह एक मास्टरस्ट्रोक था, ममता बनर्जी ने साबित कर दिया है कि वो एक मास (बड़ी) लीडर हैं और इसके बाद वो बैकफुट से एक बार फिर अब फ्रंटफुट पर आ गयी हैं."

हफ़्ते भर से जारी डॉक्टरों की हड़ताल के ख़त्म होने पर कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने इस तरह की प्रतिक्रियाएं दीं.

राज्य की मीडिया और सियासी विशेषज्ञ इसका श्रेय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दे रहे हैं.

इस बैठक की सबसे अनोखी बात ये थी कि इसका प्रसारण टीवी पर लाइव किया गया था. कोलकाता के वरिष्ठ पत्रकार सुबीर भौमिक के अनुसार स्वतंत्र भारत में पहले ऐसा कभी नहीं हुआ है.

दिल्ली में वरिष्ठ पत्रकार गौतम घोष कहते हैं, "ऐसा केवल फ़िल्मों में होता है, ये तो उनका मास्टरस्ट्रोक था. हम सभी लोग मीडिया में ये सोच रहे थे कि वो लाइव टीवी पर बातचीत के लिए तैयार नहीं होंगी. देश की जनता ये सब कुछ लाइव देख रही थी, ऐसा हम केवल फ़िल्मों में देखते थे."

ममता बनर्जी
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ममता बनर्जी

बदली ममता की छवि

वरिष्ठ पत्रकार सुबीर भौमिक के मुताबिक़ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की छवि बेहतर हुई है.

वो कहते हैं, "उनकी ये छवि थी कि उनकी शख़्सियत में लचक नहीं है, बहुत ग़ुस्सा करती हैं, किसी से भी भिड़ जाती हैं, लड़ जाती हैं. लेकिन यहाँ हम ने एक दूसरी ममता बनर्जी को देखा जो बोलने को नहीं, सुनने को तैयार थीं. सात दिनों तक हड़ताल से मरीज़ों को समस्या तो हुई लेकिन ममता बनर्जी की छवि को इस हड़ताल ने फायदा पहुंचाया."

पिछले सप्ताह मरीज़ के परिजनों द्वारा एक डॉक्टर की पिटाई के बाद राज्य के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे. बाद में उनके पक्ष में देश भर से आवाज़ें उठने लगी थीं.

ममता बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी पर इसे सियासी रंग देने का इल्ज़ाम लगाया गया था. बीजेपी ने कहा ममता बनर्जी की सरकार में कोई सुरक्षित नहीं है.

पार्टी के वरिष्ठ नेता मुख़्तार अब्बास नक़वी ने कहा था, "न तो वहां (पश्चिम बंगाल में) डॉक्टर सुरक्षित हैं और न ही मास्टर सुरक्षित हैं. अगर कोई सुरक्षित हैं तो तृणमूल पार्टी के गुंडे."

पिछले आम चुनाव के नतीजे आने के बाद से ममता बनर्जी दबाव में थीं. उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को 22 सीटें मिली थीं जबकि बीजेपी को 18.

2014 में हुए आम चुनाव की तुलना में बीजेपी को 16 सीटें अधिक मिली थीं. इसे ममता बनर्जी की घटती साख का नतीजा समझा गया.

पिछले हफ़्ते डॉक्टर की पिटाई के बाद उनकी शिकायत सुनने के बजाय उन्होंने ग़ुस्सा दिखाया, जिससे विपक्ष को उनकी आलोचना करने का मौका मिला.

कोलकाता डॉक्टरों की हड़ताल
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कोलकाता डॉक्टरों की हड़ताल

वरिष्ठ पत्रकार गौतम घोष कहते हैं कि ममता बनर्जी की सबसे बड़ी कमज़ोरी उनका ग़ुस्सा है. "ग़ुस्सा होने के कारण ये ख़बर दब गयी कि उनकी सरकार ने आठ लोगों को गिरफ्तार किया था और डॉक्टर पर हमले की जांच के आदेश दिए थे."

वरिष्ठ पत्रकार सुबीर भौमिक कहते हैं कि ममता बनर्जी ने लाइव टीवी पर हड़ताली डॉक्टरों से बातचीत करके दूसरे नेताओं पर दबाव बनाया.

"उन्होंने ऐसा करके ये जताया है कि देश के बड़े-बड़े नेता लाइव टीवी तो दूर प्रेस वार्ता भी नहीं करते. हम तो वार्तालाप भी लाइव टीवी पर करते हैं, हमारे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है. दिल्ली को भी यही मैसेज गया है कि प्रधानमंत्री प्रेस कॉफ्रेंस करने या सवाल लेने से भी घबराते हैं."

ममता की वार्ता अस्थायी हल

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर केके अग्रवाल इस बात से बहुत ज़्यादा प्रभावित नहीं हैं कि लोग ममता बनर्जी को हड़ताल ख़त्म करवाने पर या बातचीत लाइव टीवी पर करने पर बधाई दे रहे हैं.

वो कहते हैं, "मुद्दा ये नहीं है कि ममता बनर्जी की छवि बेहतर हुई है या नहीं. डॉक्टरों की सुरक्षा एक बड़ा राष्ट्रीय मुद्दा है. इसे केवल कोलकाता की समस्या के रूप में नहीं देखना चाहिए."

डॉक्टर अग्रवाल इस बात पर ज़ोर देते हैं कि प्रधानमंत्री को हस्तक्षेप करके इस पर एक नया क़ानून लाना चाहिए.

"कोलकाता के डॉक्टरों की हड़ताल का ख़त्म होना एक अस्थायी हल है. डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए एक नया क़ानून बनना चाहिए."

कोलकाता डॉक्टरों की हड़ताल
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कोलकाता डॉक्टरों की हड़ताल

उधर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर दायर की गयी एक याचिका पर कहा है कि अब डॉक्टरों ने हड़ताल ख़त्म कर दी है इसलिए इस पर फैसला सुनाना अभी ज़रूरी नहीं है. मामले को आगे के लिए टाल दिया गया है.

सोमवार की बैठक के बाद पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों को फिलहाल राहत मिली है. लेकिन असल में ममता बनर्जी को इससे अधिक राहत मिली है.

जैसा कि गौतम घोष कहते हैं, "ममता बनर्जी को जिस कटघरे में खड़ा किया गया था, उससे वो बाहर निकल चुकी हैं. उनकी छवि सुधरी है लेकिन सियासी तौर पर कामयाब रहने के लिए उन्हें ऐसा प्रदर्शन आगे भी करना पड़ेगा."

BBC Hindi
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English summary
Mamata's' master stroke 'to demolish doctors' strike?
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