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भबानीपुर उप-चुनाव: 'मिनी इंडिया' में मौसम और मतदाताओं का मिज़ाज बना ममता की चुनौती

30 सितंबर को होने वाले इस चुनाव में भाजपा ने कलकत्ता हाईकोर्ट की एडवोकेट प्रियंका टिबरेवाल को अपना उम्मीदवार बनाया है. भाजपा ने टीएमसी के कथित भ्रष्टाचार और चुनाव बाद हुई हिंसा को मुद्दा बनाया है.

By BBC News हिन्दी
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"भबानीपुर दीदी का गढ़ और घर है. यहां उनकी जीत में कोई संदेह नहीं है. मौसम विभाग ने मंगलवार और बुधवार को बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव के चलते कोलकाता में भारी बारिश की चेतावनी दी है. मौसम ठीक रहा तो मैं भी वोट देने जाऊंगा."

कोलकाता के भबानीपुर इलाके में देर रात तक खुली रहने वाली चाय की मशहूर दुकान बलवंत सिंह इटरीज़ पर चाय पी रहे सोमेश्वर पाल की ये टिप्पणी ही इस अहम सीट पर हो रहे उप-चुनाव की पूरी तस्वीर बयान करती है. यहां 30 सितंबर को वोट डाले जाएंगे.

mamata banerjee in bhabanipur election

और मौसम और मतदाताओं का यही मिज़ाज तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए सबसे बड़ी चुनौती भी है.

यूं तो राज्य में तीन सीटों पर उप-चुनाव हो रहे हैं. उनमें से दो सीटें जंगीपुर और शमशेर गंज मुर्शिदाबाद ज़िले में हैं. लेकिन लोगों की निगाहें सिर्फ़ भबानीपुर सीट पर ही टिकी हैं. ममता बनर्जी के लिए यहां जीतना बहुत ज़रूरी है. लेकिन उन्हें या टीएमसी को अपनी जीत पर कोई संदेह नहीं है. उनकी असली चिंता मतदान के दिन वोटरों को घर से निकाल कर मतदान केंद्रों तक पहुंचाने की है ताकि जीत का अंतर अधिक से अधिक रह सके.

इस सीट पर जो 12 उम्मीदवार मैदान में हैं उनमें से पांच महिलाएं हैं. कांग्रेस ने यहां कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है, जबकि सीपीएम ने श्रीजीव विश्वास को अपना उम्मीदवार बनाया है. इस साल अप्रैल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इस सीट पर तीसरे नंबर पर रही थी.

मिनी इंडिया

कोलकाता के दक्षिणी इलाके में फैले इस विधानसभा सीट के जातीय समीकरण बड़े दिलचस्प हैं. इलाके के क़रीब 40 फ़ीसदी वोटर गैर-बंगाली हैं. इनमें गुजराती, मारवाड़ी, सिख और बिहारी तबके की तादाद सबसे ज़्यादा है. इसके अलावा 20 फ़ीसदी आबादी मुसलमानों की है, जबकि बाक़ी 40 फ़ीसदी बंगालियों की. इसी वजह से इस इलाके को 'मिनी इंडिया' भी कहा जाता है.

गुजराती और मारवाड़ी तबके के लोगों को पारंपरिक तौर पर बीजेपी का समर्थक माना जाता है. शायद इसी वजह से बीजेपी ने यहां एक हिंदी भाषी प्रियंका टिबरेवाल को मैदान में उतारा है. केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, स्मृति ईरानी और सांसद मनोज तिवारी जैसे लोग यहां पार्टी का प्रचार कर चुके हैं.

इलाके की आबादी की वजह से यहां बीजेपी की ज़मीन मज़बूत नजर आती है. लेकिन सीट का इतिहास टीएमसी के पक्ष में है. बीते एक दशक में होने वाले छह चुनावों में से पार्टी महज़ एक बार यहां पराजित हुई है. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान इस विधानसभा सीट पर बीजेपी को उसके मुक़ाबले बढ़त मिली थी.

भबानीपुर इलाके में होटल चलाने वाले देवेन घोष कहते हैं, "दीदी पिछली बार नंदीग्राम से चुनाव लड़ने चली गई थीं, तो इलाक़े के लोगों को बुरा लगा था. लेकिन इस बार यहां चुनाव अभियान पहले के मुक़ाबले आक्रामक है. क़रीब क़रीब रोज़ाना दोनों पार्टियों के नेता वोट मांगने घर-घर पहुंच रहे हैं."

'नतीजा तो सबको मालूम है'

भवानीपुर के मशहूर जदूबाबू बाज़ार के एक दुकानदार बबलू सरकार तो उपचुनाव के बारे में सवाल करने पर उल्टा सवाल दाग देते हैं, "कैसा चुनाव? नतीजा तो सबको मालूम है."

इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में टीएमसी के शोभन देव चट्टोपाध्याय क़रीब 29 हज़ार वोटों के अंतर से जीते थे. लेकिन उन्होंने बाद में ममता के लिए अपनी सीट खाली कर दी थी.

शोभनदेव बताते हैं, "जिन इलाकों में गुजराती और मारवाड़ी तबके की आबादी ज़्यादा है, वहां हमें काफ़ी वोट मिले थे. इलाके के महज़ दो वॉर्डों में हम पिछड़े थे. हमें गैर-बंगाली तबके के वोटरों का भी पूरा समर्थन मिल रहा है."

उनका दावा है कि इलाके के तमाम लोग ममता को वोट देंगे. 'हम जीत के लिए नहीं बल्कि जीत का अंतर बढ़ाने के लिए मेहनत कर रहे हैं.'

ममता बनर्जी ने वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस-वाम गठजोड़ की उम्मीदवार दीपा दासमुंशी को क़रीब 25 हज़ार वोटों के अंतर से हराया था.

ममता ख़ुद घर-घर घूम रही हैं

ममता बनर्जी लगातार इलाके में नुक्कड़ सभाएं करती रही हैं और घर-घर जाकर प्रचार करती रही हैं. चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने मस्जिदों और गुरुद्वारों के अलावा मंदिरों का भी दौरा किया है.

उसके बाद बीजेपी को ममता के ख़िलाफ़ मुद्दा मिल गया है. बीजेपी की चुनाव समिति के सदस्य शिशिर बाजोरिया कहते हैं, "ममता बनर्जी को अब इस बात का एहसास हो गया है कि भबानीपुर सीट पर जीत की राह आसान नहीं है. यही वजह है कि उन्हें पहले दिन से ही पसीना बहाना पड़ रहा है."

बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह सवाल करते हैं, "क्या आपने पहले किसी मुख्यमंत्री को उपचुनाव में जीत के लिए इतनी मेहनत करते देखा है?"

बीजेपी ने चुनाव प्रचार के आख़िरी दिन सोमवार को इलाके में पूरी ताक़त झोंक दी. उसके कई नेताओं ने अलग-अलग वॉर्डों में घर-घर जाकर वोटरों से मुलाक़ात की और बीजेपी का समर्थन करने की अपील की.

लेकिन टीएमसी नेता सौगत राय दलील देते हैं, "किसी भी उपचुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी का पलड़ा हमेशा भारी रहता है. लोग उसी का समर्थन करते हैं. जहां तक ममता के प्रचार की बात है वो हर चुनाव को युद्ध के तौर पर लेती हैं. उनके लिए ये आम लोगों से जुड़ने और संगठन को मजबूत करने का मौक़ा होता है."

चुनाव बाद हुई हिंसा को भाजपा ने बनाया मुद्दा

ममता अपने चुनाव अभियान के दौरान केंद्र सरकार और बीजेपी के केंद्रीय नेताओं के प्रति हमलावर रही हैं. दूसरी ओर, बीजेपी ने अपने अभियान के दौरान टीएमसी के कथित भ्रष्टाचार और चुनाव बाद हुई हिंसा को ही मुद्दा बनाया है.

बीजेपी उम्मीदवार और कलकत्ता हाईकोर्ट की एडवोकेट प्रियंका टिबरेवाल कहती हैं, "ये धारणा ग़लत है कि हम सिर्फ़ गैर-बंगाली वोटरों पर ही ध्यान दे रहे हैं. हम सब के पास पहुंच रहे हैं."

कभी ममता बनर्जी के सबसे क़रीबी और अब सबसे कट्टर प्रतिद्वंद्वी बने शुभेंदु अधिकारी एक नुक्कड़ सभा में चुनाव अभियान के दौरान ममता की मेहनत का ज़िक़्र करते हुए कहते हैं, "बिल्ली बहुत मजबूर होने पर ही पेड़ पर चढ़ती है."

लेकिन ममता के भतीजे सांसद अभिषेक बनर्जी कहते हैं, "हम कम से कम एक लाख वोटों के अंतर से जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं."

मौसम बना ख़तरे की घंटी

भबानीपुर में आम तौर पर मतदान का प्रतिशत 50 फ़ीसदी के आसपास रहता है. ऊपर से मौसम विभाग ने बंगाल की खाड़ी पर बने निम्न दबाव के कारण मंगलवार और बुधवार को भारी बारिश की चेतावनी दी है. बीते सप्ताह लगातार भारी बारिश की वजह से विधानसभा क्षेत्र के कई इलाकों में पानी भर गया था.

अब दोबारा वैसा होने की स्थिति में वोटरों का घर से निकलना ही पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी. इसी वजह से कोलकाता नगर निगम ने जल-जमाव की स्थिति से निपटने के लिए अभी से कमर कस ली है.

इलाके के ज़्यादातर लोगों का कहना है कि इस साल विधानसभा चुनाव में तमाम निगाहें नंदीग्राम के नतीजे पर टिकी थीं. लेकिन भबानीपुर उपचुनाव का नतीजा सबको मालूम है. इसलिए लोगों में कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं है.

आम वोटरों की यह मानसिकता भी टीएमसी की चिंता की एक वजह है.

उधर, प्रियंका टिबरेवाल घर-घर पहुंचने के अलावा अपने चुनाव अभियान के दौरान सोशल मीडिया का भी जमकर सहारा ले रही हैं. अपने ऐसे ही एक वीडियो संदेश में वो कहती हैं, "ये लड़ाई अन्याय के ख़िलाफ़ और न्याय के लिए है. भबानीपुर के लोगों के लिए ये एक बड़ा मौका है. उन्हें सामने आकर इतिहास बनाने का ये मौक़ा नहीं चूकना चाहिए."

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