Maiden Pharmaceuticals Gambia के अलावा भारत में भी 'आदतन अपराधी' ! 11 साल में 9 बार कंप्लेन
Maiden Pharmaceuticals Gambia में बच्चों की मौत के बाद फिर से सुर्खियों में है। खास बात ये कि खराब गुणवत्ता वाली दवाएं बनाने को लेकर मेडेन को भारत में भी सजाएं मिली हैं। maiden pharmaceuticals gambia children poor drug
Maiden Pharmaceuticals Gambia में बच्चों की मौत के कारण फिर से विवादों के घेरे में है। खराब गुणवत्ता की दवाएं बनाने को लेकर मेडेन फार्मास्युटिकल्स भारत में भी कठघरे में रहा है। बिहार, केरल और गुजरात में कई मामले सामने आ चुके हैं। Maiden Pharmaceuticals Medicines भारत में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होती हैं। हालांकि, दवाओं के दुष्प्रभाव के कारण कई बच्चों की मौत भी हे चुकी है। पिछले 10-11 साल में कई बार मेडेन फार्मास्युटिकल की दवाएं परीक्षण में फेल हुई हैं। मेडेन को आदतन अपराधी (Maiden Pharma Repeat offender) माना जा रहा है। जानिए, मेडेन पर दर्ज पुराने मामले
राज्यों में मेडेन के खिलाफ कंप्लेन
दरअसल, Maiden Pharmaschuticals पहली बार कठघरे में नहीं है। पश्चिमी अफ्रीकी मुल्क गाम्बिया में कई बच्चों की मौत के बाद एक बार फिर विवादों के घेरे में आई मेडेन फार्मास्युटिकल्स भारत में भी खराब गुणवत्ता की दवाएं बेचती रही है। पिछले 10-11 साल में बिहार, गुजरात और केरल जैसे राज्यों में मेडेन के खिलाफ कंप्लेन सामने आ चुकी है।
मेडेन फार्मा ब्लैकलिस्टेड कंपनियों में !
मेडेन फार्मास्युटिकल्स पर हानिकारक दवा कारोबार के आरोप पहले भी लगे। भारत के अलावा विदेश में भी खराब गुणवत्ता की दवाओं का व्यापार किया। 2011 में मेडेन फार्मास्युटिकल्स बिहार में ब्लैकलिस्टेड हुई। तीन साल बाद यानी 2015 में गुजरात में भी खराब गुणवत्ता के उत्पाद बरामद हुए। भारत के बाहर 2014 में वियतनाम में ब्लैकलिस्ट हुईं 39 भारतीय कंपनियों में मेडेन का नाम भी शामिल रहा।
पांच बार जांच के बावजूद घटिया दवाएं
मेडेन फार्मा आदतन अपराधी यानी बार-बार गलती दोहराने वाली कंपनी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चार साल में तीन बार पकड़े जाने के बावजूद ये कंपनी खराब दवाएं बनाने से बाज नहीं आई और 2017 में केरल में मेडेन फार्मास्युटिकल को सजा दी गई। इसके बाद एक बार फिर 2021-22 केरल में पांच बार जांच के बावजूद कंपनी के उत्पाद घटिया निकले।
पश्चिम अफ्रीकी मुल्क में 66 बच्चों की मौत
मेडेन फार्मा का ट्रैक रिकॉर्ड देखते हुए सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) ने लोगों को आश्वस्त किया है कि गाम्बिया में 66 बच्चों की जान लेने वाली खांसी की दवाई भारत में स्थानीय स्तर पर नहीं बिक रही। हालांकि, मेडेन फार्मास्युटिकल्स देश में घटिया दवाओं का उत्पादन करने के मामले में सबसे पहले 2011 में पकड़ी गई। इसे बिहार में ब्लैकलिस्ट किया गया था। सीडीएससीओ इस तथ्य पर मौन है कि कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकॉल की "अस्वीकार्य" मात्रा कैसे डाली गई। मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि गाम्बिया में डीईजी के कारण ही बच्चों की मौत हुई है।
खराब दवाई पर क्या हैं कानून
मेडेन फार्मास्युटिकल्स की खराब दवाओं पर टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया, कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकॉल अधिक मात्रा में होने के कारण जनवरी 2020 में जम्मू में बच्चों की मौत हुई। इन बच्चों को हिमाचल प्रदेश की कंपनी, मेसर्स डिजिटल विजन द्वारा निर्मित कफ सिरप दिया गया था। ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के अनुसार, मौत का कारण बनने वाली नकली दवाओं के निर्माण या व्यापार के लिए सजा में 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक कुछ भी हो सकता है। 10 लाख रुपये या जब्त की गई दवा के मूल्य का तीन गुना जुर्माने का भी प्रावधान है।
क्या 82 साल पुराना कानून बेअसर !
आजादी के पहले यानी 82 साल पहले बने कानून के प्रावधान बेअसर मालूम होने लगे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि 1940 के कानून में तमाम प्रावधान मौजूद होने के बावजूद आज तक हिमाचल की डिजिटल विजन कंपनी के किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को दंडित नहीं किया गया है। सभी आरोपी जमानत पर खुलेआम बाहर घूम रहे हैं। मेडेन फार्मास्युटिकल्स की तरह डिजिटल विजन भी 2014 और 2019 के बीच सात मौकों पर खराब और हानिकारक दवाओं के कारोबार में पकड़ा गया। कंपनी के उत्पाद में "मानक गुणवत्ता के तत्व नहीं" पाए गए थे।
कहां है कंपनी, कफ सिरप के इस्तेमाल पर सवाल क्यों !
मेडेन फार्मास्युटिकल्स 1990 में स्थापित हुई। हरियाणा में कुंडली और पानीपत के अलावा हिमाचल प्रदेश के सोलन में इसकी विनिर्माण इकाइयां हैं। पीतमपुरा, दिल्ली में स्थित कॉर्पोरेट कार्यालय है। जानकारी के मुताबिक डीईजी का उपयोग कुछ दवाओं में विलायक के रूप में किया जाता है, लेकिन भारत में केवल 0.1% से 2% अनुमेय स्तर है जो बहुत कम है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया कि कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकॉल और मेडेन फार्मा के बारे में प्रतिक्रिया मांगने पर सीडीएससीओ की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया है।
60 से अधिक बच्चों की मौत, फिर भी मौन
भारत में कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकॉल के कारण 2020 में जम्मू में 12 बच्चों की मौत हुई थी। इसके अलावा दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में भी दर्जनों मासूम खराब दवाई के कारण मौत की नींद सो गए।
- 1998 में दिल्ली में 33 मौतें
- 1986 में मुंबई में 14 मौतें
- 1973 में चेन्नई में 14 मौतें
हालांकि, सीडीएससीओ ने कहा है कि मेडेन फार्मा या किसी दूसरी कंपनी के कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकॉल की अधिक मात्रा के कारण मौत पर डब्ल्यूएचओ ने सीडीएससीओ को विस्तार से जानकारी नहीं दी है। कफ सिरप औऱ एक-एक मौतों के संबंध पर सटीक कारण (exact one-to-one causal relation) नहीं सामने आए हैं।
जानकारी के मुताबिक डीईजी का उपयोग कुछ दवाओं में विलायक के रूप में किया जाता है, लेकिन भारत में केवल 0.1% से 2% अनुमेय स्तर है जो बहुत कम है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया कि कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकॉल और मेडेन फार्मा के बारे में प्रतिक्रिया मांगने पर सीडीएससीओ की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया है।