
महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद: सीएम बोम्मई ने आगाह करते हुए कहा मत आना, महाराष्ट्र के मंत्रियों ने टाला दौरा

महाराष्ट्र-कर्नाटक बॉर्डर को लेकर चला आ रहा विवाद एक बार फिर गरमा गया है। कर्नाटक के पश्चिमी राज्यों के बॉडर के क्षेत्रों में टेंशन बनी हुई है। वहीं कर्नाटक सीएम बसवराज बोम्बई के बेलगामी की यात्रा से बचने के लिए आगाह करने के बाद महाराष्ट्र के मंत्री चंद्रकांत पाटिल और शंभुराज देसाई ने मंगलवार, 6 दिसंबर को बेलगावी की अपनी यात्रा रद्द कर दी। महाराष्ट्र सरकार ने पाटिल और देसाई को दोनों राज्यों के लिए बीच चल रहे सीमा विवाद मुद्दे के लिए समन्वय मंत्री नियुक्त किया गया है और दोनों को बेलागवी में लोगों को संबोधित करने के लिए बेलगावी जाने का निर्देश दिया था।
बोम्बई ने महाराष्ट्र के मंत्रियां को ना आने की दी थी सलाह
वहीं इस यात्रा को लेकर कर्नाटक सीएम बोम्मई ने मंत्रियों को बेलगामी की यात्रा से बचने के लिए आगाह किया था। उन्होंने कहा था कि दोनों राज्यों के बीच जब ऐसी स्थिति है तो उनका आना उचित नहीं है। उन्होंने बताया कि हमने उन्हें पहले ही संदेश भेज दिया था कि मत आना। सीमा विवाद पर बोम्मई ने कहा, हम वही कार्रवाई करेंगे जो कर्नाटक सरकार ने तब की थी जब इस तरह के प्रयास पहले भी कई बार किए जा चुके हैं।
बेलगामी में लागू की गई धारा 144
वहीं धारा 144 लगाते हुए बेलगामी जिला उपायुक्त ने जिले में उनके प्रवेश पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। सीएम ने कहा कि उन्होंने महाराष्ट्र के मंत्रियों के आने की स्थिति में पर्याप्त कानूनी कार्रवाई करने के लिए अधिकारियों को निर्देश जारी किए थे। बोम्मई के द्वारा राजस्व और पुलिस विभाग के अधिकारियों को कानून व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश के बाद एहतियात के तौर पर सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
जानिए क्या है कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद
गौरतलब है कि बेलगाम या बेलगावी वर्तमान में कर्नाटक राज्य का हिस्स है लेकिन महाराष्ट्र इसे अपना बताते हुए समय-समय पर दावा करता आया है। कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद के कारण बेलगावी में कई अप्रिय घटनाएं हुईं। महाराष्ट्र की स्थापना 1960 में हुई उसके बाद से बेलगाम जिले और 80 अन्य मराठी भाषी गांव जो दक्षिणी राज्य कर्नाटक के नियंत्रण में हैं, उनकी स्थिति को लेकर कर्नाटक के साथ सीमा विवाद में उलझा हुआ है। सीमा विवाद 1953 में तब शुरू हुआ जब महाराष्ट्र सरकार ने बेलगावी समेत 865 गांवों को शामिल करने पर आपत्ति जताई थी। ये बेलागवी और कर्नाटक के उत्तर-पश्चिमी और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में फैले हुए हैं और सभी महाराष्ट्र राज्य की सीमा से लगे हुए हैं।
सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है ये मुद्दा
1956 के राज्य पुनर्गठन अधिनियम के लागू हुआ उसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने कर्नाटक के साथ अपनी सीमा के पुन: समायोजन की मांग उठाई तो दोनों राज्यों की ओर से चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। महाराष्ट्र सरकार ने मुख्य रूप से कन्नड़ भाषी 260 गांवों को ट्रांसफर करने की मंशा जताई, लेकिन कर्नाटक राज्य ने इस प्रस्ताव को इसे ठुकरा दिया। अब कर्नाटक और महाराष्ट्र दोनों सरकारों ने इस मुद्दें पर जल्दी फैसला हो इसके लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुके हैं।
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