मुंबई: आम यात्रियों के लिए लोकल ट्रेन शुरू करने को लेकर महाराष्ट्र सरकार और रेलवे में क्यों हैं विवाद, जानिए
नई दिल्ली- मुंबई और उपनगरीय इलाके के लिए लोकल ट्रेनों को लाइफलाइन माना जाता है। लेकिन, लॉकडाउन की शुरुआत से वहां आम यात्रियों के लिए यह सेवा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। सिर्फ आवश्यक सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों और महिलाओं को ही फिलहाल उपनगरीय ट्रेनों से सफर करने की इजाजत है। यह मुंबई में रहने वाला कोई व्यक्ति ही बता सकता है कि लोकल ट्रेनों से सफर नहीं कर पाना उनके लिए कितना बड़ा संकट है। लेकिन, महाराष्ट्र सरकार और भारतीय रेलवे के बीच लोकल ट्रेनों की सेवा आम लोगों को फिर से उपलब्ध करवाने को लेकर अब क्या अड़चन बाकी है, इसे जानना आवश्यक है। क्योंकि, महाराष्ट्र में अब तो बहुत तरह की सेवाओं को खोलने की अनुमति दी जा चुकी है। जानकारी के मुताबिक अगर उद्धव ठाकरे सरकार और रेलवे के बीच कुछ बातों को लेकर गतिरोध दूर हो जाए तो लाखों मुंबई वासियों की मुश्किलें फौरन दूर हो सकती हैं।
कोरोना वायरस महामारी के चलते करीब 7 महीने तक उपनगरीय ट्रेन सेवा आम यात्रियों के लिए ठप रहने के बाद पिछले महीने की 28 तारीख को ही राज्य सरकार ने रेलवे को एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें कहा गया है कि मुंबई की लोकल ट्रेनों में नॉन-पीक आवर में कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए आम यात्रियों को सफर करने की अनुमति दी जा सकती है। इस प्रस्ताव के मुताबिक सुबह 7.30 बजे तक, फिर दिन के 11 बजे से 4.30 बजे शाम तक और फिर रात के 8 बजे के बाद से सेवा जारी रहने तक लोकल ट्रेनों में सामान्य यात्रियों को चलने की इजाज दी जा सकती है। बाकी का समय सिर्फ आवश्यक सेवा से जुड़े कर्मचारियों के लिए सुरक्षित रखने की बात कही गई है। यही नहीं हर घंटे एक महिला स्पेशल ट्रेन चलाने का भी प्रस्ताव रेलवे को महाराष्ट्र सरकार की ओर से भेजा गया है।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से चिट्ठी लिखे जाने के इतने दिनों बाद भी रेलवे की ओर से सामान्य यात्रियों के लिए लोकल ट्रेनों में यात्रा की अनुमति दिए जाने से संबंधित इस प्रस्ताव पर फैसला लिया जाना बाकी है। खत मिलने के बाद रेलवे ने सिर्फ इतना कहा है कि कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए वह रोजाना सिर्फ 22 लाख यात्रियों को ढोने की ही स्थिति में है। जबकि, कोरोना संकट से पहले उपनगरीय ट्रेनों में रोजाना 80 लाख से भी ज्यादा यात्री सफर करते थे। रेलवे राज्य सरकार से यह भी जानना चाहता है कि यात्रियों को अलग करने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने के लिए उसके पास क्या योजना है। हालांकि, उद्धव सरकार के खत के बाद रेलवे ने 1,363 सेवाओं को और शुरू करने का फैसला किया है। इस तरह से अब कुल 2,773 सेवाएं शुरू करने का फैसला किया जा चुका है, जो कोरोना से पहले के कुल 3,141 सेवाओं का 88 फीसदी है। वैसे रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ एक बैठक होने वाली है, जिसके बाद सामान्य यात्रियों को लेकर कोई फैसला होने की उम्मीद है।
उधर महाराष्ट्र सरकार का आरोप है कि रेलवे जानबूझकर उसके फैसले में अड़ंगा लगा रहा है। महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा है कि इस मुद्दे पर रेलवे को राजनीति नहीं करनी चाहिए। उनका कहना है कि, 'अगर रेलवे ठीक से सहयोग करे तो लोगों को दिक्कतों का सामना नहीं करना होगा। इसलिए रेलवे अधिकारियों को सरकार के साथ सहयोग करना चाहिए, बिना इसमें राजनीति लाए हुए।' इससे पहले कांग्रेस के नेता आरोप लगा चुके हैं कि रेलवे बीजेपी के इशारे पर काम कर रहा है। दरअसल, उद्धव सरकार चाहती है कि दिवाली से पहले लोकल ट्रेन शुरू करवा कर जनता के बीच थोड़ी वाहवाही पा ले, जो कि कोरोना के बाद से कई मामलों में सवालों के घेरे में है। राज्य सरकार के अधिकारियों का भी आरोप है कि रेलवे जानबूझकर राज्य सरकार के अनुरोध को लटका रहा है।
इससे पहले अक्टूबर के मध्य में जब महिलाओं को लोकल ट्रेनों में यात्रा करने की अनुमति देने की बात चली थी, तब भी राज्य सरकार और रेलवे के बीच इसी तरह का गतिरोध देखने को मिला था। हालांकि, कुछ दिन बाद यह सेवा बहाल कर दी गई थी। इससे पहले कोंकण के लिए गणेश चतुर्थी पर स्पेशल ट्रेन चालने और श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए यात्रियों को वक्त पर स्टेशन पहुंचाने को लेकर भी रेलवे और महाराष्ट्र सरकार के बीच विवाद हो चुका है। मुंबई लोकल और उपनगरीय रेल सेवा मुंबई समेत पांच जिलों के लिए बेहद अहम है। मुंबई के इलावा ये जिले हैं- मुंबई सबअर्बन, ठाणे, पालघर और रायगढ़। यह उपनगरीय सेवा वेस्टर्न रेलवे और सेंट्रल रेलवे की 319 किलोमीटर के दायरे को कवर करती है, जिसमें उत्तर से दक्षिण मुंबई तक मुंबई वालों को लाने-ले जाने की जिम्मेदारी सबसे अहम है।