एमपी में कांग्रेस की “कमल” सरकार: चेहरे बदले चाल वही
भोपाल। मध्यप्रदेश में 15 साल के बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुयी है। अब शिवराज की जगह कमलनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। मध्यप्रदेश को भाजपा का सबसे मजबूत किला माना जाता था। जनसंघ के जमाने से ही यहां उसका अच्छा-खासा प्रभाव रहा है। गुजरात के बाद मध्यप्रदेश को भाजपा व संघ का दूसरा प्रयोगशाला भी कहा जाता रहा है। ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि थी कि कांग्रेस की कमलनाथ सरकार अपना नया एजेंडा पेश करते हुये आगे बढ़ेगी लेकिन कमलनाथ सरकार भी पिछली भाजपा सरकार के एजेंडे पर ही चलते हुये नजर आ रही है।
गौहत्या के आरोपियों पर कमलनाथ सरकार लगा रही रासुका
आज मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गौशाला, वंदेमातरम, कुंभ और गौहत्या के आरोपियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत मुकदमा दर्ज करके भाजपा-संघ के एजेंडे को और भी जोरदार तरीके से आगे बढ़ा रही है। हद तो यह है कि कांग्रेस व्यापमं घोटाला, मंदसौर गोली कांड, सिंहस्थ घोटाला जैसे जिन मुद्दों को विपक्ष में रहकर जोर-शोर से उठाती थी आज उन सारे मुद्दों को लेकर उसके मंत्री क्लीनचिट दे रहे है। शायद कांग्रेस को लगता है हिन्दुतत्व के रास्ते पर चलने के कारण ही उसे मध्यप्रदेश की सत्ता में वापस लौटने में कामयाब हुयी है। उसे जल्द ही लोकसभा चुनाव का सामना भी करना है इसलिये अब वो इसी रास्ते पर तेजी से आगे बढ़ रही है।
मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिये कांग्रेस का एजेंडा तय है किसान, बेरोजगार और हिन्दुतत्व. कमलनाथ की सरकार इन्ही पर तेजी से काम करती हुई नजर आ रही है. विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में हिन्दुतत्व से जुड़े मुद्दों को लेकर जो वादे किये थे अब जीत के बाद कमलनाथ सरकार उसे बहुत प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ा रही है. कमलनाथ सरकार गायों से जुड़े मुद्दों को लेकर भाजपा सरककर से भी ज्यादा संवेदनशीलता दिखाई दे रही है वह गौहत्या से जुड़े मामलों में आरोपियों पर रासुका लगा रही है।
अभी तक इस तरह के दो मामले सामने आ चुके हैं, जिसके तहत गौहत्या के आरोप में खंडवा जिले के तीन लोगों और अवैध गौवंश तस्करी के आरोप में आगर मालवा जिले के दो लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) के तहत कार्रवाई की गई है। अब तक किसी कांग्रेस शासित राज्य के लिये यह अभूतपूर्व घटना है, यह घटना इसलिये भी महत्वपूर्ण है कि ये पहली बार है जब गाय से जुड़े मसले को लेकर कांग्रेस की किसी सरकार ने इस तरह की कार्रवाई की है. गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में गौहत्या के खिलाफ पहले से ही सख्त कानून हैं लेकिन फिर भी आरोपियों पर रासुका लगाया गया जो कि अमूमन "राष्ट्रविरोधी" गतिविधियों के लिये उपयोग किया जाता है।
चार माह में 1000 गौशालाएं
ऐसे ही कमलनाथ सरकार ने चार माह के भीतर 1000 गौशालाएं खोलने का निर्णय किया है। मध्यप्रदेश में यह भी अपनी तरह का पहला फैसला है जब सरकारी गौशालाएं खोली जायेंगीं. इस सम्बन्ध में कमलनाथ कह चुके हैं कि "मुझे बड़ा दुख होता है कि जो लोग खुद को गौरक्षक कहते थे, उन्होंने 15 सालों में एक भी गौशाला का निर्माण नहीं किया... 'प्रदेश के हर जिले में गौशाला का निर्माण जल्द होना चाहिए। यह कांग्रेस के वचन पत्र का मामला ही नहीं है, यह मेरी भावना भी है. मुझे गौमाता सड़क पर नहीं दिखनी चाहिए." मध्यप्रदेश सरकार गौवंश को आवारा छोड़ने के खिलाफ कानून का संकेत भी दे चुकी है।
कमलनाथ सरकार ने आते ही अध्यात्म के नाम पर एक अलग ही विभाग का गठन कर दिया था. बताया गया है कि यह विभाग नर्मदा न्यास, ताप्ती, मंदाकिनी और क्षिप्रा नदी के न्यास का गठन, मध्यभारत गंगाजली निधि न्यास, पवित्र नदियों को जीवित इकाई बनाने के संबंध में कार्यवाही, राम वनगमन पथ में पड़ने वाले अंचलों का विकास सहित धर्मस्व और आनंद विभाग के अधीन आने वाले काम करेगा.शिवराज सरकार ने भोपाल के वल्लभ भवन में हर माह की पहली तारीख को सरकारी कर्मचारियों के लिये वंदे मातरम के गायन की शुरुआत की थी जिसपर पहले तो कमलनाथ सरकार ने रोक लगाने के निर्देश दिए थे बाद में भाजपा द्वारा विरोध किये जाने के बाद इसे पुलिस बैंड और आम जनता की सहभागिता से और धूम-धाम से करने का निर्देश जारी कर दिया गया।
इसके अलावा कमलनाथ सरकार मंदिरों के पुजारियों के वेतन को तीन गुना बढ़ोतरी करने, सरकारी खर्च पर 3,600 लोगों को इलाहाबाद कुंभ में ले जाने जैसे फैसले भी ले चुकी है जबकि चित्रकूट से अमरकंटक तक राम वनगमन पथ निर्माण के लिये रूपरेखा तैयार की जा रही है.विपक्ष में रहते हुये कांग्रेस मंदसौर गोलीकांड, व्यापमं, सिंहस्थ नर्मदा के किनारे का वृक्षारोपण में हुये घोटाले को लेकर खूब सवाल उठाती थी और इन पर सवार होकर वो सरकार बनाने में भी कामयाब हुई है. कांग्रेस ने वादा किया था कि उनकी सरकार बनने के बाद वो भाजपा सरकार के दौरान हुये घोटालों की जांच के लिये स्वतंत्र जांच आयोग का गठित करेगी. लेकिन ऐसा लगता है कि सत्ता में आते ही भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों और इनको लेकर किये गये वादों को बहुत तेजी से भुला दिया गया है।
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भाजपा के समय हुए 'घोटालों में क्लीनचिट'
कमलनाथ के मंत्री भरी विधानसभा में एक के बाद एक उन सभी मामलों में पिछली सरकार को क्लीनचिट देते गये हैं जिनपर वो कभी गंभीर आरोप लगाया करते थे. फिर वो चाहे मंदसौर गोलीकांड हो, नर्मदा प्लांटेशन हो, सिंहस्थ का मामला हो या फिर विख्यात व्यापमं घोटाला जिसमें कमलनाथ की सरकार ने किसी भी तरह की जांच कराने से इंकार कर दिया है जबकि चुनाव से पहले वो खुद इसकी मांग करती रही है. खुद दिग्विजय सिंह इस मामले में सबूत लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गये थे जिसके बाद शिवराज सरकार ने उनके सबूतों को झूठा बताकर उनपर आपराधिक प्रकरण भी दर्ज करा दिया था. कमलनाथ के मंत्रियों के इस करामत के बाद कांग्रेस में घमासान मच गया और दिग्विजय ने सवाल पूछा कि नवगठित सरकार मंदसौर के किसानों के लिए 'असंवेदनशील' कैसे हो सकती है।
बाद में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सफाई पेश करते हुये ट्वीट किया कि "ना हम मंदसौर में किसान भाइयों पर हुए गोलीकांड के दोषियों को बख्शेंगे, ना हम पौधारोपण घोटाले के दोषियों को छोड़ेंगे और ना सिहंस्थ में हुई आर्थिक अनियमित्ताओ के दोषियों को, चाहे पीडि़त किसान भाइयों को न्याय दिलवाना हो या घोटाला करने वालों को सजा दिलवाना, यह हमारा संकल्प है."ऐअसा लगता है मध्यप्रदेश में कांग्रेस लोकसभा भी हिंदुत्तव के सहारे ही लड़ना चाहती है. तीन राज्यों में जीत के बाद कांग्रेस को यकीन हो गया है कि भाजपा से मुकाबले के लिये उसे अपना हथियार मिल गया है और वो हिन्दुतत्व की इसी रास्ते पर चलते हुये ही भाजपा को टक्कर दे सकती है. लेकिन कांग्रेस को शायद यह एहसास नहीं है कि इस खेल में उसने अपनी वैचारिक जमीन खो दी है और अब उसे संघ-भाजपा के जमीन पर खड़े होकर मुकाबला करना पड़ रहा है।
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