जब स्टार क्रिकेटर थे कीर्ति आजाद तब स्वागत में खड़े रहते थे नरेन्द्र मोदी?
पटना। दरभंगा के सांसद कीर्ति आजाद अब झारखंड के धनबाद से राजनीति की नयी पारी खेलेंगे। गुरुवार को उन्होंने क्रिकेट और राजनीति से यादों को साझा किया। उन्होंने कहा कि मैं भारत की विश्व विजेता क्रिकेट टीम का हिस्सा था। खेल की वजह से मैं स्टार प्रचारक था। उस समय नरेन्द्र मोदी भाजपा में संगठन मंत्री हुआ करते थे। जब मैं प्रचार के लिए पहुंचता था तो नरेन्द्र मोदी मेरी आगवानी के लिए स्टेशन पर आते थे। वक्त-वक्त की बात है। उसी नरेन्द्र मोदी ने अरुण जेटली की वजह से मुझे भाजपा से निकाल दिया। मैंने अरुण जेटली के भ्रष्टाचार को उजागर किया। इसे भाजपा ने मेरी गलती मानी। मैं सच्चा खिलाड़ी हूं और सच्चा राजनीतिज्ञ भी। क्या कीर्ति आजाद सचमुच सितारा क्रिकेटर थे ? इस सवाल के जवाब के लिए क्रिकेट की दुनिया में दाखिल होना पड़ेगा।
कुछ यूं शुरू हुआ क्रिकेट का सफर
कीर्ति आजाद का पूरा नाम कीर्तिवर्द्धन झा आजाद है। वे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के पुत्र हैं। वे केन्द्रीय मंत्री भी रहे थे। कीर्ति का अधिकतर समय दिल्ली में गुजरा। स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई दिल्ली में ही हुई। स्कूल के दिनों से क्रिकेट खेलते थे। कॉलेज में आये तो दिल्ली विश्वविद्यालय क्रिकेट टीम का हिस्सा बने। फिर दिल्ली रणजी टीम के लिए चुने गये। कीर्ति आजाद आक्रामक बल्लेबाज और ऑफ स्पिन गेंदबाज थे। 1980-81 का सत्र उनके क्रिकेट करियर के लिए अहम साल साबित हुआ। आस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड दौरे के लिए जब भारतीय टीम एलान हुआ तो उसमें कीर्ति आजाद का भी नाम था। हालांकि उनके चयन पर हैरानी भी जाहिर की गयी थी। चूंकि उनकी छवि एक आक्रामक बल्लेबाज की थी इस लिए उन्हें पहले एकदिवसीय टीम में शामिल किया गया। उन्होंने आस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने वनडे क्रिकेट करियर का आगाज किया। यह मैच भारत जीत तो गया लेकिन कीर्ति का प्रदर्शन कोई खास नहीं रहा। उन्होंने केवल 4 रन बनाये। फिर उन्होंने 1981 में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपने टेस्ट जीवन की शुरुआत की। इसी टेस्ट मैच में युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह ने भी अपना करियर शुरू किया था। योगराज तेज गेंदबाज । इस टेस्ट में कीर्ति को गेंदबाजी का मौका नहीं मिला। बैटिंग की बारी आये तो उनके बल्ले से 20 रन निकले।
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1983 की विश्वविजेता टीम का हिस्सा बने
क्रिकेट में कीर्ति आजाद का करियर कुछ खास नहीं चल रहा था। वे टीम से अंदर बाहर हो रहे थे। 1983 के विश्वकप टीम में ऑलराउंडरों पर खास फोकस किया गया था। इस बिना पर कीर्ति आजाद का भी टीम में सेलेक्शन हो गया। उस समय कपिल देव, मोहिन्दर अमरनाथ, रवि शास्त्री, रोजर बिन्नी, मदन लाल जैसे हरफनमौला खिलाड़ी टीम में शामिल थे। इंग्लैंड की धरती पर 9 जून 1983 को क्रिकेट का महाकुंभ शुरू हुआ। भारत ने पहले ही मैच में सबसे शक्तिशाली समझी जाने वाली टीम वेस्टइंडीज को हरा कर तहलका मचा दिया। भारत शुरू के पांच मुकाबले खेल कर तीन जीत और दो हार के साथ मजबूत स्थिति में था। पहले पांच मैचों तक कीर्ति को प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं किया गया था।
छठे मैच में कीर्ति को खेलने का मिला मौका
भारत का छठा मुकाबला फिर आस्ट्रेलिया से थे। इसके पहले आस्ट्रेलिया भारत को हरा चुका था। भारत ने 60 ओवरों (पहले वनडे मैच 60 ओवर के होते थे) में कुल 247 रन बनाये। कपिल देव के रूप में जब पांचवें विकेट का पतन हुआ को कीर्ति विश्वकप खेलने पहली बार मैदान में उतरे। उन्होंने 18 बॉल खेली। एक चौके के साथ 15 रन बनाये। इस मैच में दुनिया के सबसे तेज गेंदबाज माने जाने वाले जेफ थोमसन भी खेल रहे थे। भारत ने यह मैच 118 रनों से जीता था। कीर्ति आजाद ने 2 ओवर गेंदबाजी की। 7 रन दिये और कोई विकेट नहीं मिला। मदन लाल के 4 और रोजर बिन्नी के 4 विकेट के दम पर भारत ने आस्ट्रेलिया को करारी मात दी।
विश्वकप के सेमीफाइनल और फाइनल में खेले कीर्ति
सेमीफाइनल में भारत का मुकाबला इंग्लैंड से था। इस मैच में कीर्ति आजाद खेल रहे थे। पूरे टूर्नामेंट में यह मैच उनके लिए यादगार रहा। अंग्रेज बल्लेबाजों के खिलाफ कीर्ति ने अपनी ऑफ स्पिन गेंदबाजी का शानदार नमूना पेश किया। उन्होंने 12 ओवर में एक मेडन रखते हुए केवल 28 रन दिये और एक विकेट भी हासिल किया। यह विकेट खतरनाक पिंच हिटर इयान बॉथम का था। इंग्लैंड की टीम मात्र 213 पर सिमट गयी। इसके बाद मोहिंदर अमरनाथ के 46, यशपाल शर्मा को 61 और संदीप पाटिल के 51 रनों की बदौलत ने भारत ने चार विकेट पर ही जीत का लक्ष्य हासिल कर लिया। कीर्ति को बैंटिंग का मौका ही नहीं मिला। फाइनल में भारत ने वेस्टइंडीज के 43 रनों से हरा कर एक नया इतिहास रचा। लेकिन इस मैच में कीर्ति का प्रदर्शन बहुत खराब रहा। वेस्टइंडीज के तूफानी गेंदबाज एंडी रॉबर्ट्स ने उन्हें जीरो पर बोल्ड कर दिया था। बॉलिंग में उनके हिस्से केवल 3 ओवर आये जिसमें उन्होंने 7 रन दिये और कोई विकेट नहीं मिला।
केवल 7 टेस्ट और 25 वनडे खेल पाये कीर्ति
कीर्ति आजाद का क्रिकेट जीवन केवल छह साल (1980 से 1986) का रहा। इन छह सालों में उन्होंने मात्र 7 टेस्ट और 25 वनडे मैच खेले। उनके प्रदर्शन में निरंतरता नहीं थी। इस लिए टीम से अंदर बाहर होते रहे। 7 टेस्ट मैचों में कुल 135 रन बनाये जिसमें 24 सर्वोच्च स्कोर है। उन्हें 3 टेस्ट विकेट भी मिले हैं। 25 एकदिवसीय मैचों में उन्होंने 269 रन बनाये हैं और 7 विकेट लिये हैं। 39 उनका सर्वोच्च स्कोर है। उन्होंने दिल्ली के लिए 95 रणजी मैच खेले हैं जिसमें कुल 4867 रन बनाये और 162 विकेट लिये। 215 उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर है। कुल मिला कर कार्ति आजाद के क्रिकेट जीवन की यही जमा-पूंजी है। अब फैसला पाठकों पर है कि वे कीर्ति आजाद के दावे पर क्या सोचते हैं।
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