प्रवासी मजदूरों के लिए ट्रेन सेवा होनी चाहिए फ्री, मशहूर एक्टर ने किया Tweet
मुंबई। कोरोना वायरस की वजह से चल रहे लॉकडाउन को केंद्र सरकार ने 17 मई तक बढ़ा दिया है लेकिन इस दौरान दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को घर वापस जाने की सशर्त इजाजत भी दी गई है, इसके साथ ही शहरों में फंसे मजदूरों को वापस भेजने के लिए सरकार ने विशेष ट्रेन की व्यवस्था करने का फैसला किया है, हालांकि, यह कहा जा रहा है कि टिकट का पैसा खुद मजदूर वर्ग को ही देना होगा, जिसके बाद इस मुद्दे पर राजनीति गर्मा गई है, कांग्रेस जहां इस बात का पुरजोर विरोध कर रही हैं वहीं दूसरी ओर काफी लोगों ने सोशल मीडिया पर इस पर प्रतिक्रिया दी है।
'प्रवासी मजदूरों का खर्च उठाना चाहिए जो घर वापस लौट रहे हैं'
ज्वलंत मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखने वाले एक्टर रितेश देशमुख ने Twitter पर लिखा है कि हमें एक देश के तौर पर उन प्रवासी मजदूरों का खर्च उठाना चाहिए जो अपने घर वापस लौट रहे हैं, अभिनेता ने अपने ट्ववीट पर एक व्यक्ति की भी फोटो भी शेयर की, जो गोद में अपनी मां को उठाए सड़क पर चला जा रहा है।
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'रेल सेवा फ्री होनी चाहिए'
रितेश ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि एक देश के तौर पर हमें प्रवासियों को घर वापस भेजने का खर्च उठाना चाहिए, रेल सेवा फ्री होनी चाहिए, मजदूर वैसे ही कोरोना वायरस के कहर के बीच बिना भुगतान और बिना आश्रय के बोझ तले दबते जा रहे हैं, एक्टर का ये ट्वीट इस वक्त सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना है।
सोनिया गांधी ने किया बड़ा ऐलान
गौरतलब है कि आज ही कांग्रेस पार्टी ने फैसला किया है कि मजदूरों के रेल टिकट का पैसा वो खुद देगी। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की तरफ से इसे लेकर सोमवार को एक बयान जारी किया गया, जिसमें उन्होंने कहा है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी और वह इस बारे जरूरी कदम उठाएगी। यह हमारे हमवतन लोगों की सेवा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का विनम्र योगदान होगा और साथ ही हमें उनके साथ एकजुटता से कंधे से कंधा मिलाकर चलना भी होगा।
रेल मंत्रालय मजदूरों के किराये का खर्च क्यों नहीं उठा सकता है?
सोमवार को जारी किए गए बयान में कांग्रेस ने सवाल किया है कि सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन लागू होने की वजह से देश के मजदूर अपने घर वापस जाने से वंचित रह गए। 1947 के बाद देश ने पहली बार इस तरह का मंजर देखा जब लाखों मजदूर पैदल ही हजारों किमी. चलकर घर जा रहे थे। सोनिया गांधी ने बयान में कहा कि जब हम लोग विदेश में फंसे भारतीयों को बिना किसी खर्च के वापस ला सकते हैं, गुजरात में एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपये खर्च कर सकते हैं, अगर रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री राहत कोष में 151 करोड़ रुपये दे सकता है तो फिर मुश्किल वक्त में मजदूरों के किराये का खर्च क्यों नहीं उठा सकता है?
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