बदल गए बीजेपी के लौह पुरुष, 5 सालों में संसद में सिर्फ 365 शब्द बोले लालकृष्ण आडवाणी
नई दिल्ली। एक समय था जब भाजपा सांसद लाल कृष्ण आडवाणी संसद में बोलते थे तो उन्हें शानदार वक्ता माना जाता था। लेकिन समय के साथ उन्होंने बोलना कम कर दिया है। 2009 से 2014 की पंद्रवी लोकसभा से तुलना की जाए तो 2014 से 2019 में उनके द्वारा बोले गए शब्दों में 99 फीसदी की गिरावट आई है।15वीं लोकसभा के दौरान आडवाणी 42 बार बहसों और अन्य कार्यवाहियों में हिस्सा लिया और करीब 35,926 शब्द बोले थे। वे 5 सालों में 296 दिन संसद में उपस्थित रहे जहां उन्होंने केवल 365 शब्द बोले हैं।
बता दें कि साल 2012 में 8 अगस्त को लोकसभा में असम में बड़े पैमाने पर होने वाली जातीय हिंसा को लेकर स्थगन प्रस्ताव पर बहस चल रही थी। तब बीजेपी की ओर से लाल कृष्ण आडवाणी ने नेतृत्व किया था। तब संसद में जमकर हंगामा हुआ। उनके नेतृत्व से यूपीए सरकार की हालत खराब हो गई थी। ट्रेजरी बेंच से लगातार बाधा आ रही थी लेकिन आडवाणी फिर भी लगातार बोलते रहे और जितनी देर बोलना था बोलते रहे। तब उस एक दिन में आडवाणी ने अपने भाषण में 4,957 शब्द बोले।
लेकिन अब आडवाणी उस तीव्रता से नहीं बोलते। बीते 8 जनवरी 2019 लोकसभा में खूब हंगामा हुआ। नरेंद्र मोदी की सरकार ने सदन में नागरिकता संशोधन बिल रखा। ये बिल पारित हुआ और असम पर इसका काफी असर पड़ेगा। इस दिन आडवाणी लोकसभा में मौजूद थे लेकिन इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर भी वे एक भी शब्द नहीं बोले। इसका मतलब की 15वीं लोकसभा से 16 लोकसभा के दस सालों में उनकी दुनिया ही बदल गई। बता दें कि ये वही आडवाणी हैं जिनकी जीवनी ही 1000 पन्नों की है। इस समय उनकी उम्र 91 साल है और वे खराब सेहत से जूझ रहे हैं। इसके बावजूद संसद में उनकी उपस्थिति अच्छी खासी रही।
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