कठुआ गैंगरेप: फेयर ट्रायल हमारी प्राथमिकता, सुप्रीम कोर्ट ने केस को जम्मू से बाहर भेजने के दिए संकेत
सुप्रीम कोर्ट ये भी सुनिश्चित करेगा कि ट्रायल ट्रांसफर किया जाए या नहीं। इस मामले का ट्रायल फास्ट ट्रैक में चले और कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन ना हो
नई दिल्ली। कठुआ गैंगरेप मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पीड़ित को फेयर ट्रायल मिले ये कोर्ट की पहली प्राथमिकता है और फेयर ट्रायल का अधिकार आरोपियों को भी है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जरूरत पड़ी तो केस को ट्रांसफर कर देंगे। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को पीड़िता के जैविक पिता और आरोपियों की याचिका पर सुनवाई करेगी। चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले में पीड़िता को ध्यान में रखा जाना चाहिए। इसलिए शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई की जाएगी।
मामले की सुनवाई शुक्रवार को होगी
सुप्रीम कोर्ट ये भी सुनिश्चित करेगा कि ट्रायल ट्रांसफर किया जाए या नहीं। इस मामले का ट्रायल फास्ट ट्रैक में चले और कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन ना हो। इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को होगी। वहीं कठुआ गैंग रेप मामले में BCI की कमेटी की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौपीं गई। कमेटी के अपनी रिपोर्ट में कहा कि सीबीआई जांच की मांग तर्कसंगत है। इस केस में मीडिया ने गलत रिपोर्टिंग की है। रिपोर्ट मैं कह गया कि वकीलों ने आरोपपत्र दाखिल करने में कोई रुकावट पैदा नहीं की। पीड़ित की वकील दीपिका सिंह राजावत ने जो आरोप लगाए है उनका कोई आधार नहीं है न ही वो साबित हो पाए।
मुख्य आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है
कठुआ में 8 साल की लड़की के साथ गैंगरेप के मामले में मुख्य आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दरअसल पीड़िता के पिता ने याचिका दायर की है कि इस मामले की सुनवाई जम्मू कश्मीर से बाहर की छत्तीसगढ़ में की जाए। इस याचिका के खिलाफ मुख्य आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सांजी राम और विशाल जंगोतरा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके मांग की है कि इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए। दोनों ही मुख्य आरोपियों ने खुद को इस मामले में निर्दोष बताया है। उन्होंने कहा कि उन्हें मजबूर होकर अग्रिम जमानत की याचिका दायर करनी पड़ी क्योंकि उन्हें इस मामले में फर्जी तरीके से फंसाया गया है। उन्हें जानबूछकर इस फर्जी मामले में फंसाया गया है ताकि असल आरोपियों को बचाया जा सके। आरोपियों ने अपनी याचिका में कहा है कि हमारे अधिकार और हितों की रक्षा के लिए इस मामले को दूसरे राज्य में ट्रांसफर नहीं किया जाए क्योंकि इससे हमारे अधिकार व हितों पर प्रभाव पड़ेगा।
'मंदिर में मिले खून के निशान पीड़िता के ही है'
कश्मीर से कन्याकुमारी तक दिल को झकझोर देने वाले कठुआ गैंग रेप मामले में तमाम सबूतों की जांच करने वाली दिल्ली की फॉरेंसिक लैब (FSL) ने सभी सबूतों को सच माना है। FSL की रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है कि मंदिर में मिले खून के निशान पीड़िता के ही है, जिससे ये बात सत्यापित होती है कि मंदिर के अंदर ही आठ साल की बेटी के साथ दुष्कर्म किया गया था।
ये भी पढ़ें- आसाराम के वो 7 कोड वर्ड, जो रेप करने के लिए इस्तेमाल करता था
ये भी पढ़ें- चाची ने नाबालिग भतीजी को जबरन शराब पिलाकर ब्वॉयफ्रेंड से कराया रेप