कर्नाटक में सरकार बचाने के लिए कांग्रेस ने झोंकी ताकत, गुलाम नबी आजाद और बीके हरिप्रसाद जाएंगे बेंगलुरु
नई दिल्ली। कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार पर मंडरा रहा खतरा अभी टला नहीं है। विधानसभा स्पीकर ने भले ही बागी विधायकों की किस्मत का फैसला ना किया हो लेकिन कांग्रेस आलाकमान अब कर्नाटक के हालात को लेकर गंभीर हो गया है। पार्टी ने अब वरिष्ठ नेताओं गुलाम नबी आजाद और बीके हरिप्रसाद को मंगलवार को बेंगलुरु भेजने का फैसला किया है।
पार्टी के इन दोनों नेताओं को कर्नाटक में पैदा हुए सियासी संकट से निपटने की जिम्मेदारी दी गई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के बेंगलुरु आने पर महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि उन्होंने ही इनको बेंगलुरु बुलाया है, क्योंकि इस वक्त उनके नेतृत्व की यहां जरूरत है। 13 विधायकों के इस्तीफे के बाद कर्नाटक की कुमारस्वामी सरकार पर अल्पमत में आने का खतरा मंडरा रहा है। सरकार को बचाने की कोशिश में जेडीएस और कांग्रेस के सभी मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, कर्नाटक के सियासी संकट का मुद्दा संसद सत्र के दौरान भी गरमाया रहा।
गुलाम नबी आजाद और बीके हरिप्रसाद जाएंगे बेंगलुरु
जिन विधायकों ने इस्तीफा दिया है, उनके इस्तीफे पर विधानसभा स्पीकर को फैसला लेना है। विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार अगर विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लेते है तो सत्तारूढ़ गठबंधन पर अल्पमत में आने का खतरा मंडरा सकता है। हालांकि, स्पीकर का कहना है कि उनके पास कोई विधायक मिलने नहीं आया है, अगर कोई विधायक मिलने का वक्त लेता है तो वे हर वक्त उपलब्ध हैं।
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दूसरी तरफ, बीजेपी लगातार कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन पर दबाव बनाए हुए है। 13 विधायकों के इस्तीफे के बाद अब भाजपा का दावा है कि कुमारस्वामी सरकार अल्पमत में आ चुकी है और उनके पास बहुमत नहीं है। बीजेपी का कहना है कि उनके पास अब 107 की संख्या है जबकि गठबंधन सरकार के पास 103 की संख्या ही रह गई है, ऐसे में राज्यपाल बीजेपी को सरकार बनाने का न्यौता दे सकते हैं।