कैफियत एक्सप्रेस हादसाः अगर ये कोच ना होते तो आज भी दिखता लाशों का मंजर
इटावा। अभी उत्कल एक्सप्रेस हादसे का दर्द कम ही नहीं हुआ था कि आज एक बार फिर से यूपी में हुए रेल एक्सीडेंट ने लोगों को भयभीत कर दिया है। लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर रेलवे महकमे को हो क्या गया है।
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आपको बता दें कि दिल्ली-हावड़ा रेल मार्ग पर औरैया के पास कैफियत एक्सप्रेस की एक डंपर से टक्कर हो गई, जिससे उसके 8 डिब्बे पटरी से उतर गए, इस हादसे में 74 लोग घायल हो गए हैं, घायलों का इलाज अस्पताल में चल रहा है।
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वैसे आज के हादसे में लोगों की जान बच गई और भारी आर्थिक नुकसान की खबर भी नहीं है तो इसके पीछे वजह जर्मन तकनीक से बने हुए लिंक-हॉफमैन बुश कोच को बताया जा रहा है, जिन्हें साधारण भाषा में LHB कोच कहते हैं।
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क्या है LHB कोच की खासियत
- दरअसल ये कोच आधुनिक तकनीक से बने हुए हैं, जिसकी वजह से अगर ये कभी दुर्घटनाग्रस्त होते हैं तो ये कोच एक-दूसरे के ऊपर नहीं चढ़ते हैं।
- इन कोच का बाहरी हिस्सा जहां स्टेनलेस स्टील से बना होता है।
- वहीं अंदरूनी हिस्से अल्यूमिनयम के होते हैं।
- ये पारंपरिक कोचों की तुलना में ज्यादा हल्के और सुरक्षित होते हैं।
- हर कोच में एक अलग उन्नत न्यूमैटिक डिस्क ब्रेक लेग होते हैं।
- जिससे तेज गति से चलने के दौरान भी ट्रेन को आसानी से और जल्दी रोका जा सकता है।
- भारतीय रेल ने वर्ष 2000 से ही इन LHB कोच का इस्तमेाल शुरू किया था।
- रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने वर्ष 2017 तक सभी ट्रेनों में ये उन्नत कोच लगाने की घोषणा की थी।
- वर्तमान में एसी श्रेणी के एलएचबी कोच की निर्माण लागत डेढ़ से दो करोड़ तक है।
- स्लीपर व जनरल कोच को बनाने में भी क्रमश: 80 एवं 50 लाख तक की लागत आती है।
- भारतीय रेलवे के वर्तमान एसी कोच की लागत लगभग 60 लाख है।
- स्लीपर कोच की कीमत 22 लाख तक है।
- बीते शनिवार को कैफियत एक्सप्रेस से पहले उत्कल एक्सप्रेस मुजफ्फरनगर के खतौली के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसमें 24 लोगों की मौत हो गई थी।
- इस हादसे में हताहतों की तादाद इसलिए ज्यादा रही, क्योंकि इस गाड़ी में पुरानी तकनीक के डिब्बे लगे हुए थे।
- दुर्घटना इतनी भयावह थी कि पटरी से उतरे 13 कोच एक-दूसरे पर जा चढ़े थे।
- डिब्बो को काटकर लोगों के शवों को निकाला गया था।
पारंपरिक कोचों की तुलना में ज्यादा हल्के और सुरक्षित
वर्ष 2000 से ही LHB कोच का इस्तमेाल
80 एवं 50 लाख तक
उत्कल एक्सप्रेस के थे पुराने तरह के कोच