Jharkhand election results: झारखंड चुनाव का सबक, डबल इंजन में एक फुंका हुआ इंजन नहीं चलेगा?
नई दिल्ली। झारखंड के चुनावी रण में सत्ताधारी बीजेपी की शिकस्त साफ नजर आ रही है। भले ही अभी फाइनल नतीजे सामने नहीं आए हैं लेकिन जिस तरह के आंकड़ें दिख रहे हैं उसमें कहीं न कहीं बीजेपी का झारखंड की सत्ता से बाहर होना तय माना जा रहा है। अब तक आए रूझानों पर गौर करें तो प्रदेश में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के नेतृत्व में बने कांग्रेस-आरजेडी महागठबंधन को बहुमत के आसार हैं। महागठबंधन इस भगवा किले पर फतह के साथ ही सत्ता पर काबिज होने की तैयारी में जुट गया है। दूसरी ओर बीजेपी प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी तो जरूर बनीं लेकिन बहुमत के आंकड़ें से दूर ही रह गई। बीजेपी के इस प्रदर्शन को देखते हुए एक बार फिर से सवाल उठे आखिर पार्टी के रणनीतिकारों से गलती कहां हुई? फिलहाल पार्टी इस पर चर्चा करेगी लेकिन जानकारों की मानें तो झारखंड चुनाव में बीजेपी की हार से जो सबक निकलकर आया वो यही है कि डबल इंजन में एक फुंका हुआ इंजन नहीं चलेगा?
ज्यादा सीटें जीत कर भी सरकार बनाने से क्यों पिछड़ रही बीजेपी
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब से देश के प्रधानमंत्री बने हैं, वो अकसर अपने भाषणों में डबल इंजन वाली सरकार की बात करते रहे हैं। खास तौर से विधानसभा चुनाव के दौरान उनका पूरा जोर इसी बात रहता है, कि केंद्र के साथ-साथ प्रदेश में भी उसी दल की सरकार हो। पीएम मोदी अकसर सार्वजनिक मंचों से इस फॉर्मूले का जिक्र करते हैं और इसे विकास की अहम वजह भी बताते हैं। उनका तर्क स्पष्ट रहता है कि केंद्र में बीजेपी की सरकार है लेकिन प्रदेश में अगर गैर-बीजेपी दल की सरकार होने पर वो केंद्र की विकास योजनाओं पर बाधा उत्पन्न करते हैं। पीएम मोदी के इस फॉर्मूले को कुछ वक्त पहले तक काफी पसंद भी किया गया, इसी का असर था कि बीजेपी ने 2014 के बाद करीब 21 राज्यों में सत्ता संभाली या फिर सरकार में साझीदार बनने में कामयाब हुई।
जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन बहुमत की ओर
2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो उस समय बीजेपी की महज सात राज्यों में ही सरकार थी। इनमें भी दो राज्य ऐसे थे जिन पर बीजेपी गठबंधन सरकार में थी। उस समय कांग्रेस की 13 राज्यों में सरकार थी। लेकिन अगले तीन साल में ही बीजेपी ने अपने दम पर या फिर अपने सहयोगियों के साथ मिलकर करीब 21 राज्यों में सरकार बनाने में सफल हो गई। लेकिन दिसंबर 2018 के बाद से बीजेपी की चुनावी रणनीति को कई राज्यों में तगड़ा झटका लगा। इसके बाद लगातार पार्टी को हार सामना करना पड़ा।
आखिर क्या है पीएम मोदी की डबल इंजन थ्योरी
अगर हम पिछले करीब दो साल की स्थिति पर नजर डालें तो देश के कई राज्य बीजेपी के हाथ से निकल चुके हैं। 5 राज्यों पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, और जम्मू-कश्मीर की सत्ता से बाहर होना पड़ा। इसके बाद पार्टी को महाराष्ट्र में सत्ता वापसी की उम्मीदें थीं लेकिन जिस तरह से चुनाव के बाद समीकरण बदले और शिवसेना ने अलग रुख अपनाया उससे पार्टी की रणनीति बिल्कुल फेल हो गई। ऐसा ही कुछ हरियाणा में भी देखने को मिला जहां बीजेपी बड़ी पार्टी बनकर भी बहुमत से दूर नजर आई लेकिन आखिरी वक्त में जननायक जनता पार्टी का सपोर्ट मिलने के बाद पार्टी सत्ता में वापसी करने में कामयाब हुई।
आखिर क्यों फेल हो रही डबल इंजन थ्योरी
कुल मिलाकर देखें तो पहले महाराष्ट्र में सत्ता बेदखल होने के बाद अब झारखंड में भी बीजेपी सत्ता से बाहर होने जा रही है। कुल मिलाकर हाल में सामने आए विधानसभा के नतीजों से ये लगने लगा कि जनता ने डबल इंजन फॉर्मूले को तो अपनाया लेकिन ये भी साफ कर दिया कि डबल इंजन में एक फुंका हुआ इंजन नहीं चलेगा? झारखंड में हार के पीछे ये अहम फैक्टर माना जा रहा है। कहीं न कहीं जनता ने रघुबर दास की सरकार में हुए कामकाज पर भरोसा नहीं जताया। वहीं झारखंड चुनाव में स्थानीय मुद्दों की जगह राष्ट्रीय मुद्दों को उठाए जाने का भी असर नतीजों में दिखा, क्योंकि प्रदेश में स्थानीय मुद्दे बेहद अहम रोल निभाते हैं।
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