बुलेट ट्रेन के बदले भारत से जापानी लड़की की चाहत
गुजरात विद्यापीठ से गांधी दर्शन में पीएचडी करने वाली जापानी छात्रा की चिट्ठी...
काओरी कुरीहारा जापान से हैं और उन्होंने गुजरात के अहमदाबाद स्थित गुजरात विद्यापीठ से गांधी दर्शन में एमए के बाद पीएचडी की है.
जापान के प्रधानमंत्री शिंज़ो अबे के गुजरात दौरे को लेकर कुरीहारा ने 'बीबीसी न्यूज़ गुजराती' के लिए जापान से एक चिट्ठी लिखी है. जानें, इस चिट्ठी में क्या लिखा है उन्होंने:
हमारे प्रधानमंत्री शिंज़ो अबे भारत की पहली बुलेट ट्रेन के भूमि पूजन के लिए गुजरात आए हैं. जापान जब बुलेट ट्रेन दे रहा है, तब मैं चाहती हूं कि गुजरात से हम गांधी बापू के विचार और मूल्यों को जापान लेकर जाएं.
मेरा नाम काओरी कुरीहारा है. मैं जापान में पैदा हुई हूं और थोड़ी अंग्रेज़ी भी बोल सकती हूं. गांधी जी की कर्मभूमि में जाकर उनकी मातृभाषा में ही उन्हें समझने के संकल्प के साथ मैं अहमदाबाद आई थी. वहां मैं साढ़े सात साल तक रही. मैंने गुजराती भाषा सीखी और गांधी जी को नज़दीक से समझने का प्रयास किया.
फिलहाल मैं गांधी जी के विचारों का जापान में प्रचार-प्रसार करने के अलग-अलग रास्ते ढूंढ रही हूं. इसके लिए मैं जापान में अलग-अलग तरह के लोगों से मिल रही हूं.
बुलेट ट्रेन के साथ जापान धक्का लगाने वाले 'पुशर' भी देगा!
चीन के 'वन बेल्ट वन रोड' का ऐसे जवाब देंगे भारत और जापान?
विकास के मायने समझा गए थे गांधी
आजकल भारत और जापान के बीच 'विकास' को लेकर बहुत चर्चा होती है. गांधी विचारों की विद्यार्थी होने के नाते विकास के विषय में मेरे विचार हैं कि विकास सिर्फ़ आर्थिक वृद्धि को केंद्र में रखकर आगे बढ़ने का प्रयास नहीं है. विकास अन्य लोगों से ज़्यादा पैसा, सत्ता और प्रतिष्ठा पाने की जद्दोजहद भी नहीं है.
विकास ऐसा नहीं होना चाहिए, जो इंसान के दिल से इंसानियत का दीप बुझा दे. विकास का कैसा मार्ग पसंद करना है, यह हमारे हाथ में है.
'विकास' कैसा होना चाहिए और उसके लिए कौन सा मार्ग अपनाना चाहिए, गांधी जी उसके भी संकेत देकर गए हैं.
' मुझे देख हैरान थे लोग '
मैंने 2009 में गुजरात विद्यापीठ के गांधी दर्शन एमए अभ्यासक्रम में दाखिला लिया था. तब बहुत से लोग मेरे बारे में जानने के लिए उत्सुक थे. उन्होंने मुझ पर सवालों की झड़ी लगा दी.
एक ने पूछा, "जापानी लड़की को गांधी के विचारों से क्या लेना-देना?" एक अध्यापक ने मुझे सलाह दी कि गुजराती सीखने से बेहतर है कि तुम अपनी कच्ची अंग्रेज़ी को पक्का करो.
मेरी एक दोस्त ने कहा, "काओरी, जापान में यूनिवर्सिटी नहीं है कि तुझे अपने माता-पिता को छोड़कर यहां आना पड़ा? बेचारी!"
लोग ऐसी बातें करें, यह स्वाभाविक था. गुजराती का 'क, ख, ग' भी नहीं जानने वाली जापानी लड़की गुजराती भाषा सीखकर गांधी जी के विचारों का अभ्यास कैसे करेगी, यह किसी को मालूम नहीं था.
लोग मुझे पागल समझते थे और कहते थे कि यह विचित्र प्राणी है. मेरा सौभाग्य है कि जापान से आए इस विचित्र प्राणी को एमए से लेकर पीएचडी तक का अभ्यास करने का मौका मिला. इसके लिए मैं गुजरात विद्यापीठ की आभारी हूं.
आपको मालूम है महात्मा गांधी का उत्तर कोरिया से कनेक्शन?
जब महात्मा गांधी पहली बार कश्मीर पहुंचे
आज मैं गांधी जी के लेख और भाषण गुजराती भाषा में बिना किसी तकलीफ़ के समझ सकती हूं. एक विद्यार्थी होने के नाते मुझे ऐसा लगता है कि गांधी जी को पूरा समझने के लिए उनके लिखे मूल लेखों को पढ़ना ज़रूरी है.
हालांकि, गांधी जी की बहुत सी सामग्री अंग्रेज़ी में भी उपलब्ध है, मगर उनके शब्द प्रयोग का मज़ा, किसी पर मज़ाक या टीका-टिप्पणी करने का उनका अंदाज़, उनकी आवाज़ और स्वर को समझने का जो आनंद मूल गुजराती में मिलता है, वैसा दूसरी भाषा में नहीं मिलता, ऐसा मैं मानती हूं.
'जापान में गांधी जी के विचार फैला रही हूं'
गुजरात विद्यापीठ में जनवरी 2017 में थीसिस जमा कराने के बाद मैं जापान वापस आ गई हूं. अभी मैं गांधी जी के विचारों और अहिंसा की बातों को जापान में फैलाने का प्रयास कर रही हूं. ऐसे बहुत सारे लोगों से मैं जापान में मिलती हूं, जिनकी रुचि गांधी जी के बारे में जानने-समझने में हो.
हाल ही में मैं पश्चिम जापान के एक हाई स्कूल के वाइस चांसलर से मिली. वह इतिहास के अध्यापक हैं और गांधी जी के विचारों में उन्हें बहुत रुचि है. उन्हें मैं गांधी जी, उनके सहयोगियों, भारत के स्वतंत्रता संग्राम और अहिंसा के महत्व के बारे में बताती हूं. साथ ही गांधी जी की भूमि में अपने अनुभव भी साझा करती हूं.
यह अध्यापक टोक्यो से 800 किलोमीटर दूर रहते हैं, फिर भी हम महीने दो महीने में मिलकर गांधी जी को समझने का प्रयास करते हैं.
मैं गुजरात में ऐसे कई लोगों से मिली थी, जिन्होंने गांधी जी को जीवित देखा था और उनके साथ काम भी किया था.
जब मैं गुजरात विद्यापीठ में पढ़ रही थी तब उसके चांसलर नारायण देसाई थे. उनके पास से मैंने गांधी जी के बारे में बहुत कुछ सीखा और जाना. गांधी जी की जानकारी मैं आजकल जापानी लोगों तक पहुंचा रही हूं. इसके लिए मैं गांधी जी के विचारों, उनके साथ जुड़ी चीज़ों, इमारतों और लोगों की तस्वीरों को इस्तेमाल करती हूं.
मैं अध्यापक के अलावा, एक एक्युपंक्चर डॉक्टर को भी गांधी जी के बारे में बता रही हूं. वह हिंसा विरोधी नहीं हैं, मगर गांधी जी, कार्ल मार्क्स और गांधी जी की अहिंसक लड़ाई के बारे में जानने में उन्हें बहुत रुचि है.
वह अभी गांधी विचारों के महत्व को समझ नहीं पाए हैं, मगर मेरे प्रयास जारी हैं.
जो गांधीवादी विचारों के विरोधी हैं, उन लोगों के साथ समय व्यतीत करना मुझे अच्छा लगता है. क्योंकि इससे मुझे गांधीजी और जेपी कृपलानी के बीच में 1915 में हुई ऐतिहासिक चर्चा याद आती है.
गोरक्षा पर क्या थी महात्मा गांधी की राय
महात्मा गांधी की दुर्लभ तस्वीरें
सभी को लेनी चाहिए प्रेरणा
मेरी प्रार्थना है कि 'विकास' का सही मार्ग अपनाने के लिए सिर्फ़ जापान नहीं, दुनिया के सभी देशों के युवक-युवतियां गांधी जी के जीवन और उनके विचारों से प्रेरणा लें.
आपको लग रहा होगा कि मैं कुछ नहीं कर रही. मगर गांधी जी की एक बात मुझे याद आती है. उन्होंने कहा था, "कुछ करने के लिए एक क़दम बढ़ाना भी महत्वपूर्ण है."
मुझे ख़ुशी है कि मैं अपने देश के लोगों के बीच गांधी जी के सुझाए हुए मार्ग पर अपना नया जीवन शुरू करने जा रही हूं.