क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

उन्नाव रेप केस दिल्ली ट्रांसफ़र होने से कठिनाई बढ़ेगी या कम होगी?

यूपी से सारे संबंधित मामले दिल्ली भेजने के आदेश हो गए हैं लेकिन गवाही, सुनवाई और पीड़िता का परिवार को लेकर कई अनसुलझे सवाल हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव में बलात्कार से जुड़े मामलों को राज्य से बाहर दिल्ली भेज दिया है. इस अदालती फ़ैसले के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर भी सवाल उठ रहे हैं.

 

By विनीत खरे
Google Oneindia News
THINKSTOCK

सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव में बलात्कार से जुड़े मामलों को राज्य से बाहर दिल्ली भेज दिया है. इस अदालती फ़ैसले के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर भी सवाल उठ रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई हर रोज़ हो और ये सुनवाई 45 दिनों में ख़त्म की जाए.

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक बेंच ने केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को रायबरेली के रास्ते में हुए सड़क 'हादसे' की जांच भी सात दिन में ख़त्म करने को कहा.

सड़क दुर्घटना में पीड़िता की दो महिला रिश्तेदार मारी गई थीं. खुद पीड़िता और उनके वकील को गंभीर चोट लगी है और वो लखनऊ के एक अस्पताल में भर्ती हैं.

किसी केस को एक राज्य से दूसरे राज्य भेजे जाने का ये पहला मामला नहीं है.

इससे पहले साल 2018 में जम्मू और कश्मीर के कठुआ में बच्ची के बलात्कार और हत्या मामले की सुनवाई पंजाब के पठानकोट की एक अदालत में स्थानांतरित कर दी गई थी.

सुप्रीम कोर्ट
Getty Images
सुप्रीम कोर्ट

कब-कब हुए केस ट्रांसफ़र

साल 2003 में तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के खिलाफ़ आय से अधिक संपत्ति मामले की सुनवाई को तमिलनाडु से बंगलुरू की एक अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था.

साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने सोहराबुद्दीन शेख़ फर्ज़ी मुठभेड़ मामले को गुजरात से मुंबई भेज दिया था.

साल 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने बेस्ट बेकरी मामले को भी गुजरात से मुंबई भेज दिया. 2002 गुजरात दंगों के दौरान हिंसा में बेस्ट बेकरी में 14 लोगों को ज़िंदा जला दिया गया था.

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने बिल्किस बानो गैंगरेप को मामले को अहमदाबाद से मुंबई भेज दिया था.

जानकारों के मुताबिक़, सुनवाई को एक राज्य से दूसरे राज्य भेजे जाने के ऐसे मामलों में कारण स्वतंत्र और न्यायपूर्ण सुनवाई का न हो पाना बताया जाता है और इस क़दम का मक़सद होता है न्याय के प्रति लोगों में विश्वास क़ायम रखना.

जिस राज्य से मामलों को बाहर भेजा जाता है, माना जाता है कि वहां के प्रशासन पर अभियुक्तों की पकड़ होती है और मामले को बाहर भेजे जाने से उसमें बदलाव आता है.

फै़सले से सिस्टम पर सवाल

उन्नाव मामले में सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा फ़ैसले पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.

जहां सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे अदालत के फ़ैसले को "सनसनी फैलाने वाला क़दम" मानते हैं, वकील कामिनी जयसवाल इसे "बहुत देर में लिया गया छोटा क़दम" बताती हैं.

वकील दुष्यंत दवे के अनुसार, "जिन मामलों में ताक़तवर राजनेता अभियुक्त होते हैं, वहां बहुत ज़्यादा फ़र्क नहीं पड़ता क्योंकि उनकी पहुंच हर जगह होती है."

वो कहते हैं, "हमारा सिस्टम पूरी तरह प्रभावहीन और सुस्त है."

लेकिन वकील कामिनी जयसवाल इससे सहमत नहीं हैं और वो नीतीश कटारा हत्याकांड में डीपी यादव के बेटे विकास यादव और उनके चचेरे भाई को दोषी करार दिए जाने का हवाला देती हैं.

साल 2015 में दिल्ली हाईकोर्ट ने नीतीश कटारा हत्याकांड में विकास यादव और उनके चचेरे भाई विशाल यादव को 30-30 साल की सज़ा सुनाई है.

विकास और विशाल यादव अपनी बहन भारती के साथ नीतीश के कथित रिश्तों का विरोध कर रहे थे.

वकील कामिनी जायसवाल कहती हैं, "डीपी यादव उत्तर प्रदेश में बेहद प्रभावशाली नेता थे. वो विधायक थे. उन्हें दोषी तभी करार दिया गया जब मामला दिल्ली पहुंचा लेकिन उन्नाव मामले में बहुत देर हो चुकी है और अभी तक कुछ खास क़दम नहीं लिए जा पाएं हैं. गवाहों की मौत हो चुकी है."

पीड़िता के परिजनों को होगी परेशानी?

लेकिन वकील दुष्यंत दवे के मुताबिक़ मामले को एक राज्य से दूसरे राज्य भेजने के अपने नुक़सान हैं.

वो कहते हैं, "आप बताइए कि इस मामले में गवाह ग़रीब इलाकों से दिल्ली आकर कैसे ग़वाही देंगे. पीड़िता का परिवार दिल्ली में क्या करेगा? दिल्ली में कैसे रहेगा? पीड़िता का परिवार दिल्ली में कब तक रहेगा? सरकार ने उन्हें कोई घर देने का तो प्रावधान किया नहीं है. मामले का स्थानांतरण करना आसान है लेकिन इसके गहरे परिणाम होते हैं."

दुष्यंत दवे के मुताबिक़, बेहतर होता कि इलाहाबाद हाईकोर्ट इस पर कार्रवाई करती.

वो कहते हैं, "बेहतर होता कि अगर सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से निवेदन करता कि वो एक जज को नियुक्त करें और उन्हें हर दिन मामले की सुनवाई करने को कहें. और पुलिस परिवार, सभी गवाहों को पूरी सुरक्षा देने के अलावा पूरा मुआवज़ा दे. ये और अच्छा होता. आप छोटे गांवों से लोगों को हटा नहीं सकते."

गुजरात से मामलों के मुंबई हस्तानंतरण की उन्नाव मामले से तुलना करते हुए दुष्यंत दवे कहते हैं, "वहां अभियुक्त गुजरात पुलिस के अफ़सर और राजनीतिज्ञ थे लेकिन यहां (उत्तर प्रदेश में) ऐसी स्थिति नहीं. कुलदीप सेंगर चाहें तो इसे गैर-संवैधानिक कह कर आपत्ति जता सकते हैं."

उधर कामिनी जायसवाल की नाराज़गी पीड़िता के परिवार की सुप्रीम कोर्ट को लिखी हुई चिट्ठी पर प्रतिक्रिया में कथित देरी से है.

सुप्रीम कोर्ट में हर महीने हज़ारों चिट्ठियां

वो कहती हैं, "ये चिट्ठी भी 17 जुलाई से पड़ी हुई है. चिट्ठी में लिखा गया मामला इतना सीरियस मैटर था कि मुझे समझ नहीं आ रहा है कि उस पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया. वो चिट्ठी तो अब बेमानी हो गई."

"उस पर पास किए गए ऑर्डर बेमानी हो गए. वो चिट्ठी इतनी लंबी चौड़ी चिट्ठी तो थी नहीं. ये कितनी ज़्यादा लापरवाही है. ये चिट्ठी 13 दिनों तक ठंडे बस्ते में पड़ी रही. अगर ये मर्डर नहीं हुआ होता तो ये चिट्ठी भी पड़ी रहती."

उधर सुप्रीम कोर्ट में बीबीसी के सहयोगी संवाददाता सुचित्र मोहंती के मुताबिक, जब चीफ़ जस्टिस ने सुप्रीम कोर्ट के महासचिव से पूछा कि ये चिट्ठी 17 जुलाई से 30 जुलाई तक क्यों पीआईएल सेक्शन में रखी रही, तो जवाब आया कि उच्चतम न्यायालय के पास हर महीने 5,000 से 6,000 चिट्ठियां आती हैं.

कामिनी जायसवाल के मुताबिक, लेटर पेटिशन की ये प्रक्रिया 1979-80 में शुरू हुई थी ताकि बेहद महत्वपूर्ण मामलों में वकील के पास जाकर याचिका बनवाने में वक्त बिताने के बजाया लोग चिट्ठियां भेज दें.

वो कहती हैं. "इस मामले में कई सवालों का जवाब आना बाकी है. ज़रूरी है कि हाई कोर्ट और ज़्यादा संवेदनशील हों और ऐसे मामलों पर खुद संज्ञान लें."

कामिनी जायसवाल का मानना है कि जहां भारत में गवाहों की सुरक्षा का कोई प्रावधान नहीं हैं, कम से कम पीड़िता के परिवार को सुरक्षा के लिहाज़ से उत्तर प्रदेश से बाहर तो लाया ही जा सकता है.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
It would be difficult or easy for the case if Unnao Rape Case transfer to Delhi?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X