हैदराबाद में रूहानी: ईरान के राष्ट्रपति ने भारत को दुनिया में शांति का जीता-जागता उदाहरण बताया
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी इन दिनों भारत आए हुए हैं। रूहानी 15 फरवरी को भारत आए और यहां पर उनका पहला पड़ाव हैदराबाद है। हैदराबाद में रूहानी ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों और मौलानाओं की एक सभा को संबोधित किया। यहां पर रूहानी ने भारत को मौजूदा दौर में शांति का एक बेहतरीन उदाहरण करार दिया।
हैदराबाद। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी इन दिनों भारत आए हुए हैं। रूहानी 15 फरवरी को भारत आए और यहां पर उनका पहला पड़ाव हैदराबाद है। हैदराबाद में रूहानी ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों और मौलानाओं की एक सभा को संबोधित किया। यहां पर रूहानी ने भारत को मौजूदा दौर में शांति का एक बेहतरीन उदाहरण करार दिया। रूहानी ने यह भी कहा कि किसी भी संघर्ष को मिलिट्री से हल नहीं किया जा सकता है। साथ ही वह यह बताना भी नहीं भूले कि ईरान हर मुसलमान देश के साथ अच्छे संबंध चाहता है और भारत के साथ भी उसे अपने रिश्ते अच्छे रखने हैं। रूहानी, शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेंगे और दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता होगी।
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भारत में हर धर्म के लोग
गुरुवार को रूहानी अलग-अलग इस्लामिक स्कूलों से आए विद्धानों और बुद्धिजीवियों के बीच मौजूद थे। यहां पर उन्होंने भारत को वर्तमान समय का एक ऐसा उदाहरण करार दिया जो शांतिपूर्ण है और जहां पर हर धर्म और संप्रदाय के लोग रह रहे हैं। रूहानी ने इस दौरान शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच एकता की अपील की। रूहानी ने करीब आधा घंटे का भाषण दिया और इस दौरान कई अहम बातें भी कहीं। रूहानी ने पश्चिमी देशों को मुसलमानों में अंसतोष पैदा करने के लिए जिम्मेदार ठहराया। रूहानी ने कहा, 'भारत आज एक ऐसा जीता-जागता उदाहरण है जहां पर अलग-अलग धर्म और संप्रदाय के लोग एक साथ रह रहे हैं। यह प्रक्रिया यहां पर कई वर्षों से चल रही है।' रूहानी ने कहा कि शिया, सुन्नी, सूफी, हिंदू, सिख और दूसरे कई धर्मों के लोग एक साथ रह रहे हैं। एक साथ वह अपने देश का निर्माण करते हैं और एक सभ्यता को भी तैयार करते हैं। रूहानी ने अपना भाषण फारसी भाषा में दिया।
एक जैसे हैं ईरान और भारत
रूहानी ने इस दौरान ध्यान दिलाया कि भारत और ईरान के बीच कई तरह के सांस्कृतिक और एतिहासिक रिश्ते हैं जो राजनीति और आर्थिक संबंधों से बहुत आगे हैं। इन दो महान देशों के लोग एक जैसा इतिहास साझा करते हैं। रूहानी ने कहा कि ईरान को भारत के साथ और करीबी रिश्ते चाहिए जहां पर सभी क्षेत्रों में आपसी भरोसा कायम रहे। रूहानी के मुताबिक पश्चिम देश मुसलमानों को इस्लामिक संगठन के तौर पर बताते हैं जबकि हम उन्हें ताफिरी करार देते हैं। वे सभी जो किबला को मानते हैं और जो किसी भी भगवान में यकीन नहीं करते बल्कि मानते हैं कि अल्लाह या मोहम्मद उनके आखिरी मैसेंजर हैं, वे एक साथ भाईयों की तरह रह रहे हैं।
मिलिट्री नहीं सुलझा सकती है मसले
रूहानी ने दावा किया कि ईरान ने पिछले कई वर्षों में दक्षिण एशिया में जारी खून-खराबे और संघर्ष को बंद करने के लिए कोशिशें की हैं। उनका कहना था कि उनका देश सभी मुसलमान देशों के साथ भाईचारा बढ़ाना चाहता है। उन्होंने कहा कि ईरान किसी दूसरे मुसलमान देश के साथ अंसतोष नहीं चाहता है जिसके साथ उसके काफी पुराने रिश्ते हैं। ईरान का मानना है कि मतभेदों के समय में भी गोली समाधान नहीं हो सकती है। बातचीत के जरिए मतभेदों को सुलझाने और भाईचारा बढ़ाने में ईरान यकीन रखता है। किसी भी तरह के मतभेद या फिर संघर्ष को सेना या मिलिट्री नहीं सुलझा सकती है।
ईराक और सीरिया के पश्चिमी देश जिम्मेदार
रूहानी ने इस दौरान यह भी कहा कि उनका देश हमेशा से अफगानिस्तान, ईराक, सीरिया और यमन की मदद करने को तैयार था। रूहानी के मुताबिक ईराक और सीरिया में शिया, सुन्नी, कुर्द और क्रिश्चियन एक साथ रहते थे लेकिन पश्चिमी देशों ने उनके अंसतोष पैदा कर दिया। ईरान दुनिया में शांति फैलाना चाहता और बातचीत को बढ़ावा देना चाहता है। रूहानी के मुताबिक इस्लाम के दुश्मन इसे हिंसा का धर्म बताते हैं। जबकि इस्लाम असहिष्णुता और दूसरों को माफी करने से जुड़ा धर्म है।