विशेष दूत नहीं भेजने पर मालदीव ने दी सफाई, कहा: व्यस्त थे भारत के नेता
नई दिल्ली। मालदीव में राजनीतिक संकट के दौरान चीन, पाकिस्तान और अन्य देशों में उसके विशेष राजदूत भेजे हैं लेकिन भारत के लिए उसके विशेष राजदूत नहीं भेजे गए। राजदूत ना भेजे जाने पर मालदीव की आलोचना होने पर सफाई दी गई है। मालदीव की सरकार ने कहा है कि राष्ट्रपति के विशेष दूत को भारत भेजे जाने की योजन थी लेकिन भारतीय नेतृत्व के व्यस्त रहने के कारण ऐसा नहीं हो सका। समचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया से भारत में मालदीव के राजदूत अहमद मोहम्मद ने कहा कि मालदीव के राष्ट्रपति के विशेष दूत की प्रस्तावित यात्रा का पहला पड़ाव भारत तय था लेकिन इन तारीखों में नेतृत्व से मिलना असंभव था। हम यह समझ सकते हैं कि विदेश मंत्री देश से बाहर हैं और प्रधानमंत्री का भी विदेशी दौरा तय है।
गौरतलब है कि मालदीव में राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने जब से 15 दिनों तक आपातकाल का ऐलान किया, हालात बिगड़ते जा रहे हैं। अब यहां के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद जो विपक्ष के एक अहम नेता हैं, उन्होंने भारत से अपील की है कि भारत को यहां पर अपनी सेना और दूत भेजने होंगे। भारत ने भी मालदीव के हालातों पर चिंता जताई है लेकिन वह वहां के हालातों में हस्तक्षेप करेगा, इस बारे में अभी तक कुछ भी नहीं कहा गया है। दूसरी तरफ मालदीव के सुप्रीम कोर्ट ने नौ राजनीतिक कैदियों को रिहा करने वाला अपना आदेश वापस ले लिया है। दिलचस्प बात है कि इन नौ कैदियों में नशीद का नाम भी शामिल है।
बता दें कि मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के सुप्रीम कोर्ट के राजनीतिक बंदियों को रिहा करने आदेश को मानने से इनकार करने के बाद बड़ी तादाद में सड़कों पर उतर गए हैं। मालदीव की राजधानी माले में लाखों की तादाद में लोग अब्दुल्ला यामीन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। लोगों के सड़कों पर उतर आने के बाद आर्मी को हाई अलर्ट पर रखा गया है। वहीं चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद ने राजनीतिक बंदियों की रिहाई का फैसला पलटने की सरकार की तरफ से दाखिल की गई पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है।