पश्चिमी देशों को भारत ने UN में दिखाया आईना, गेंहू के निर्यात में कोरोना वैक्सीन जैसा भेदभाव ना हो
नई दिल्ली, 19 मई। भारत ने हाल ही में गेंहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। अपने इस फैसले का भारत ने यूनाइटेड नेसंश में बचाव किया है। साथ ही भारत ने खाद्य पदार्थों की जमाखोरी और इसके वितरण में भेदभाव के मुद्दे को यूएन में उठाया। जिस तरह से खाद्य पदार्थों के दाम में अचानक से बढ़ोत्तरी हुई है उसपर भारत की ओर से चिंता जाहिर करते हुए पश्चिमी देशों को चेताया गया है। भारत ने कहा कि खाद्य पदार्थों की मांग भी कोरोना वैक्सीन की तरह नहीं होनी चाहिए, जिसके लिए गरीब देश संघर्ष करें, जैसे इन देशों को कोरोना की शुरुआती डोज के लिए संघर्ष करना पड़ा, वहीं अमीर देशों के पास जरूरत से कहीं अधिक कोरोना की डोज थी।
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विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा कि भारत ने गेंहू के निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर यह सुनिश्चित किया है कि यह उन लोगों तक पहुंचे जिन्हें इसकी सच में सबसे अधिक जरूरत है। बड़ी संख्या में कम आय वाले परिवार दोहरी मार से जूझ रहे हैं, पहली तो खाद्य पदार्थों की जबरदस्त बढ़ती कीमतें दूसरी अनाज उनतक नहीं पहुंच पाना। यहां तक कि भारत में पर्याप्त भंडारण है फिर भी दाम में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हो रही है। इससे साफ है कि जमाखोरी की संभावना बढ़ गई है। हम इसे आगे नहीं बढ़ने दे सकते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत वैश्विक स्तर पर खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में अपनी भूमिका को निभाएगा, इसे इस तरह से किया जाएगा कि जिससे सभी को समान रूप से चीजें मिले,सामाजिक न्याय हो। ग्लोबल मार्केट में अचानक से आए बदलाव के बीच हम इस बात को सुनिश्चित करना चाहते हैं कि खाद्य सुरक्षा प्रभावी तरह से लागू की जाए। बता दें कि यूएन में ग्लोबल फूड सिक्योरिटी कॉल टू एक्शन की बैठक में भारत के मंत्री ने यह बयान दिया। मुरलीधरन ने कहा कि हम पहले ही देख चुके हैं कि कैसे कोरोना काल में वैक्सीन वितरण में असमानता दिखी। खाद्य पदार्थों की जब बात आती है तो बराबरी, आसानी से हर कोई खरीद सके और हर किसी को यह उपलब्ध हो, इसका खयाल रखा जाना चाहिए।