म्यांमार की मदद कर चीन को घेरने का भारत ने बनाया प्लान, रिफाइनरी के लिए दिए 6 बिलियन डॉलर!
नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर जारी आक्रामकता का जवाब देने के लिए अब भारत ने नई रणनीति अपनाई है। भारत ने म्यांमार की मदद करके चीन की घेराबंदी शुरू कर दी है। गौरतलब है कि भारतीय सेना के मुखिया जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे और विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रींगला हाल ही में म्यांमार के दौरे पर गए थे। यहां पर उन्होंने म्यांमार की काउंसिलर आंग सांग सू की से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि भारत की तरफ से इस दौरान म्यांमार में छह बिलियन डॉलर की पेट्रोलियम रिफाइनरी का प्रस्ताव रखा है।
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म्यांमार में पेट्रोलियम रिफाइनरी का प्रस्ताव
विदेश सचिव और आर्मी चीफ एम एम नरवाणे एक साथ म्यांमार के दौरे पर पहुंचे हैं। इसी दौरान म्यांमार को थानलिन क्षेत्र में जो कि यंगून के करीब है, वहां पर छह बिलियन डॉलर की मदद से एक पेट्रोलियम रिफाइनरी के निर्माण का प्रस्ताव दिया है। दोनों देशों के अधिकारियों ने बॉर्डर की सुरक्षा और स्थिरता से जुड़े मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की है। बताया जा रहा है कि दोनों ही देश इस बात पर रजामंद हुए हैं कि वो अपनी सीमाओं को एक-दूसरे के खिलाफ होने वाली गतिविधियों के लिए प्रयोग नहीं होने देंगे। चीन धीरे-धीरे बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) के जरिए क्षेत्र में अपनी पकड़ बना रहा है। पाकिस्तान के ग्वादर और श्रीलंका के हंबनटोटा में चीन के बंदरगाह पहले ही स्थापित हो चुके हैं और माना जा रहा है कि चीन इन बेसेज का प्रयोग भारत के खिलाफ कर सकता है। पाकिस्तान, श्रीलंका और मालदीव में चीन ने भारी निवेश किया हुआ है। अब चीन, म्यांमार को आकर्षित करने में लगा हुआ है। भारत अब इस रेस में पीछे नहीं रहना चाहता है।
चीन के कर्ज के बोझ तले दबा म्यांमार
भारत और म्यांमार पहले ही एक ट्रांसिट प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं जो कि भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मिजोरम से गुजरता है। भारत की तरफ से म्यांमार को दो मिलियन डॉलर की मदद देने की घोषणा भी की गई है। इस मदद से चीन राज्य में बीयान्यू/सरासिचक में एक पुल का निर्माण होगा जो मिजोरम को म्यांमार से जोड़ेगा। भारत ने म्यांमार के उस फैसले की भी सराहना की है जिसके तहत 22 भारतीय उग्रवादियों को सुरक्षाबलों को सौंपने का फैसला किया है। चीन, म्यांमार में ऊर्जा के क्षेत्र में 70 प्रतिशत से ज्यादा निवेश करता है। इसके अलावा बीआरआई के तहत यहां पर चीन-म्यांमार इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीएमईसी) को भी बढ़ाया जा रहा है। म्यांमार ने इससे पहले चीन की योजना का विरोध किया था क्योंकि देश के ऑडिटर जनरल ने सरकार को बढ़ते चीन कर्ज को लेकर चेतावनी दी थी। म्यांमार पर इस समय 10 बिलियन डॉलर का कर्ज है जिसमें चार बिलियन डॉलर अकेले चीन का है। म्यांमार अब चीन की कंपनियों के प्रोजेक्ट सौंपने से पहले सावधानी बरत रहा है।