22 जुलाई स्पेशलः तिरंगे के सम्मान में देश के लिए अबतक क्या किया हमने?
असल
में
देखा
जाए
तो
देश
में
आज
के
हालातों
की
जिम्मेदार
गरीबी
थी
और
है।
ठीक
ऐसे
ही
हाल
बने
रहे
और
नोट-वोट
की
लूट
खसोट
का
सिलसिला
ऐसे
ही
चलता
रहा
तो
यह
कहने
में
कोई
हैरत
की
बात
नही
रह
जाएगी
कि
भविष्य
में
भी
गरीबी
देश
को
लंबे
समय
का
ठहराव
देने
के
लिए
मुह
फाड़े
खडी
होगी।
यह
बात
भी
किसी
से
छुपी
नहीं
रह
पाई
है
कि
गरीबी
की
भट्टी
में
आज
भी
तपता
एक
बडा
तबका
बुनियादी
सुविधाओं
जैसे
शिक्षा,
स्वास्थ्य
सुविधाओं
और
मकान
आदी
सुविधाओं
से
दूर,
इनको
पाने
के
लिए
दर-दर
भटकने
के
बावजूद
खाली
हाथ,
नेताओ
और
नोकरशाहों
के
मुह
तकता
है।
एक
पीड़ित
व
शोषित
तबका
एक-एक
कर
गिरते
आंसूओ
के
साथ
अपनी
उम्मीदो
को
खोता
जा
रहा
है।
देश में शिक्षा को बढ़ावा, गरीबी हटाना और सभी को सम्मान की जिंदगी देने का सपना अब तक एक सपना ही है। शिक्षा की बात तो मुफ़्त शिक्षा अधिकार कानून की जिस प्रकार द्जज्जिया उड़ी है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अभिभावकों की सैंकड़ों- हजारों की संख्या में कंप्लेन्टस धरी की धरी रह जाती हैं, न ही कोई संतोषजनक कार्यवाही होती है और न ही शिक्षा अधिकार कानून का फ़ायदा शिक्षा से वंचित गरीब बच्चो को मिलता दिखाई देता है। सरकारी स्कूलों में मिलने वाला मिड डे मिल में काकरोच, कीड़े-मकोड़े मिल रहे हैं। इतना खराब खाना है कि इसको खाने से सैंकड़ों बच्चे मौत के शिकार हो रहे हैं।
अब प्रश्न आता है कि इस सबके पीछे कोन है?
इस पिछड़ेते पन की मुख्य वजह क्या है? यह सवाल आज भी जस की तस है। आज भी हालात बद से बद्तर हैं। यूपीए की सरकार राज में इस कदर लूट-खसौट मची कि आने वाले इतिहास में "सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार के शासन काल की सरकार", जैसा स्लोगन यूपीए सरकार के लिये दर्ज हो गया है। 2जी घोटाला, आदर्श घोटाला, कोमनवेल्थ घोटाला और कोयला आदि घोटाले देश की नीव को हिला रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा शासित मध्य प्रदेश में व्यापमं घोटाला और अब न्यायालयों में नियुक्ति घोटाले खबर। क्या ऐसी ही सूरत है जिस देश में तिरंगा लहराता है। यही सपना देखा था देश के आजादी के लिए लड़ने वाले शहीदों ने।
बोखलाहट इतनी है कि तमाम राजनीतिक पार्टीयां एक दूसरे पर आड़े-तिरछे आरोप मंडने से भी नही चूक रहीं। सवाल उठता है कि 31 फीसदी वोट लेकर बहुमत का गीत गा रही भाजपा की नरेंद्र सरकार देश के विकास को पर लगा पाएगी। अभी तक तो यह तस्वीर साफ नहीं हो पाई है कि आने वाले पांच साल में देश में विकास कहां तक जाने् वाला है। अभी तो महंगाई ने कमर तोड़ी हुई और भ्रष्टाचार चरम पर है।