भुवनेश्वर: जब नर्स-डॉक्टर बने 'भगवान', बचाई 4 बच्चों की जान
भुवनेश्वर के एसयूएम अस्पताल में लगी आग के दौरान एक डॉक्टर और नर्स की सूझबूझ से चार बच्चों की जान बच गई।
भुवनेश्वर (ओडिशा)। कहा जाता है 'जाको राखे साइयां, मार सके न कोय', ये कहावत भुवनेश्वर के एसयूएम अस्पताल में लगी आग के दौरान सच साबित हो गई। अस्पताल के सेकंड फ्लोर पर लगी आग के दौरान डॉक्टर और नर्स की सूझबूझ से चार बच्चों की जान बच गई।
आईसीयू में थे चारों बच्चे
कबिता सुबुधी और लक्ष्मी प्रिया साहू, लगातार भगवान को धन्यवाद दे रहे हैं, उनका मानना है कि भगवान ने ही उनके बच्चों की जान बचाई है।
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दोनों ही महिलाओं के बच्चों का नाम साईं है, जो एसयूएम अस्पताल में भर्ती थे। बताया जा रहा है कि दोनों बच्चे उसी फ्लोर में थे जहां आग लगी।
हालांकि इन बच्चों को बचाने में एक डॉक्टर और नर्स का योगदान बेहद अहम रहा। उन्हें जैसे ही आग की सूचना मिली, आईसीयू में मौजूद बच्चों को बचाने की कवायद में जुट गए।
बचाए गए दो बच्चों के नाम थे साईं
डॉक्टर और नर्स ने मिलकर चार बच्चों की जान बचाई। इनमें कबिता और लक्ष्मीप्रिया के बच्चे भी शामिल थे।
झारपाड़ा की रहने वाली कबिता ने अपने एक महीने के बच्चे को निमोनिया की शिकायत के बाद अस्पताल में भरती कराया था। बच्चे को कुछ दिन पहले ही आईसीयू में रखा गया था।
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बताया जा रहा है कि सोमवार रात करीब सात बजे उनकी मां सुकांति ने आईसीयू में धुआं उठते हुए देखा। उस समय कबिता वहां नहीं थी...वो मंदिर गई थी।
अस्पताल में आग से गई थी 20 लोगों की जान
धुआं उठता देख सुकांति ने अस्पताल के स्टाफ को मामले की जानकारी दी और उन्हें सावधान किया। इसके बाद अस्पताल में लोगों को सूचित करने के लिए लगे सिस्टम के जरिए आग सूचना दी गई।
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इस बीच अनाउंसमेंट की गई कि अस्पताल के दूसरे फ्लोर पर आग लगी है। सुकांति ने बताया कि मैं और मेरा नाती उसी फ्लोर पर मौजूद थे, जहां आग लगने का ऐलान किया किया जा रहा था।
इसके बाद डॉक्टर और नर्स उस जगह पर पहुंचे। उन्होंने आईसीयू वार्ड की खिड़की तोड़ दिया और चार बच्चों को उनके परिजनों के हवाले कर दिया। बता दें कि ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के एसयूएम अस्पताल में आग से 20 लोगों की मौत हो गई थी।