जिन कृषि कानूनों पर भड़के किसान संगठन, IMF की गीता गोपीनाथ ने की तारीफ, कहा- बढ़ेगी आय
IMF Gita Gopinath On 3 Farm Laws: नई दिल्ली। भारत सरकार के तीन कृषि कानूनों को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रमुख अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने इन कृषि कानूनों की तारीफ की है। गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत सरकार ने जो कृषि कानून बनाए हैं वे किसानों की आय बढ़ाने में सहायक हैं।
कमजोर काश्तकारों की सुरक्षा पर जोर
इसके साथ ही गीता गोपीनाथ ने कमजोर किसानों को सामाजिक सुरक्षा देने पर भी जोर दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार की जरूरत है। बुनियादा ढांचा ठीक करने से लेकर कृषि में बहुत सारे क्षेत्र हैं जिनमें सुधार किए जाने की जरूरत है।
केंद्र सरकार ने पिछले साल सितम्बर में संसद से तीन कृषि कानून पारित किए थे। इन कानूनों के पारित होने के बाद सरकार ने दावा किया था कि ये कानून पारित होने के बाद किसानों को बिचौलियों से मुक्ति मिलेगी और वे कहीं भी अपनी फसल बेंच सकते हैं। सरकार का दावा है कि इससे किसानों की आय को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
वहीं कृषि कानूनों के विरोध में राजधानी दिल्ली की सीमा पर पिछले दो महीने से किसान बैठे हुए हैं। किसानों की मांग है कि सरकार तीनों कृषि कानून वापस ले और एमएसपी गारंटी पर कानून लेकर आए। किसानों का कहना है कि सरकार के इन तीन कानूनों के आने से मंडियां कमजोर होंगी और कृषि पर निजी उद्योगपतियों का नियंत्रण होगा। जिसके चलते मनमाने दाम पर उनकी फसलें खरीदीं जाएंगी।
किसानों के लिए बढ़ेगा बाजार- गोपीनाथ
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ से जब इन कृषि कानूनों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "ये कृषि कानून मार्केटिंग को लेकर हैं। ये किसानों के लिए बाजार को और बड़ा कर रहा है। किसान अब मंडी के बाहर विभिन्न जगहों पर बिना कोई टैक्स अदा किए अपनी उपज बेच सकते हैं। हमारी समझ में इसमें किसानों की आय बढ़ाने की क्षमता है।"
गोपीनाथ ने आगे कहा कि "जब भी कोई सुधार किया जाता है इस दौरान यह सुनिश्चित करना होता है कि यह कमजोर किसानों को किसी तरह से नुकसान तो नहीं पहुंचा रहा है। इसके लिए सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। फिलहाल अभी चर्चा (सरकार और किसानों के बीच) चल रही हैं। हम देखते हैं कि आगे क्या होगा।"
11 दौर की बैठक रही बेनतीजा
इस बीच कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अभी तक बात बनती नजर नहीं आ रही है। आखिरी दौर की बातचीत में सरकार ने कानूनों को एक से डेढ़ साल तक स्धगित करने का प्रस्ताव भी रखा था। जिसे किसानों ने ठुकरा दिया था। किसान नेताओं ने कहा था कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने से कम पर कोई बात नहीं करेंगे।
41 किसान संगठनों के साथ मिलकर बना संयुक्त किसान मोर्चा किसानों के संगठन का नेतृत्व कर रहा है। 26 जनवरी को इसी के बैनर तले किसानों ने किसान ट्रैक्टर परेड निकाली थी जिसमें कई प्रदर्शन कारी राजधानी में घुसकर लाल किले तक पहुंच गए थे और हिंसा शुरू कर दी थी।
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