आईसीएमआर के शोध में दावा, कोरोना के लिए अब स्वैब की जगह इस सैंपल से भी हो सकता है टेस्ट
नई दिल्ली। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के नए शोध में कोरोना के टेस्ट को लेकर नई जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार कोरोना का टेस्ट करने के लिए सैंपल के तौर पर गरारा किया गया पानी भी इस्तेमाल किया जा सकता है। अभी तक कोरोना टेस्ट के लिए मरीज को अपना स्वैब देना होता है, लेकिन अब आईसीएमआर का कहना है कि पानी का गरारा करने के बाद इस पानी का इस्तेमाल भी कोरोना टेस्ट के लिए किया जा सकता है। इस शोध का मुख्य लक्ष्य यह पता करना था कि क्या गरारा किया गया पानी स्वैब की जगह इस्तेमाल हो सकता है या नहीं, जबकि इस शोध का दूसरा लक्ष्य मरीज को स्वैब के अलावा एक और विकल्प मुहैया कराना था।
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आईसीएमआर के शीर्ष शोधकर्ताओं ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में मई-ून माह में 50 कोरोना के मरीजों का सैंपल गरारा किए गए पानी के तौर पर इस्तेमाल किया और उनका टेस्ट किया। आईसीएमआर की ओर से कहा गया है कि सैंपल कलेक्शन के समय संक्रमण फैलने का खतरा काफी अधिक होता है। इसकी वजह यह है कि नाक या गले से सैंपल लेते समय मरीज को खांसी या छींक आने की संभावना बनी रहती है। ऐसेस में यह तरीका काफी कारगर साबित हो सकता है, लोग घर पर ही अपना सैंपल आसानी से दे सकते हैं।
हालांकि जो मरीज काफी गंभीर रूप से बीमार हैं, उनके लिए यह तरीका कारगर नहीं है। इसके साथ ही बच्चों के लिए भी यह कारगर उपयोगी नहीं है क्योंकि संभव है कि वो दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर पाएं। शुरुआती जांच के नतीजे दिखाते हैं कि SARS-CoV-2 का पता लगाने के लिए स्वैब की जगह गरारा किया पानी कारगर विकल्प हो सकता है। ऐसे में अगर इस विकल्प को चुना जाता है तो यह काफी सरल होगा।
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