Hyderabad Election: ओवैसी के गढ़ में चुनावी मोर्चा संभालेंगे नड्डा और शाह, BJP के लिए क्यों जरूरी है हैदराबाद का चुनाव
Hyderabad Election: ओवैसी के गढ़ में चुनावी मोर्चा संभालेंगे नड्डा और शाह, BJP के लिए क्यों जरूरी है हैदराबाद का चुनाव
हैदराबाद: ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (GHMC Election 2020) चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कई टॉप नेता कुछ दिनों में हैदराबाद पहुंचेंगे। जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई नाम शामिल हैं। इन नेताओं के AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी के गढ़ हैदराबाद में प्रचार करने से चुनावी माहौल गरम हो सकते हैं। ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) एक दिसबंर को होने वाले हैं। 50 वॉर्डों के लिए 1 दिसंबर को होने वाले चुनावों में AIMIM और BJP में काटे टक्कर है।
Recommended Video
जानें कौन से किस दिन करेंगे चुना प्रचार
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सीएम योगी आदित्यनाथ शनिवार यानी 28 नवंबर को हैदराबाद पहुंचेंगे। वहां वो बीजेपी प्रत्याशियों के लिए रोड शो करेंगे। वहीं जेपी नड्डा आज शुक्रवार (27 नवंबर) को रोड शो करेंगे। वहीं अमित शाह रविवार (29 नवंबर) को चुनाव प्रचार करेंगे।
खास बात ये है कि पीएम नरेंद्र मोदी भी हैदाराबाद जाएंगे लेकिन वो चुनाव प्रचार नहीं करेंगे। पीएम मोदी हैदराबाद 29 नवंबर को चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं बल्कि भारत बायोटेक के दौरे के लिए जाएंगे।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और बीजेपी युवा विंग की प्रमुख तेजस्वी सूर्या के बाद, एक और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी बुधवार (25 नवंबर) को पार्टी अभियान के तहत हैदराबाद में उतरीं थी।
बीजेपी ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष के लक्ष्मण ने कहा कि अभियान के लिए कम समय में मतदाताओं के विभिन्न वर्गों तक पहुंचने के लिए राष्ट्रीय नेताओं की रैलियां कराई जा रही हैं। बीजेपी की महिला विंग की अध्यक्ष वनाथी श्रीनिवासन भी चुनाव प्रचार कर रही हैं।
बीजेपी के लिए क्यों जरूरी है हैदराबाद का चुनाव?
बीजेपी के लिए हैदराबाद का नगर निगम चुनाव बहुत ज्यादा अहम है। इसलिए बीजेपी इस चुनाव को आक्रामक ढंग से लड़ रही है और चुनाव प्रचार के लिए सारे शीर्ष नेताओं को भेज रही है। असल में बीजेपी अपना प्रभाव दक्षिण में भी करना चाहती है और इसके लिए हैदराबाद का चुनाव बीजेपी के लिए बहुत अहम होगा। बीजेपी दक्षिण में शीर्षस्थ पार्टी होने के बाद भी आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और तेलंगाना जैसे राज्यों में जीत से काफी दूर है। इसलिए बीजेपी वहां स्थानीय चुनाव में पहले अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश में है।