सरकार के पास सीबीआई डायरेक्टर को हटाने का कितना अधिकार
जानकारों के मुताबिक दोनों शीर्ष अधिकारियों के बीच 2016 से ही खींचतान चल रही है. तब सीबीईआई के नंबर दो अधिकारी आरके दत्ता का अचानक गृह मंत्रालय में तबादला कर दिया गया था.
उनका तबादला डायरेक्टर अनिल सिन्हा के रिटायर होने से ठीक दो दिन पहले किया गया था. यानी वरिष्ठता के मुताबिक दत्ता अगले सीबीआई डायरेक्टर बन सकते थे.
इसके बाद राकेश अस्थाना को अंतरिम निदेशक नियुक्त किया गया.
केंद्रीय जांच ब्यूरो, सीबीआई में जारी घमासान के बीच डायरेक्टर आलोक वर्मा और उनके डिप्टी राकेश अस्थाना से सभी ज़िम्मेदारियां वापस ले ली गई हैं और उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया है.
पीटीआई ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के एक पत्र के हवाले से ख़बर दी है कि संयुक्त निदेशक नागेश्वर राव को तत्काल प्रभाव से कार्यवाहक निदेशक की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है.
इससे पहले एम नागेश्वर राव सीबीआई में ही जॉइंट डायरेक्टर के पद पर थे.
सूत्रों के मुताबिक सीबीआई में आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच जारी विवाद के सार्वजनिक होने और इसके इस स्तर तक बढ़ जाने से सरकार बेहद नाराज़ थी जिसके बाद उसने इस पूरे मामले में दखल दिया और आगे की कार्रवाई में कोई खलल न आए, इसलिए सीबीआई प्रमुख और उनके डिप्टी दोनों को लंबी छुट्टी पर भेज दिया.
ज़िम्मेदारियां वापस लिए जाने के मसले पर आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है जिसकी सुनवाई शुक्रवार को मुकर्रर की गई है.
नागेश्वर राव ने अंतरिम पद संभालते ही सीबीआई के दफ़्तर की 10वीं और 11वीं मंजिल को सील करवा दिया, जहां आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के दफ़्तर हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने ख़बर दी है कि सीबीआई मुख्यालय में अस्थाना और वर्मा के दफ़्तर को सील कर दिया गया है.
सीबीआई डायरेक्टर को कौन हटा सकता है?
आनन-फ़ानन में उठाए गए सरकार के इस क़दम की आलोचना हो रही है और यह आरोप लग रहे हैं कि सीबीआई डायरेक्टर को हटाने की प्रक्रिया से छेड़छाड़ की गई है.
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने आलोक वर्मा को हटाए जाने को गैरक़ानूनी ठहराते हुए कहा है कि वो इसके ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे.
https://twitter.com/pbhushan1/status/1054919617750155264
सांसद शरद यादव ने ट्वीट किया.
https://twitter.com/SharadYadavMP/status/1054952899720212483
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने ट्वीट किया, "लोकपाल क़ानून के मुताबिक सीबीआई डायरेक्टर का कार्यकाल दो साल के लिए तय किया गया है. प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और विपक्ष के नेता की कमेटी के फ़ैसले के बगैर सरकार न तो उनका कार्यकाल कम कर सकती है और न ही अंतरिम उपाय ही कर सकती है.
https://twitter.com/ManishTewari/status/1054931692073422850
सीबीआई के पूर्व जॉइंट डायरेक्टर एनके सिंह ने कहा, "सीबीआई के डायरेक्टर की नियुक्ति का अंतिम फ़ैसला प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और विपक्ष के नेता की एक कमेटी करती है. उनका कार्यकाल दो साल का होता है. कायदे के मुताबिक इससे पहले उन्हें हटाने का फ़ैसला भी तीन लोगों की यही कमेटी करेगी. अब यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में ले जाया गया है और शुक्रवार को इस पर सुनवाई होनी है."
कौन हैं अंतरिम सीबीआई डायरेक्टर नागेश्वर राव?
1986 बैच के आईपीएस अधिकारी नागेश्वर राव सीबीआई के अंतरिम निदेशक बनाए गए है जो तेलंगाना के रहनेवाले हैं और ओडिशा काडर के आईपीएस अधिकारी हैं. ओडिशा के चार ज़िलों में पुलिस अधीक्षक (एसपी) के अलावा वो राउरकेला और कटक में रेलवे के पुलिस अधीक्षक और क्राइम ब्रांच के पुलिस अधीक्षक भी रह चुके हैं.
वो ओडिशा के ऐसे पहले अधिकारी रहे हैं जिन्होंने एक बलात्कार के मामले की जांच (1996) में डीएनए फिंगरप्रिंट का इस्तेमाल किया था. ओडिशा में अपनी नियुक्ति के दौरान अवैध शराब के एक मामले में, जिसमें 200 लोगों की मौत हो गई थी, अभियुक्त बेलू दास को सज़ा दिलवाना नागेश्वर राव की विशेष उपलब्धि रही.
कई पुरस्कारों से सम्मानित नागेश्वर राव को मणिपुर में उग्रवाद के ख़िलाफ़ कार्रवाई के लिए जाना जाता है.
क्या है पूरा मामला?
भारत के इतिहास में पहली बार सीबीआई ने अपने ही स्पेशल डायरेक्टर के ख़िलाफ़ हैदराबाद स्थित बिज़नेसमैन सतीश बाबू सना की शिकायत पर साज़िश रचने और भ्रष्टाचार की धाराओं में एफ़आईआर दर्ज की.
सीबीआई में शीर्ष दो पद पर आसीन लोगों के बीच की लड़ाई सार्वजनिक हो गई और 22 अक्तूबर को सीबीआई ने ख़ुद अपने ही डिप्टी डायरेक्टर राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ रिश्वतखोरी का मामला दर्ज किया था. लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को 29 अक्तूबर तक गिरफ्तारी से राहत दे दी.
राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ सीबीआई ने हैदराबाद के बिज़नेसमैन सतीश बाबू की शिकायत पर एफ़आईआर दर्ज की. सतीश बाबू का आरोप है कि उन्होंने अपने ख़िलाफ़ जांच रोकने के लिए तीन करोड़ रुपयों की रिश्वत दी. एफ़आईआर में अस्थाना के ख़िलाफ़ साज़िश और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है.
एफ़आईआर के मुताबिक सतीश बाबू ने दुबई में रहने वाले एक व्यक्ति मनोज प्रसाद की मदद से रिश्वत देने की बात कही है जिसमें मनोज प्रसाद का दावा था कि वो सीबीआई में लोगों को जानते हैं और जांच को रुकवा सकते हैं. सतीश बाबू के ख़िलाफ़ जो जांच चल रही थी कि उसकी अगुआई राकेश अस्थाना ही कर रहे थे.
सीबीआई ने राकेश अस्थाना के अलावा मोइन क़ुरैशी मामले में जांच अधिकारी देवेंद्र कुमार को भी सोमवार को गिरफ़्तार किया था. सीबीआई का कहना है कि डीएसपी देवेंद्र कुमार ने मोइन क़ुरैशी मामले में भ्रष्टाचार में राकेश अस्थाना का साथ दिया.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राकेश अस्थाना ने डायरेक्टर आलोक वर्मा के ख़िलाफ़ कैबिनेट सेक्रेटरी को चिट्ठी लिखी जिसमें वर्मा पर सतीश बाबू से दो करोड़ रुपये लेने का आरोप लगाया गया है.
वर्मा के खिलाफ़ आरोप लगाया गया है कि उन्होंने कोयला और 2जी घोटाले में शामिल दो लोगों को सेंट किट्स की नागरिकता लेने से रोकने के लिए कुछ नहीं किया.
अस्थाना ने वर्मा के ख़िलाफ़ हरियाणा में एक ज़मीन के सौदे में गड़बड़ी करने और भ्रष्टाचार के दूसरे कथित मामलों का भी ज़िक्र किया है.
दो साल से चल रही तनातनी
जानकारों के मुताबिक दोनों शीर्ष अधिकारियों के बीच 2016 से ही खींचतान चल रही है. तब सीबीईआई के नंबर दो अधिकारी आरके दत्ता का अचानक गृह मंत्रालय में तबादला कर दिया गया था.
उनका तबादला डायरेक्टर अनिल सिन्हा के रिटायर होने से ठीक दो दिन पहले किया गया था. यानी वरिष्ठता के मुताबिक दत्ता अगले सीबीआई डायरेक्टर बन सकते थे.
इसके बाद राकेश अस्थाना को अंतरिम निदेशक नियुक्त किया गया. उनकी नियुक्ति स्थायी हो सकती थी, लेकिन वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने उनकी नियुक्ति को चुनौती दे दी.
फिर 2017 की फरवरी में आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर बनाया गया, लेकिन कुछ ही महीने बाद यह मामला फिर तूल पकड़ने लगा.
तब आलोक वर्मा ने ही राकेश अस्थाना को स्पेशल डायरेक्टर बनाए जाने का ये कहते हुए विरोध किया कि उनके ख़िलाफ़ कई तरह के आरोप हैं और मामले में जांच जारी है, इसलिए उन्हें एजेंसी में नहीं होना चाहिए.
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