पीएम किसान सम्मान निधि का पैसा अयोग्य लोगों तक कैसे पहुँचा?
आरटीआई से पता चला है कि इस स्कीम का फ़ायदा बड़ी संख्या में ऐसे किसानों ने उठाया, जो आयकर देते हैं.
आरटीआई से पता चला है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को मिलने वाली रक़म क़रीब 20.48 लाख अयोग्य लोगों ने हासिल की.
इससे भी बड़ी चौंकाने वाली बात यह है कि इन लाभार्थियों में 55 फ़ीसदी ऐसे किसान हैं, जो टैक्स जमा कराते हैं. दरअसल, सरकार ने टैक्स देने वाले किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि योजना से बाहर रखा था. इसके बावजूद इतनी बड़ी संख्या में टैक्सपेयर किसान इसमें कैसे शामिल हो गए, यह एक बड़ा सवाल है.
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कुल 20.48 लाख अयोग्य लाभार्थियों में 11.38 लाख से ज़्यादा लोग ऐसे हैं, जो आयकरदाता की श्रेणी में आते हैं.
आरटीआई से ये पता चला है कि इन अयोग्य लाभार्थियों की वजह से सरकारी ख़ज़ाने को 1,364 करोड़ रुपए का चूना लगा है. कृषि मंत्रालय ने आरटीआई के तहत यह जानकारी दी है.
आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक़, 44.41 फ़ीसदी में ऐसे अयोग्य लोग भी हैं, जो इस स्कीम के लिए तय की गई शर्तों को पूरा नहीं करते हैं.
आधार से लिंक होने के बावजूद टैक्स भरने वाले कैसे बने लाभार्थी?
इस स्कीम के लाभार्थियों के लिए आधार नंबर अनिवार्य था और पैसा उनके खातों में ट्रांसफ़र किया जाना था. साथ ही जब सरकार के पास टैक्सपेयर्स का पूरा डेटा है, तो फिर किस तरह टैक्सपेयर्स इस स्कीम में शामिल हुए? इसे लेकर सवाल पैदा हो रहे हैं.
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पूर्व कृषि सचिव सिराज हुसैन कहते हैं, "सरकार के पास सभी टैक्सपेयर्स का डेटाबेस है. हर टैक्सपेयर का आधार भी पैन कार्ड से लिंक्ड है. सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में आधार को लेकर दिए गए फ़ैसले में कहा था कि हालाँकि पहचान के ज़रिए के तौर पर आधार 'स्वैच्छिक' है, लेकिन सरकारी सब्सिडी, लाभ और सेवाओं के लिए यह अनिवार्य है. सुप्रीम कोर्ट ने निजी सेक्टर को आधार के इस्तेमाल की इजाज़त नहीं दी थी."
वे कहते हैं, "चूंकि पीएम किसान भी ज़मीन धारकों को एक अनुदान है, ऐसे में शायद सरकार के लिए पीएम किसान का डेटा इनकम टैक्स डेटाबेस से मिला पाना मुमकिन था, ताकि इनकम टैक्सपेयर्स को पीएम किसान निधि स्कीम से बाहर रखा जा सके."
दो श्रेणियों में हैं अयोग्य लाभार्थी
कृषि मंत्रालय ने बताया है कि अयोग्य लाभार्थियों की दो श्रेणियों का पता चला है. पहली श्रेणी ऐसे अयोग्य लाभार्थियों की है, जो इस स्कीम की पात्रता की शर्तों को पूरा नहीं करते हैं. दूसरी श्रेणी में ऐसे लोग हैं, जो इनकम टैक्स भरते हैं.
कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव के एक्सेस टू इंफ़ॉर्मेशन के प्रोग्राम हेड वेंकटेश नायक ने आरटीआई के तहत पीएम किसान निधि के बारे में ये जानकारियाँ जुटाई हैं.
नायक कहते हैं, "असलियत में सरकार ने जो आँकड़े दिए हैं, उससे कहीं ज़्यादा संख्या में अयोग्य लोग इस स्कीम में शामिल हो सकते हैं."
वेंकटेश नायक के मुताबिक़, "सरकार ने अपने जवाब में बताया है कि अयोग्य लाभार्थियों में से आधे से अधिक (55 फ़ीसदी) ऐसे लोग हैं, जो इनकम टैक्स जमा कराते हैं. बाक़ी 44.41 फ़ीसदी में ऐसे अयोग्य लोग आते हैं, जो इस स्कीम के लिए तय की गई शर्तों को पूरा नहीं करते हैं."
नायक कहते हैं कि इसमें आम लोगों की ग़लती कम है. लोगों को तो पता ही नहीं था कि इसके क्या मानदंड हैं. लेकिन, सरकारी अधिकारियों को नियम पता थे, लेकिन कई जगहों पर उन्होंने सही तरीक़े से काम नहीं किया.
वे कहते हैं कि पहले सरकार ने कोशिश की कि ऐसे अयोग्य लाभार्थी ख़ुद ही इस पैसे को वापस कर दें. लेकिन, ऐसा होना तो मुमकिन था नहीं, वह भी महामारी के दौर में, जहाँ लोगों की कमाई पर बुरा असर पड़ा है.
नायक कहते हैं, "अब सरकार इन अयोग्य लाभार्थियों के नाम हटाने और इस पैसे को रिकवर करने की कोशिश कर रही है."
क्या है स्कीम और क्या हैं पात्रता की शर्तें
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत छोटे और सीमांत किसानों को हर साल 6,000 रुपए दिए जाते हैं. यह रक़म सीधे किसानों के खाते में जाती है.
सीमांत किसान से मतलब ऐसे किसानों से है, जो अधिकतम एक हेक्टेयर यानी 2.5 एकड़ तक ज़मीन पर खेती करते हैं.
छोटे किसानों की परिभाषा में ऐसे किसान आते हैं, जो एक हेक्टेयर से दो हेक्टेयर तक ज़मीन यानी पाँच एकड़ तक ज़मीन पर खेती करते हैं.
आयकर चुकाने वालों को इस स्कीम के दायरे से बाहर रखा गया है. साथ ही ऐसे रिटायर्ड लोग, जिनकी पेंशन 10,000 रुपए या उससे ज़्यादा है, उन्हें भी इस स्कीम का लाभ नहीं मिल सकता है.
केंद्र सरकार ने 2019 में इस स्कीम को लॉन्च किया था.
हड़बड़ी में उतारी गई स्कीम?
जानकारों का मानना है कि सरकार ने अच्छी तरह से तैयारी के बिना इस स्कीम को लॉन्च कर दिया. इस स्कीम को लॉन्च करने के समय पर भी सवाल उठाए जाते रहे हैं.
पीएम किसान सम्मान निधि योजना का ऐलान 2019-20 के लिए 1 फरवरी को पेश किए गए अंतरिम बजट में किया गया था. हालांकि, इस स्कीम को बैक डेट यानी 1 दिसंबर 2018 से लागू करने का ऐलान किया गया था.
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वेंकटेश नायक ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "सरकार ने जल्दबाज़ी में इस स्कीम को लॉन्च कर दिया. स्थानीय स्तर पर प्रशासन ने ये ध्यान नहीं दिया कि कौन से किसान इस स्कीम के पात्र हैं और कौन से नहीं हैं. इसी वजह से इतनी बड़ी संख्या में अयोग्य लोग इस स्कीम में शामिल हो गए."
वे कहते हैं कि शुरुआती दौर में इसमें लोगों के वेरिफिकेशन नहीं किए गए. सरकार ने चुनावों से एक महीने पहले स्कीम उतारी और ऐसे में स्थानीय स्तर पर अधिकारियों ने मामूली क़ाग़ज़ी कार्रवाई कर लोगों के नाम इस स्कीम में भेज दिए.
किराए पर खेती करने वालों, बटाईदारों का शामिल न होना
इस स्कीम की सबसे बड़ी खामी ये मानी जा रही है कि इसमें ऐसे लोगों को ही शामिल किया गया है, जो ज़मीन के मालिक हैं.
वेंकटेश नायक कहते हैं, "किराए पर खेती करने वाले या बटाई पर खेती करने वाले किसानों को इसमें शामिल नहीं किया गया है. यह इस स्कीम की एक बड़ी खामी है, क्योंकि ऐसे ही किसानों की हालत सबसे ज़्यादा ख़राब है, जो या तो किराए पर खेती करते हैं या फिर बटाईदार हैं और जिनके पास अपनी खेती की ज़मीन नहीं है."
लेकिन, यह काम आसान नहीं है. किराए पर खेती करने वाले या बटाईदारों का कोई रिकॉर्ड नहीं है और उनके डेटा वेरिफ़ाई भी नहीं किए जा सकते हैं. ऐसे में इन्हें स्कीम में शामिल करना बेहद मुश्किल है.
कुल लाभार्थी और सरकार का ख़र्च
पिछले साल फरवरी में मोदी सरकार की लॉन्च की गई इस स्कीम के लिए सरकार ने हर साल 75,000 करोड़ रुपए ख़र्च करने का प्रावधान किया है.
हाल में ही सरकार ने इस स्कीम की सातवीं किस्त के तौर पर लाभार्थी किसानों के खाते में 2,000-2,000 रुपए डाले हैं. सातवीं किस्त के तौर पर मोदी सरकार ने कुल 18,000 करोड़ रुपए किसानों के खातों में ट्रांसफर किए हैं.
किसानों के खाते में पीएम किसान सम्मान निधि की सातवीं किस्त डालने के कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि इस स्कीम के तहत अब तक सरकार किसानों के खातों में 1.10 लाख करोड़ रुपए डाल चुकी है.
नायक कहते हैं कि आरटीआई डाले जाते समय तक पीएम किसान में कुल 9-9.5 करोड़ लाभार्थी थे. बाद में यह आँकड़ा बढ़कर 10 करोड़ को पार कर गया.
'पीएम सम्मान के मासिक डेटा जारी करे सरकार'
सिराज हुसैन सुझाव देते हैं, "सरकार को पीएम किसान सम्मान निधि का मासिक डेटा जारी करना चाहिए ताकि शोधार्थी इस डेटा का विश्लेषण कर सकें और इस स्कीम में सुधारों को लेकर सुझाव दे सकें."
उत्तर प्रदेश के एक गाँव में जनसेवा केंद्र चलाने वाले सत्येंद्र चौहान ने बताया कि ज़्यादातर अयोग्य लोग शुरुआती वक़्त में इसमें शामिल हुए. वे बताते हैं कि पहले कोई भी व्यक्ति इस स्कीम में आसानी से शामिल हो जाता था. तब न तो ब्यौरे वेरिफाई हो रहे थे और न ही कोई जाँच हो रही थी. शुरुआत में केवल कृषि विभाग इस काम को कर रहा था.
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हालांकि, वे बताते हैं कि अब पीएम किसान सम्मान निधि में जुड़ना आसान नहीं रहा. वे कहते हैं, "अब लेखपाल इन पात्रों के ब्यौरों को वेरिफाई करते हैं. इसके बाद ही पात्रों की लिस्ट तहसील से स्वीकृत होने के बाद इसे कृषि विभाग को भेजा जाता है.
वे कहते हैं कि लाभार्थी का नाम मंज़ूर होने के बाद भी खाते में पैसा 3-4 महीने बाद ही आता है.